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दिल्ली का टकराव : एलजी ने किया तीन आईएएस का तबादला, मनीष सिसोदिया ने कहा-उपराज्यपाल हुक्म चला रहे

नयी दिल्ली : दिल्ली के उपराज्यपाल ने मंगलवार को तीन आईएएस अधिकारियों का तबादला कर दिया है. इस घटनाक्रम के बाद आप सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव फिर से बढ़ सकता है. उच्चतम न्यायालय द्वारा उपराज्यपाल का अधिकार भूमि, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था तक सीमित करने के फैसले के कुछ दिन बाद यह घटनाक्रम […]

नयी दिल्ली : दिल्ली के उपराज्यपाल ने मंगलवार को तीन आईएएस अधिकारियों का तबादला कर दिया है. इस घटनाक्रम के बाद आप सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव फिर से बढ़ सकता है. उच्चतम न्यायालय द्वारा उपराज्यपाल का अधिकार भूमि, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था तक सीमित करने के फैसले के कुछ दिन बाद यह घटनाक्रम हुआ है.

नये आदेश के मुताबिक सौम्या गुप्ता की जगह संजय गोयल को शिक्षा विभाग का निदेशक बनाया गया है. इसी तरह दक्षिण दिल्ली नगर निगम के उपायुक्त चंचल यादव को उपराज्यपाल का विशेष सचिव बनाया गया है. वसंतकुमार एन को विशेष आयुक्त (व्यापार और कर) बनाया गया है. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि उपराज्यपाल हुक्म चला रहे हैं. सिसोदिया ने संवाददाताओं से कहा, उपराज्यपाल ने मनमाने तरीके से सेवा विभाग अपने पास रख लिया है और हुक्म चला रहे हैं. शिक्षा निदेशक की नियुक्ति के पहले हमसे मशविरा करना चाहिए था. दिल्ली सरकार अपने बजट का 26 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च कर रही है और इस मुद्दे पर हमसे चर्चा तक नहीं की गयी.

इससेपहले मंगलवार को ही सेवाओं से जुड़े विषयों पर एलजी अनिल बैजल और मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा से मुलाकात की. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय में उनकी आधे घंटे तक बैठक चली. समझा जाता है कि इस दौरान बैजल, प्रकाश और गौबा ने दिल्ली सरकार की शक्तियों पर आये उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले के मद्देनजर सेवाओं से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की. हालांकि, बैजल ने बैठक का ब्योरा बताने से इनकार कर दिया. यह पूछे जाने पर कि क्या सेवाओं के मुद्दे पर बैठक में चर्चा हुई, एलजी ने कहा, मेरे और केजरीवाल के बीच सबकुछ ठीक है.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को उपराज्यपाल को पत्र लिखकर हैरानी जताते हुए कहा कि वह दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच अधिकारों को लेकर रस्साकशी पर आये उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले को चुनिंदा तरीके से कैसे स्वीकार कर सकते हैं. इस पर एलजी बैजल ने अपने जवाब में कहा कि शीर्ष न्यायालय के फैसले को चुनिंदा तरीके से स्वीकार करने का उन पर गलत आरोप लगाया गया. उच्चतम न्यायालय ने चार जुलाई के अपने फैसले में कहा था कि एलजी दिल्ली सरकार के नीतिगत फैसलों में बाधा नहीं डाल सकते हैं क्योंकि उनके पास स्वतंत्र शक्तियां नहीं हैं और वह निर्वाचित सरकार के परामर्श से काम करने के लिए बाध्य हैं. शीर्ष न्यायालय के फैसले के बाद केजरीवाल सरकार ने नौकरशाहों के तबादले और नियुक्तियों के लिए एक नयी प्रणाली पेश की तथा इसकी मंजूरी देने का अधिकार मुख्यमंत्री को सौंप दिया.

हालांकि, सेवा विभाग ने इसका पालन करने से इनकार करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 2015 में जारी उस अधिसूचना को समाप्त नहीं किया, जिसने गृह मंत्रालय को तबादले और नियुक्तियों की शक्तियां दी थी. केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार और उपराज्यपाल शीर्ष न्यायालय के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं.

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