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दीपा मलिक : पैरालंपिक में पदक जीत इतिहास रचने वाली इस भारत की बेटी की दर्द भरी कहानी, देखें VIDEO

36 की उम्र में ज्यादातर खिलाड़ी खेल से संन्यास ले लेते हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात है कि एक महिला खिलाड़ी ने उसी उम्र से अपने कैरियर की शुरुआत की. जी हां, यहां बात हो रही है गोला फेंक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली खिलाड़ी दीपा मलिक की. दो बेटियों की मां दीपा मलिक […]

36 की उम्र में ज्यादातर खिलाड़ी खेल से संन्यास ले लेते हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात है कि एक महिला खिलाड़ी ने उसी उम्र से अपने कैरियर की शुरुआत की. जी हां, यहां बात हो रही है गोला फेंक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली खिलाड़ी दीपा मलिक की. दो बेटियों की मां दीपा मलिक ने पिछले साल पैरालंपिक में गोला फेंक प्रतियोगिता में भारत क‍े लिए रजत पदक जीता था. इसके बाद उनकी देश भर में जमकर प्रशंसा हुई थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ देश के कई दिग्गज खिलाडियों ने उनकी प्रशंसा की थी. सचिन तेंदुलकर और अभिनव बिंद्रा जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनने पर दीपा को बधाई दी थी. दो बेटियों की मां दीपा मलिक की कहानी काफी दर्दनाक रहा है. उनका जीवन संघर्षों से भरा है. उन्‍हें कई बार स्पाइनल सर्जरी से गुजरना पड़ा. इसके बाद दीपा दोनों पैरों से लाचार हो गयी. लेकिन इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारा और अपनी लड़ाई जारी रखी.

18 साल पहले रीढ में ट्यूमर के कारण उनका चलना असंभव हो गया था. दीपा के 31 ऑपरेशन किये जिसके लिये उनकी कमर और पांव के बीच 183 टांके लगे थे. गोला फेंक के अलावा दीपा ने भाला फेंक, तैराकी में भाग लिया था. वह अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में तैराकी में पदक जीत चुकी है. भाला फेंक में उनके नाम पर एशियाई रिकार्ड है जबकि गोला फेंक और चक्का फेंक में उन्होंने 2011 में विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीते थे.
दीपा बताती हैं कि उन्‍हें लोगों के ताने सुनने पड़ते थे. लेकिन लोगों के नकारात्‍मक सोच ने उन्‍हें आगे कुछ करने के लिए आंदोलित किया. दीपा ने बताया कि उन्‍हें देखकर लोग दकियानूसी बातें करते थे, क्‍योंकि वो विकलांगता को एक ही नजरिये से देखते थे.
उन्‍होंने बताया कि कई खेलों को अपनाने के बाद उन्‍होंने शॉट पूट को चुना. ये फैसला तब रंग लाया जब रियो पैरालंपिक में भारत के लिए एफ-53 में रजत पदक जीती. अब दीपा की नजर लंदन विश्व पारा एथेलेटिक्‍स चैंपियनशिप पर है. दीपा अपनी सफलता पर बोलती हैं कि कामयाबी मेहनत से आती है, कामयाबी का कोई शॉटकट रास्‍ता नहीं है.

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