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NEET परीक्षा कैसे होता है सेटिंग का खेल, परीक्षा के बाद सेटर से बातचीत का ऑडियो हुआ वायरल

पटना : नीट रविवार को लिया गया. परीक्षा के बाद कई ऑडियो वायरल हुआ है. इस ऑडियो में सेटर के साथ एक छात्रा की बातचीत है. इसमें नीट को लेकर टेस्ट के पहले और बाद के बातचीत के अंश हैं. हर ऑडिया तीन से आठ मिनट का है. बातचीत में सेटर ने छात्रा को बताया […]

पटना : नीट रविवार को लिया गया. परीक्षा के बाद कई ऑडियो वायरल हुआ है. इस ऑडियो में सेटर के साथ एक छात्रा की बातचीत है. इसमें नीट को लेकर टेस्ट के पहले और बाद के बातचीत के अंश हैं. हर ऑडिया तीन से आठ मिनट का है. बातचीत में सेटर ने छात्रा को बताया है कि सेंटर पर उसे आंसर कैसे दी जायेगी. कैसे आंसर पहुंचाने के लिए सेंटर मैनेज हाेता है.

इस तरह के ऑडियो हैं वायरल, सेटर और अभ्यर्थी के बीच बातचीत के अंश

छात्र : मेरा सेलेक्शन करवा दीजिएगा. बिहार का मेडिकल कॉलेज ही चाहिए

सेटर : बीसीइसीइ रहता तो करवा देता, बीसीइसीइ में करवाना आसान होता है.

छात्र : आप एडमिट कार्ड मांग रहे है. लेकिन एडमिट कार्ड देने में डर लग रहा है. लड़की हूं ना. आप समझ सकते है.

सेटर : कोई दिक्कत नहीं होगा. जो सेट आपके पास आयेगा, उसी का आंसर दे देंगे. सब नंबरिंग उसी के अनुसार होता है. एडमिट कार्ड देने से कोई दिक्कतें नहीं है.

छात्र : किसी भी तरह से मेरा बिहार के किसी कॉलेज में हो जाता तो बढ़िया रहता

सेटर : इस परीक्षा को सीबीएसइ लेता है. इस कारण थोड़ा दिक्कतें है. लेकिन मै कोशिश करुंगा कि आपका हो जायें. एडमिट कार्ड दिजिएगा तो उसी के अनुसार आपको सेट उपलब्ध करवाउंगा.

छात्र : आप कितना पैसे लेते है सेलेक्शन के लिए

सेटर : वो स्टूडेंट्स पर निर्भर करता है. जिसके साथ जो सेटिंग हो गया उसी के अनुसार लेते है. कोई 22 लाख देता है. जितना पैसा मिलता है. उसी के अनुसार मुझे पैसे बचता है.

छात्र : क्या परचा लीक हो गया है. आपने कहा था कि मेरा सेलेक्शन हो चुका है.

सेटर : हां आप आराम से रहिये. आपका हो चुका है. जो पकड़ाया है वह मेरा आदमी नहीं है. संजीव सिंह मेरा आदमी नहीं है. मेरा काम धर्मेंद्र यादव से है. काम करने वाला बहुत गिरोह है. सब अपने-अपने तरीके से काम करते हैं

छात्र : अखबार में आया है कि परचा लीक हो गया है.

सेटर : परचा लीक करने की कोशिश की गयी है. हुई नहीं है. कोलकाता में हुआ है. यहां पर लीक होने से पहले पकड़ा गया है.

छात्र : मुझे तो लगा कि आप फिर से बेवकूफ बना रहे है. आपके स्टॅडेट्स सबका क्या होगा

सेटर : उन लोगों का तो हो गया है. मैने जितका पैसा लिया है सबका हो गया है.

छात्र : आपके सारे केंद्र पटना में ही कैसे हो गया.

सेटर : ये सारा कोई सेंटर के कोडिंग से होती है. इसके लिए भी सेंटिंग हुई है

छात्र : आपने समय से उत्तर दे दिया था मुझे

सेटर : परीक्षा के पहले उत्तर मिले, इसलिए मैने 8.30 बजे उत्तर बताया था. इससे दिक्कतें न हों.

छात्र : आपलोग बहुत पैसे लेते है. अखबार में लिखा है कि 22 लाख तक लिया है आपने

सेटर : देनेवाला तो 35 लाख तक भी देता है. प्राइवेट कॉलेज में नामांकन करवाने से तो अच्छा है कि 30 लाख देकर हम सरकारी कॉलेज में एडमिशन कराएं.

