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Migraine Diet: माइग्रेन के दर्द से हैं परेशान, अपनाएं ये 3 असरदार आयुर्वेदिक टिप्स

आजकल के लोग इतना ज्यादा स्ट्रेस लेने लगे हैं कि उन्हे पहले तो सरदर्द की शिकायत होती है, बाद में माइग्रेन की प्रॉब्लम हो जाती है. ऐसे में आज हम आपको कुछ आसान से आयुर्वेदिक टिप्स बताएंगे, जिससे आप घर बैठे और कम खर्च में इस दर्द को कम कर सकते हैं.

माइग्रेन का दर्द बहुत ही कष्टभरा होता है. इस बीमारी की चपेट में आने वाले लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. जिस इंसान को माइग्रेन की समस्या होती है, वो हर वक्त सर दर्द से परेशान रहता है. कभी-कभी तो दर्द इतना ज्यादा होता है, जिसमें मतली और उल्टी तक हो जाती है. माइग्रेन का दर्द कई अन्य बीमारी को जन्म देता है. जिसमें दिमाग को कमजोर पड़ना, याददास्त के साथ-साथ सोचने की क्षमता कम होना शामिल है. ऐसे में हम आपको कुछ ऐसे घरेलू टिप्स बताएंगे, जिससे आपको इस दर्द से छुटकारा मिल सकता है.

माइग्रेन से बचाव के लिए आयुर्वेदिक टिप्स

माइग्रेन से निजात पाने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपचार हैं, जिन्हें दर्द से राहत के लिए घर पर आजमाया जा सकता है. भीगी हुई किशमिश, इलायची की चाय और गाय का घी आपके माइग्रेन के दर्द के लिए अद्भुत काम कर सकता है, क्योंकि ये उस दर्द को संतुलित करने में मदद करते हैं और स्वास्थ्य समस्या से जुड़े लक्षणों से भी राहत दिलाते हैं. ये सामाग्री आपको रसोई में आसानी से उपलब्ध हो जाएंगी.

1. भीगी हुई किशमिश

आप सुबह सबसे पहले हर्बल चाय ले सकते हैं और फिर रात में 10-15 भीगी हुई किशमिश का सेवन कर सकते हैं. यह माइग्रेन के सिरदर्द से राहत दिलाने में कमाल का काम करेगा. इसका अलग 12 सप्ताह तक लगातार सेवन किया जाता है, तो यह बढ़े हुए वात के साथ शरीर में अतिरिक्त पित्त को कम कर देता है और माइग्रेन से जुड़े सभी लक्षणों जैसे अम्लता, मतली, जलन, एकतरफा सिरदर्द, गर्मी के प्रति असहिष्णुता को शांत करता है.

2. जीरा-इलायची चाय

जीरा-इलायची चाय आप लंच या डिनर के एक घंटे बाद या जब भी माइग्रेन के लक्षण प्रमुख हों, तब खा सकते हैं. इसे बनाना बहुत ही आसान है. आधा गिलास पानी लें, उसमें 1 छोटी चम्मच जीरा और 1 इलायची डालकर 3 मिनट तक उबालें, फिर छान लें और इस स्वादिष्ट माइग्रेन को शांत करने वाली चाय पीएं. यह मतली और तनाव से राहत के लिए सबसे असरदार ड्रिंक है. सोते समय, या जब भी माइग्रेन का दर्द हों, इसे पिया जा सकता है.

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3. गाय का घी

शरीर और दिमाग में अतिरिक्त पित्त को संतुलित करने के लिए गाय के घी से बेहतर कोई उपाय नहीं है. घी का उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है.

  • खाने में – रोटी में, चावल में या सब्जी में घी में भूनकर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.

  • सोते समय दूध के साथ पी घी को पी सकते हैं.

  • नासिका में 2 बूंद डालना

  • दवाओं के साथ – माइग्रेन के लिए कुछ जड़ी-बूटियों जैसे ब्राह्मी, शंखपुष्पी, यस्तिमधु को भी घी के साथ लिया जा सकता है.

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