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गांधी जी के पौत्र ने कहा – जमीन अधिग्रहण अौर ‘आधार’ में हो रही जुल्म-जबरदस्ती

पटना : पूर्व राज्यपाल और महात्मा गांधी के पौत्र गोपाल कृष्ण गांधी ने कहा कि देश में आज जमीन अधिग्रहण और आधार कार्ड के नाम पर जुल्म जबरदस्ती हो रही है. चंपारण सत्याग्रह शताब्दी 2017-18 में राष्ट्रीय विमर्श के उद्घाटन के बाद उन्होंने कहा कि जमीन अधिग्रहण एक्ट के तहत जिनकी जमीन होती थी उनसे […]

पटना : पूर्व राज्यपाल और महात्मा गांधी के पौत्र गोपाल कृष्ण गांधी ने कहा कि देश में आज जमीन अधिग्रहण और आधार कार्ड के नाम पर जुल्म जबरदस्ती हो रही है. चंपारण सत्याग्रह शताब्दी 2017-18 में राष्ट्रीय विमर्श के उद्घाटन के बाद उन्होंने कहा कि जमीन अधिग्रहण एक्ट के तहत जिनकी जमीन होती थी उनसे सरकार सामाजिक काम के लिए जमीन ले सकती थी. आज एक नहीं तीन-तीन अध्यादेश लाये जा रहे हैं. जमीन का अधिकार लोगों के हाथ से छीनने के लिए कि कैसे व किस तरह से जमीन ले ली जाये. मुआवजा, क्षतिपूर्ति को दरकिनार कर इस एक्ट को एेसा मजबूत बनाया जा रहा है जिसे अंगरेजों ने भी नहीं बनाया था. आपातकाल में अध्यादेश लाये जाते हैं. आज अध्यादेश लाने के कई मुद्दे हैं, लेकिन जमीन अधिग्रहण पर लायी जा रही है.

आधार खतरनाक होते जा रहा है-गोपाल कृष्ण

उन्होंने कहा कि लोगों की इच्छा मालूम करिये, लोगों की स्वेच्छा ले जमीन लें. ग्राम सभा से नहीं पूछा जा रहा है कि आवश्यकता ही नहीं है. सोशल इंपैक्ट असेसमेंट की जरूरत ही नहीं है, इससे समय नष्ट होता है. जल्द से जल्द हमें जमीन चाहिए और जल्द से जल्द हम जमीन को लेंगे. जुल्म व जबरदस्ती सिर्फ इन दिनों में नहीं और मुद्दों में भी हैं और हम जुल्म अौर जबरदस्ती देख रहे हैं. यही हाल आज आधार नंबर का हो गया है. उसे जबरन लागू किया जा रहा है. क्या आज मध्याह्न भोजन में आधार नंबर की जरूरत है? लगता है कि आधार शक्ति देने के बजाए अब हमसे कुछ ले जा रहा है. जब आधार आया था तो लगा था कि शक्तियां मिलेगी, कुछ दरवाजे इससे खुलेंगे, लगा कोई नंबर काम नहीं करेगा तो आधार का नंबर काम कर जायेगा, लेकिन देखते देखते यह हुआ कि चाबी हमारे हाथ से हमारे काम के लिए नहीं किसी और हाथ में किसी और काम में लिए चल रही है. ऐसे दरवाजे खिड़कियां खोल रही हैं, जिनकी हमें कल्पना नहीं थी. आधार एक बड़ा सशक्त और सुधार देने वाला एक तैयार हो सकता है, पर आधार एक बहुत खतरनाक हम सबके आधारों को हिला देने वाला औजार भी हो सकता है.

जमीन खतरे में- गोपाल कृष्ण

उन्होंने कहा कि हमें जागरूक रहना होगा. जमीन अधिग्रहण एक्ट का जिस प्रकार दुरुपयोग हो रहा है, कहीं ऐसा न हो जायेगा आधार भी दुरुपयोग हो और हम अपने आप को प्रकाश के अंधकार में पायें. अब नरेगा में भी आधार चाहिए. नरेगा के तहत जो मिलना चाहिए, जितना मिलना चाहिए वह तो नहीं मिल रहा है, लेकिन आधार कार्ड से भुगतान की बात हो रही है. उन्होंने कहा कि चंपारण सत्याग्रह जमीन से ही जुड़ा हुआ था. जमीन पर कई तरह की निगाह होती है. जमीन खतरे में है. किसान व कृषि पीड़ा में है. जो जमीनी लूट हो रही है औरकिसान क्राइसिस दौर से गुजर रहे हैं यह नहीं होना चाहिए. इसमें बदलाव लाना चाहिए.

गांधीवादी कहने वाला अपने आप को देता है धोखा

पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी ने कहा कि गांधी जी के प्राकृतिक परिवार से ज्यादा गांधी जी के वैचारिक परिवारों का महत्व है. गांधी जी का वैचारिक परिवार के सदस्य बहुत समर्पित हैं. जो अपने आप को गांधीवादी कहते हैं वह एक तरह से अपने आप को धोखा देता है. गांधी का नाम लिये बिना जो गांधी का काम करने में है, वे ही असली गांधीवादी हैं. गोपाल कृष्ण गांधी ने राजकुमार शुक्ल का जयकारा लगाते हुए कहा कि उन्होंने ही गांधी को गांधी के रूप में काम करने को मजबूर किया. यही बिहार की विशेषता रही है. सिद्धार्थ, अशोक के समय भी अंधकार में बिहार ने प्रकाश दिखाया यहऐतिहासिक सत्य है. बिहार के आह्वान से जो शुरू हुआ जिस चिनगारी से कई चिनगारी चमकी और अंधकार में प्रकाश हुआ. चंपारण सत्याग्रह के सौ साल बाद व आजादी के 70 साल बाद प्रकाश है, लेकिन इस प्रकाश में अंधकार है. उस अंधकार को बिहार फिर से प्रकाश दिखायेगा. बिहार की प्रेरणा देश के भाल पर इस अंधकार से बाहर ले जायेगी.

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