29.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

वित्तीय कंपनियों को भरोसा, बजट के बाद रेपो रेट में कटौती कर सकता है RBI

नयी दिल्ली : वैश्विक वित्तीय एजेंसियों की राय है कि वित्त मंत्री जेटली ने राजकोषीय घाटे को सीमित करने की राह पर चलने की जो मजबूती इस बार बजट में दिखायी है उससे भारतीय रिजर्व बैंक के लिए कर्ज और सस्ता करने का अवसर मिलेगा. एक राय है कि आरबीआई सितंबर तक रेपो दर (वह […]

नयी दिल्ली : वैश्विक वित्तीय एजेंसियों की राय है कि वित्त मंत्री जेटली ने राजकोषीय घाटे को सीमित करने की राह पर चलने की जो मजबूती इस बार बजट में दिखायी है उससे भारतीय रिजर्व बैंक के लिए कर्ज और सस्ता करने का अवसर मिलेगा. एक राय है कि आरबीआई सितंबर तक रेपो दर (वह दर जिसपर वह बैंकों को एक दिन के लिए नकद राशि देता है) 0.75 प्रतिशत तक कम कर सकता है.

सिटी ग्रुप ने अपने एक अनुसंधान पत्र में कहा है कि कल प्रस्तुत किये गये 2017-18 के बजट में ‘राजकोषीय घाटे का लक्ष्य आशंकाओं से कम स्तर पर है और बाजार से उठाये जाने वाले सरकारी कर्ज की अनुमाति राशि भी अपेक्षाकृत कम है. यह दोनों बातें ब्याज दर (कटौती) के लिए अनुकूल है.’

सिटी ग्रुप का मानना है कि ‘0.25 प्रतिशत की कटौती की संभावना फरवरी की जगह अप्रैल में अधिक लगती है.’ रिजर्व बैंक ने दिसंबर में रेपो दर को 6.25 प्रतिशत पर स्थिर रखा. बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफा) की राय है कि नोटबंदी के वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव को दूसरी छमाही में कम करने के लिए रिजर्व बैंक सितंबर तक अपनी नीतिगत दर में 0.50 से 0.75 प्रतिशत तक की कटौती कर सकता है.

बोफा के एक परचे में कहा गया है, ‘हम अपने इस रुख को लेकर और आश्वस्त हुए है कि बजट-2017 से रिवर्ज बैंक को सितंबर तक ब्याज दर में 0.50 से 0.75 प्रतिशत तक कटौती करने में मदद मिलेगी ताकि नोटबंदी के प्रभावों को 2017 के उत्तरार्ध में समाप्त किया जा सके.’

गौरतलब है कि वित्त मंत्री जेटली ने वर्ष 2017-18 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.2 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है जो चालू वित्त वर्ष में 3.5 प्रतिशत के लक्ष्य तक सीमित रहेगा. पूर्व योजना के अनुसार अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत तक सीमित करने की योजना थी.

अब इस लक्ष्य को 2018-19 में हासिल करने की योजना है. आठ नवंबर 2016 को 1000, 500 के पुराने नोट बदलने के सरकार के निर्णय के बाद चलन में नकदी की कमी आने से मांग प्रभावित हुई है. इस कारण चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि का अनुमान 6.5 प्रतिशत कर दिया गया जबकि पिछले साल वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत थी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें