नयी दिल्ली : पेट्रोल, डीजल के दाम में हाल में आयी तेजी की वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ना नहीं, बल्कि अमेरिका में आया तूफान है.
अमेरिका में हाल में आये तूफान के कारण विश्व बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़े. इसके अलावा पेट्रोलियम पदार्थों पर उत्पाद शुल्क और वैट की ऊंची दर से भी ईंधन महंगा है.
पेट्रोलियम क्षेत्र के विशेषज्ञों ने यह बात कही. विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्थिति सामान्य होने के साथ यहां भी दाम नीचे आयेंगे.
जानकारों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम पिछले कुछ समय से 50 से 55 डाॅलर प्रति बैरल के दायरे में ही हैं जो कच्चे तेल के लिहाज से उसके दाम का सामान्य से नीचे का स्तर है.
देश में पेट्रोल, डीजल के दाम में पिछले एक-डेढ़ माह के दौरान आने वाली तेजी की असली वजह अमेरिका में आया तूफान है. उल्लेखनीय है कि अगस्त के दूसरे पखवाड़े में ह्यूस्टन, टेक्सास में हैरी तूफान ने भारी तबाही मचायी, उसके बाद सितंबर के पहले पखवाड़े में फ्लोरिडा में इरमा तूफान से गतिविधियां प्रभावित रहीं.
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इंडियन आॅयल कॉरपोरेशन के पूर्व चेयरमैन आरएस बुटोला के मुताबिक, अमेरिका में तूफान से वहां रिफाइनरी उत्पादन ठप पड़ गया. अमेरिका में करीब दो करोड़ बैरल प्रतिदिन उत्पादन क्षमता की रिफाइनरियां हैं.
इनसे घरेलू खपत के साथ पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात भी किया जाता है. तूफान की वजह से इसमें से 30 से 40 लाख टन उत्पादन क्षमता प्रभावित हुई.
इससे अमेरिका में निर्यात के लिए पेट्रोल का फ्री-ऑन-बोर्ड (एफओबी) दाम यानी निर्यात मूल्य जो कि जून में औसतन 1.44 डाॅलर प्रति गैलन चल रहा था, वह तूफान आने की खबरों से अगस्त में बढ़ कर 1.62 डाॅलर और तूफान आने के बाद सितंबर तक बढ़ कर 1.83 डाॅलर प्रति गैलन तक पहुंच गया.
उन्होंने कहा, डाॅलर-रुपये की विनिमय दर और गैलन-प्रति लीटर के हिसाब से यह असर करीब छह-सात रुपये प्रति लीटर बैठता है. पेट्रोलियम उत्पादों का विपणन करने वाली देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन आॅयल कॉरपोरेशन के प्रवक्ता के मुताबिक, देश में पेट्रोल-डीजल के दाम इस साल जून मध्य से दैनिक आधार पर अंतरराष्ट्रीय बाजार की घट-बढ़ के अनुरूप तय होते हैं.
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वैसे तो पेट्रोलियम पदार्थ पर मूल रूप से कच्चे तेल के दाम का ही असर होता है क्योंकि कच्चे तेल से ही ये उत्पाद तैयार होते हैं लेकिन हाल की तेजी कच्चे तेल की वजह से नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ने की वजह से आयी है.
बुटोला के अनुसार पेट्रोल, डीजल में आयी यह तेजी अस्थायी है. अमेरिका की रिफाइनरियों में उत्पादन सामान्य हो रहा है इसलिए उम्मीद है कि जैसे-जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल, डीजल के दाम की वृद्धि कम होगी, भारत में भी इसका असर दिखाई देगा.
जानकारों के अनुसार, पेट्रोलियम पदार्थों की तेजी में उत्पाद शुल्क और राज्यों में लगने वाले वैट की ऊंची दर का भी योगदान है. ऊंची वैट दर का ही परिणाम है कि मुंबई में पेट्रोल का दाम 23 सितंबर के मूल्य के मुताबिक जहां 79.53 रुपये लीटर है, वहीं डीजल का खुदरा मूल्य 62.35 रुपये लीटर है.
दिल्ली में वैट दर महाराष्ट्र के मुकाबले कम है, इसलिए दिल्ली में पेट्रोल का दाम 70.42 रुपये लीटर और डीजल का दाम 58.69 रुपये लीटर है. उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, वर्तमान में पेट्रोल पर 21.48 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क लगता है जबकि दिल्ली में इस पर 27 प्रतिशत की दर से वैट वसूला जाता है.
इसी तरह डीजल पर 17.33 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क केंद्र सरकार लेती है, जबकि दिल्ली में डीलर कमीशन सहित 16.75 प्रतिशत की दर से वैट वसूला जाता है. विभिन्न राज्यों में वैट की दर अलग अलग है.