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नेता प्रतिपक्ष मामले में विधानसभा सचिव ने रखा हाईकोर्ट के सामने पक्ष, कही ये बड़ी बात

झारखंड विस सचिव की ओर से शपथ पत्र दायर कर बताया गया कि बाबूलाल मरांडी के खिलाफ दल-बदल का मामला लंबित है. संविधान के आर्टिकल-212 के तहत विधानसभा की कार्यवाही में हाइकोर्ट किसी तरह हस्तक्षेप नहीं कर सकता है

झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर दायर अवमानना याचिका सहित अन्य जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थियों व प्रतिवादियों का पक्ष सुना. खंडपीठ ने महाधिवक्ता का पक्ष सुनने के बाद अगली सुनवाई के लिए 30 अगस्त की तिथि तय की.

इससे पूर्व झारखंड विस सचिव की ओर से शपथ पत्र दायर कर बताया गया कि बाबूलाल मरांडी के खिलाफ दल-बदल का मामला लंबित है. संविधान के आर्टिकल-212 के तहत विधानसभा की कार्यवाही में हाइकोर्ट किसी तरह हस्तक्षेप नहीं कर सकता है. विधानसभा की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल व अधिवक्ता अनिल कुमार ने पक्ष रखा.

उन्होंने खंडपीठ को बताया कि हाइकोर्ट स्पीकर को निर्देश नहीं दे सकता है. जहां तक नेता प्रतिपक्ष बनाने का मामला है, उसके लिए सबसे बड़ी पार्टी का नेता होना चाहिए. भाजपा की ओर से बाबूलाल मरांडी का नाम दिया गया है, जो भाजपा से लड़े ही नहीं है. वह जेवीएम से भाजपा में आये हैं. नेता प्रतिपक्ष के लिए ऐसे व्यक्ति का नाम दिया जाना चाहिए, जो भाजपा के सिंबल से लड़ा हो और जीता हो. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने बताया कि मुख्य सूचना आयुक्त, सूचना आयुक्त, लोकायुक्त सहित अन्य आयोग में रिक्त पदों पर नियुक्ति को लेकर शीघ्र बैठक होगी.

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