दिल्ली और एनसीआर के वातावरण में जिस तरह से प्रदूषण की वजह से स्मॉग छाया हुआ हैं, वह सिर्फ वहीं नहीं बल्कि पूरे देश के लिए खतरे की घंटी हैं. अभी तो यह उत्तर भारत की घोर समस्या हैं, पर जल्द ही यह देश के बाकी हिस्सों को भी अपनी चपेट में ले लेगा.
हम कुछ मुद्दों पर तो बहुत गंभीर होते हैं, मानो वह हमारे अस्तित्व से जुड़ा हो. परंतु कई मौकों पर हम यह भूल जाते हैं कि जीवन बचेगा तभी हम दूसरे मुद्दे पर ध्यान दे पायेंगें. प्रदूषण भी हमारे अस्तित्व से गहराई से जुड़ा हैं. समय की मांग है कि हम इसको समझे. इस विषय पर बोलने की नहीं वरन् काम करने की आवश्यकता हैं. प्रदूषण के खतरे को देखकर जमीन में सिर घुसा लेने की शुतुरमुर्ग वाली रणनीति छोड़ें अन्यथा बहुत देर हो जायेगी.
सीमा साही, बोकारो, इमेल से