नीट में हुईं थीं कई गड़बड़ियां, अब आ रही हैं सामने

नेशनल इलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट 2017 में धांधली न हो, इसलिए पहली बार सीबीएसइ ने जिला प्रशासन से मदद ली थी. हर केंद्र पर मजिस्ट्रेट नियुक्त किये गये थे. पटना के 32 परीक्षा केंद्रों पर मजिस्ट्रेट के नाम के साथ उन्हें ड्यूटी दी गयी थी. लेकिन, इसमें से छह ऐसे परीक्षा केंद्र थे, जहां पर मजिस्ट्रेट नहीं थे. जिला नियंत्रण कक्ष से जारी संयुक्त आदेश में जिन मजिस्ट्रेट का नाम है, उन मजिस्ट्रेट से जब बातें की गयीं तो पता चला कि वे केंद्र पर नहीं गये थे. फिर किसने परीक्षा की मॉनीटरिंग की.

गौरतलब है कि बीएसएससी प्रश्नपत्र लीक मामला और 2015 में एआइपीएमटी की परीक्षा में बड़े स्तर पर नकल की घटना को देखते हुए, एहतियात के तौर पर सारे परीक्षा केंद्रों पर मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारी नियुक्त किये गये थे.

नॉन एफिलिएटेड स्कूल में बना दिया गया केंद्र
पटना में कई ऐसे केंद्र हैं, जो सीबीएसइ से मान्यता प्राप्त नहीं हैं. सीबीएसइ के एफिलिएशन वाली सूची में ये स्कूल नहीं हैं. डीएवी खगौल की मानें तो इस स्कूल का एफिलिएशन 2014 में ही समाप्त हो गया है. लेकिन, इस स्कूल में भी परीक्षा केंद्र बनाया गया था.

प्रश्नपत्र पहुंचने में क्यों लगा समय

नीट सिटी को-ऑर्डिनेटर एस वल्लभम के अनुसार सारे केंद्राधीक्षक को 6 से 6.15 बजे तक प्रश्नपत्र दे दिया गया था. लेकिन, सूत्रों की मानें, तो कहीं पर 7.30 तो कहीं साढ़े आठ बजे प्रश्नपत्र पहुंचा.

मैं इस संबंध में कोई काॅमेंट नहीं करना चाहती. मेरे यहां परीक्षा सही से हुई है. सिंपल कुमारी सिन्हा, पटना दून पब्लिक स्कूल, दानापुर

हमने पूरी चेकिंग की है. क्लास रूम में एनाउंस भी करवाया गया था.
डीके सिंह, प्राचार्य, आरपीएस रेसि डेंसियल

सारे परीक्षार्थियों की पूरी जांच हुई थी. जो भी कह रहा है, वह गलत है. ऐसी कोई बात नहीं थी.
अजय कुमार, प्राचार्य, प्रेसिडेंसी ग्लोबल स्कूल, दानापुर

मैं ड्यूटी पर नहीं था. मेरा नाम था, लेकिन मैं 19 फरवरी से ही छुट्टी पर हूं. इसकी सूचना मैंने दे दी थी.
नंदकिशोर साह, मजिस्ट्रेट, प्रेसिडेंसी ग्लोबल स्कूल

सारे अभ्यर्थी की जांच की गयी थी. जो बोला जा रहा है वह अफवाह हैं. विजयंती शर्मा, प्राचार्य, आरपीएस पब्लिक स्कूल, अगमकुआं

मैं ड्यूटी पर नहीं था. मै छुट्टी पर हूं. मैंने सूचना दी थी, इसके बाद भी ड्यूटी दे दी गयी थी.
देवेंद्र प्रसाद सिंह, मजिस्ट्रेट, आरपीएस पब्लिक स्कूल, अगमकुअां

मैं इस पर कोई कॉमेंट नहीं करूंगी. मुझे बात करने से मना किया गया है. सीमा सिंह, प्राचार्य, संत कैरेंस हाइस्कूल
मैं ड्यूटी नहीं गया था. ड्यूटी लगायी गयी थी, लेकिन मैंने मना कर दिया था. हरे राम निराला, मजिस्ट्रेट, संत कैरेंस

मेरी ड्यूटी लगी थी, लेकिन मैं नहीं गया था. क्योंकि मैं अभी छुट्टी पर हूं. रामधनी राम, मजिस्ट्रेट, डीएवी, वाल्मी

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