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महाकाल मंदिर में दर्शन से रोकी गयीं पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा, जानें पूरा मामला…!

दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली दुनिया की पहली दिव्यांग महिला अरुणिमा सिन्हा को एक मंदिर में दर्शन करने के लिए इतनी मेहनत करनी पड़ी, जितनी उन्होंने पहाड़ चढ़ने में नहीं की थी. अपनी यह पीड़ा उन्होंने एक ट्विटर पोस्ट के जरिये बयान की है. दरअसल, उज्जैन के महाकाल मंदिर […]

दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली दुनिया की पहली दिव्यांग महिला अरुणिमा सिन्हा को एक मंदिर में दर्शन करने के लिए इतनी मेहनत करनी पड़ी, जितनी उन्होंने पहाड़ चढ़ने में नहीं की थी. अपनी यह पीड़ा उन्होंने एक ट्विटर पोस्ट के जरिये बयान की है.

दरअसल, उज्जैन के महाकाल मंदिर में दर्शन करने पहुंचीं अरुणिमा को उनके कपड़ों के चलते रोका गया और गर्भगृह में भी नहीं जाने दिया गया. मंदिर में अरुणिमा की दिव्यंगता का भी मजाक बनाया गया.

अपने साथ हुई इस घटना पर नाराजगी जताते हुए अरुणिमा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ट्विटर पर टैग करते हुए लिखा है, मुझे आपको यह बताते हुए बहुत दुख है कि मुझे एवरेस्ट जाने में इतना दुख नहीं हुआ जितना मुझे महाकाल मंदिर उज्जैन में हुआ. वहां मेरी दिव्यांगता का मजाक बना.

गौरतलब है कि अरुणिमा सिन्हा मध्य प्रदेश महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्री अर्चना चिटनिस के बुलावे पर युवाओं के एक सम्मेलन को संबोधित करने के लिए 23 दिसंबर को बुरहानपुर गयी थीं.

इस दौरान थोड़ा समय निकाल कर वह अगले दिन सुबह पांच बजे उज्‍जैन के महाकाल मंदिर दर्शन के लिए गयीं. चूंकि वह मंत्री की मेहमान थीं, लिहाजा मंदिर प्रशासन को अरुणिमा के आने के बारे में पहले ही जानकारी दे दी गयी थी.

बहरहाल, जब अरुणिमा वहां पहुंची और मंदिर के अंदर जाने लगीं, तो मंदिर के कर्मचारियों ने उन्हें यह कह कर रोक दिया कि वह लोअर, टी-शर्ट और जैकेट पहन कर मंदिर के अंदर नहीं जा सकतीं.

अरुणिमा बताती हैं कि मंदिर के अंदर जाने के लिए किसी ड्रेस कोड को बारे में मंदिर में उन्हें कुछ भी लिखा हुआ नहीं दिखा. इसके अलावा, अरुणिमा दिव्यांग हैं और उनके पैर कृत्रिम हैं, लिहाजा इन कपड़ों में ठंड के दिनों में उन्हें पैरों में आराम मिलता है. अरुणिमा ने सारी बात वहां मंदिर कर्मियों को समझाने की पूरी कोशिश भी की, लेकिन किसी ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया.

अपनी यह पीड़ा अरुणिमा के ट्विटर पर पोस्ट करने के बाद मध्य प्रदेश सरकार हरकत में आयी है. इस घटना पर राज्य के मंत्री भूपेंद्र सिंह ने दुख जताया है.

उन्होंने ट्विट किया है कि उन्हें इस पर बेहद अफसोस है. इस घटना के जांच के आदेश दे दिये गये हैं. आप देश का गौरव हैं, भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में आपका स्वागत है. बाद में मंदिर प्रशासन ने भी अरुणिमा को फोन कर पूरी घटना केलिए खेद जताया. सरकारी प्रवक्ता विश्वास सारंग अरुणिमा का राज्य में स्वागत करते हुए कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि अगली बार मंदिर आने पर उन्हें पूजा की अनुमति दी जाये.

गौरतलब है कि अरुणिमा सिन्हा नेशनल लेवल के वॉलीबॉल खिलाड़ी रह चुकी हैं. साल 2011 में चोरी का विरोध कर रहीं अरुणिमा को चोरों ने चलती ट्रेन से धक्का दे दिया था, जिसके बाद से वह कृत्रिम पैरों से चलती-फिरती हैं.

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