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बड़े नौकरशाहों ने करायी सरकार की फजीहत

II लखनऊ से राजेन्द्र कुमार II यूपी के बड़े नौकरशाहों की लापरवाही ने अखिलेश सरकार की देश भर में फजीहत करा दी है. प्रदेश के 44 सूखा प्रभावित जिलों के लिए मांगे गए 6138 करोड़ रुपये के पैकेज को लेकर ही अखिलेश सरकार को यह फजीहत झेलनी पड़ी है. इस पैकेज को केंद्र सरकार के […]

II लखनऊ से राजेन्द्र कुमार II

यूपी के बड़े नौकरशाहों की लापरवाही ने अखिलेश सरकार की देश भर में फजीहत करा दी है. प्रदेश के 44 सूखा प्रभावित जिलों के लिए मांगे गए 6138 करोड़ रुपये के पैकेज को लेकर ही अखिलेश सरकार को यह फजीहत झेलनी पड़ी है. इस पैकेज को केंद्र सरकार के अफसरों ने आधा अधूरा बताते हुए खारिज कर दिया है. यही नहीं केंद्रीय अफसरों ने अखिलेश सरकार से कहा है कि सूखा पैकेज की राशि पाने के लिए एक अक्टूबर तक एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्र को भेजी जाए, ताकि इस मामले में निर्णय लिया जा सके.
यह पहला मौका है जब यूपी के मुख्य सचिव और कृषि उत्पादन आयुक्त की देखरेख में तैयार किए गए पैकेज को केन्द्रीय अफसरों ने ऐसे खारिज किया है. यूपी में सूखे से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए केंद्र सरकार के संयुक्त सचिव उत्पल कुमार सिंह की देखरेख में आए दल ने यह निर्णय लिया है. जिसे विपक्षी दलों ने अखिलेश सरकार के लिए शर्मनाक बताया है. बसपा विधानमंडल दल के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के अनुसार सूखे से संबंधित यूपी सरकार के पैकेज का खारिज किया जाना प्रदेश सरकार के अफसरों की लापरवाही का नतीजा है.
सीएम को आधी अधूरी रिपोर्ट केंद्र को भेजने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. भाजपा प्रवक्ता विजय पाठक भी मानते हैं कि यूपी के बड़े अफसरों ने सूखे के संबंध में सही तरीके से रिपोर्ट केंद्र सरकार को नहीं भेजी. पाठक कहते हैं कि मुख्यमंत्री को ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए क्योंकि उनकी वजह से ही यूपी सरकार की देश में फजीहत हुई है. देश भर में यह कहा जा रहा है कि यूपी के अधिकारी गंभीर मामले पर भी लापरवाही पूर्ण रवैया अपनाते हैं.
विपक्ष के ऐसे आरोपों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि यूपी में सूखा प्रभावित नौ जिलों का दौरा करते हुए केंद्र के अफसरों को सूखा प्रभावित जिलों में कदम कदम पर यूपी सरकार के अफसरों की लापरवाही दिखाई दी. केंद्रीय अफसरों ने पाया कि यूपी में सूखे का असर सभी जगहों पर हुआ. कही ज्यादा है तो कहीं कम. मसलन जालौन में गांवों में 50 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है तो मथुरा व अलीगढ़ में पेयजल संकट अधिक नजर आया. धान की फसल को हर जगह नुकसान पहुंचा है.
फिर भी यूपी सरकार ने सूखे को लेकर तैयार की गई रिपोर्ट में कृषि, सिंचाई, पशुधन, जल निगम, मत्स्य, बिजली एवं विद्युत आपूर्ति आदि विभागों द्वारा मांगी गई धनराशि के खर्च को लेकर पूरी जानकारी नहीं दी. रिपोर्ट में यह भी नहीं बताया कि सूखा प्रभावित जिलों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने तथा बिजली की आपूर्ति को बेहतर करने के लिए ट्रांसफार्मरों की मरम्मत और नये ट्रांसफार्मर लगाने के लिए तुरंत कितनी मदद की आवश्यकता है.केंद्र के अफसरों का मत है कि यूपी सरकार को सूखे से निपटने के लिए 6138 करोड़ का पैकेज मांगते हुए विस्तार से सूखे से हुए नुकसान का उल्लेख करना चाहिए था पर ऐसा नहीं किया गया.
यही नहीं सूखा राहत के लिए केंद्र सरकार से मिले 400 करोड़ रुपये के खर्च का ब्यौरा भी रिपोर्ट में नहीं दिया गया. इन खामियों के चलते केंद्र सरकार ने सूखे के संबंध में राजस्व, कृषि, पशु पालन, सिंचाई, विद्युत और जल निगम विभाग की आधी अधूरी सूचनाओं को पूर्ण कर भेजने को कहा है. अब वांछित सूचनाएं‍ मिलने के बाद ही सूखे के संबंध में यूपी सरकार के भेजे गए पैकेज पर केंद्र सरकार विचार करेगी. फिलहाल सूबे के बड़े अफसर केंद्र सरकार द्वारा मांगी गई सूचनाएं तैयार कराने में जुटे हैं. वही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं.
प्रदेश सरकार ने मांगी मदद
सिंचाई विभाग : 1498.1 करोड़
विद्युत निगम : 1162 करोड़
कृषि विभाग : 999.33 करोड़
पशुपालन विभाग : 639.76 करोड़
जल निगम : 555.03 करोड़
लघु सिंचाई : 258.65 करोड़
वन विभाग : 109.25 करोड़
सिंचाई व जल संसाधन : 91.39 करोड़
स्वास्थ्य विभाग : 38.76 करोड़
मत्स्य विभाग : 71.06 करोड़
उद्यान विभाग : 20.57 करोड़
भूजल विभाग : 9.11 करोड़
सूखा प्रभावित जिले : हरदोई, बांदा, कानपुर नगर, उन्नाव, आजमगढ़, बरेली, मऊ, कन्नौज, झांसी, चित्रकूट, मथुरा, एटा, अलीगढ़, अमरोहा, जालौन, पीलीभीत, जौनपुर, हमीरपुर, फैजाबाद, सहारनपुर, मेरठ, रामपुर, बदायूं, औरैया, चंदौली, अमेठी, कुशीनगर, मुजफ्फरनगर, शामली, देवरिया, कौशांबी, फतेहपुर, हापुड़, इटावा, कानपुर देहात, मैनपुरी, बुलंदशहर, महोबा, सोनभद्र, फीरोजाबाद, महाराजगंज, फरुखाबाद, गाजियाबाद व गौतमबुद्धनगर.

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