28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

व्यापमं घोटाला : बिहार के 300 छात्रों ने एमपी मेडिकल कॉलेजों में लिया है एडमिशन, 25-30 लाख था रेट

पटना: व्यापमं घोटाले में बिहार के छात्र सिर्फ स्कॉलर के रूप में ही काम नहीं करते थे, बल्कि बड़े स्तर पर इस धांधली के खेल में शामिल होकर एडमिशन भी लेते थे. इस दौर में रईस परिवारों की संतानें राज्य में मौजूद इसके ‘सेटरों’ से संपर्क साध कर बड़ी आसानी से मध्य प्रदेश के किसी […]

पटना: व्यापमं घोटाले में बिहार के छात्र सिर्फ स्कॉलर के रूप में ही काम नहीं करते थे, बल्कि बड़े स्तर पर इस धांधली के खेल में शामिल होकर एडमिशन भी लेते थे. इस दौर में रईस परिवारों की संतानें राज्य में मौजूद इसके ‘सेटरों’ से संपर्क साध कर बड़ी आसानी से मध्य प्रदेश के किसी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन करा लेते थे.

अगर ज्यादा रुपये खर्च करके कोई अच्छा स्कॉलर के जरिये सेटिंग कर दी, तो एमपी के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, सागर में मौजूद कई अच्छे कॉलेजों में भी आसानी से एडमिशन मिल जाता था. इतना ही नहीं, कुछ मामलों में तो सामान्य रेट से ज्यादा कीमत चुकानेवालों को मनपसंद कॉलेज आसानी से मिल जाता था. बिहार से लेकर एमपी के ‘रैकेटियर’ मिलजुल कर सारा खेल खेलते थे.

शुरुआती अनुमान के अनुसार बिहार के करीब 300 छात्रों ने फर्जी तरीके से मध्यप्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन लिया है. हालांकि इसका कोई सटीक आंकड़ा अभी तक सामने नहीं आया है. एमपी एसटीएफ की शुरुआती जांच में यह बात सामने आयी है कि 2007 से 20014 के बीच करीब दो हजार छात्रों ने फर्जीवाड़ा करके मेडिकल, इंजीनियरिंग समेत अन्य कोर्सो में एडमिशन लिया है, लेकिन इनमें मेडिकल में एडमिशन लेनेवालों की संख्या सबसे ज्यादा है. 2013 में व्यापमं में 580 सीटें दूसरे राज्यों के छात्रों के लिए रखी गयी थीं. इनमें 460 सीटें पहले ही बुक हो चुकीं थीं. यानी इन सीटों पर पहले ही दलालों या सेटरों ने कब्जा जमा लिया था. जांच कर रही एजेंसियों के शुरुआती अनुमान के मुताबिक, इन 460 सीटों में बिहार के करीब 250 छात्रों का एडमिशन एमपी के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में हुआ था.इससे पहले के वर्षो में भी एडमिशन में बड़े स्तर पर धांधली हुई है. पिछले वर्षो की रिपोर्टो की फाइलें खंगाली जा रही है.

25-30 लाख में होता था एडमिशन का खेल
प्राप्त सूचना के अनुसार, मेडिकल में एडमिशन की रेट सबसे ज्यादा होती थी. इसके लिए प्रति छात्र 25-30 लाख के बीच रुपये लिये जाते थे. पसंदीदा कॉलेज और रैंक के आधार पर भी यह रेट बढ़ती थी. कई बार सीटें कम और छात्र ज्यादा होने पर ज्यादा पैसे देने वालों का ही एडमिशन होता था. इस पैसे का सबसे बड़ा हिस्सा सेटरों के पास जाता था, फिर स्कॉलर के पास दूसरा बड़ा हिस्सा जाता था.
बिहार पुलिस को नहीं सौंपी सूची
इस घोटाले की जांच कर रही एमपी की एसटीएफ ने अभी तक बिहार पुलिस को इस फर्जीवाड़ा में शामिल लड़कों की कोई सूची नहीं सौंपी है. इस वजह से बिहार पुलिस व्यापमं घोटाले की अपनी तरफ से कोई जांच नहीं कर रही है. पुलिस मुख्यालय का कहना है कि यह मामला एमपी में हुआ और एफआइआर भी वहीं दर्ज है. इस वजह से इस मामले में दोबारा एफआइआर नहीं हो सकती. स्थानीय पुलिस से जितना एमपी पुलिस सहयोग मांग रही है, उतना सहयोग किया जा रहा है.
बिहार में रैकेट चलानेवाले अधिकतर डॉक्टर
बिहार में व्यापमं के जरिये एमपी मेडिकल में एडमिशन कराने वाले बड़े सेटर एमबीबीएस डिग्रीधारी डॉक्टर ही हैं. ये लोग विभिन्न कॉलेजों से पास होकर वर्तमान में सरकारी नौकरी कर रहे हैं या कुछ ने दिल्ली, मुंबई, पटना समेत अन्य स्थानों पर निजी नर्सिग होम खोल रखा है. अपनी करोड़ों की काली कमाई को सफेद करने के लिए नर्सिग होम खोलना इनके लिए सबसे अच्छा रास्ता है. इस रैकेट में पहले के कुख्यात डॉक्टरों ‘डॉन’ गिरोह के भी प्रमुख रूप से सक्रिय होने के संकेत मिल रहे हैं. जांच पूरी होने के बाद ही इनकी संलिप्तता साबित हो पायेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें