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कौन हैं रानी ”पद्मावती”? जानें ”The Goddess Queen” के बारे में 7 खास बातें…

संजय लीला भंसाली की आगामी फिल्‍म ‘पद्मावती’ का फर्स्‍टलुक रिलीज कर दिया गया है. फिल्‍म के पोस्‍टर से यह साफ हो गया है कि फिल्‍म साल 1 दिसंबर को रिलीज होगी. पोस्‍टर को स्‍पेशल नवरात्र‍ि के मौके पर लॉन्‍च करने का कारण ये बताया जा रहा है कि पद्मावती भारतीय संस्‍कृति को सेलीब्रेट करती थीं […]

संजय लीला भंसाली की आगामी फिल्‍म ‘पद्मावती’ का फर्स्‍टलुक रिलीज कर दिया गया है. फिल्‍म के पोस्‍टर से यह साफ हो गया है कि फिल्‍म साल 1 दिसंबर को रिलीज होगी. पोस्‍टर को स्‍पेशल नवरात्र‍ि के मौके पर लॉन्‍च करने का कारण ये बताया जा रहा है कि पद्मावती भारतीय संस्‍कृति को सेलीब्रेट करती थीं ऐसे में इस मौका पोस्‍टर लॉन्‍च करने का सही मौका है. फर्स्‍टलुक में दीपिका पादुकोण बेहद खूबसूरत लग रही हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि दीपिका का लुक जितना आकर्षक लग रहा है उन्‍हें तैयार होने में उतना ही कम वक्‍त लगता था. इस किरदार के लिए दीपिका मात्र आधे घंटे में तैयार हो जाती थी, उन्‍हें कम से कम मेकअप दिया जाता था. जानें रानी पद्मावती के बारे में ये 7 दिलचस्‍प बातें…

1. इतिहास से नाता रखनेवाले लोग ‘पद्मावती’ की कहानी से वाकिफ ही होंगे. सबसे पहले यह किरदार कवि मलिक मुहम्‍मद जायसी की वजह से 15-16वीं सदी में सुर्खियों में आया. उन्‍होंने अपने ग्रंथ ‘पद्मावत’ में पद्मावती की कहानी बयां की. वे सिंहल द्वीप के राजा गंधर्व सेन और रानी चंपावती की पुत्री थीं. इसके बाद से ही बहस शुरू हुई कि इतिहास के पन्‍नों में क्‍या पद्मावती का नाम दर्ज है ? या महज यह एक साहित्यिक किरदार भर है?

2. रानी पद्मिनी चित्‍तौड़ की रानी थीं. उनकी शादी चित्‍तौड़ के राजा रावल रतन सिंह के साथ हुई थी. महाकाव्‍य ‘पद्मावत’ के अनुसार रानी पद्मावती अप्रतिम सौंदर्य की धनी थीं.

3. एक दिन इनकी खूबसूरती पर दिल्‍ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी की नजर पड़ गई. अलाउद्दीन हर कीमत पर रानी पद्मिनी को हासिल करना चाहते थे. लिहाजा 1303 में पद्मावती को हासिल करने के लिए उन्‍होंने ने चित्‍तौड़ पर हमला कर दिया.

4. इस युद्ध में राजपूतों की हार हुई और राजा रावल रतन सिंह मारे गये. यु्द्ध में विजय हासिल करने के बाद अलाउद्दीन खिलजी जब महल में पहुंचा तो पाया कि रानी पद्मावती समेत राजपूत महिलाओं ने जौहर कर लिया था.

5. जौहर मध्‍ययुग में एक ऐसी प्रथा थी जब राजपूत राजाओं के युद्ध में मारे जाने के बाद उनकी रानियां दुश्‍मन से खुद को बचाने के लिए सामूहिक रूप से आत्‍मदाह कर लेती थीं.

6. इसी तरह रानी पद्मवाती ने अपनी इज्‍जत को बरकरार रखने के लिए आग में कूदकर अपनी जान दे दी थी और खिलजी को हाथ तक लगाने न दिया था.

7. वहीं, इस कहानी की प्रमाणिकता को लेकर इतिहासकारों में शुरुआत से मतभेद रहा है. कई इतिहासकारों मानते हैं कि इतिहास के पन्‍नों में अलाउद्दीन के जमाने में पद्मावती नाम के किसी किरदार का जिक्र नहीं मिलता. उनके मुताबिक यह सिर्फ एक साहित्यिक किरदार थीं.

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