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आंबेडकर कॉलाेनी बमकांड की जांच का सैंपल 592 दिन में भी नहीं पहुंचा 13 किमी

पटना : कोई व्यक्ति अाराम-आराम से पैदल चले तो भी दो घंटे में 10-12 किमी की दूरी तय कर लेता है. चार पहिया वाहनों से लैस पुलिस 19 महीने (करीब 592 दिन) में भी बम विस्फोटों के जांच के सैंपल को करीब 13 किमी दूर विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) तक नहीं पहुंचा पायी. डेढ़ साल […]

पटना : कोई व्यक्ति अाराम-आराम से पैदल चले तो भी दो घंटे में 10-12 किमी की दूरी तय कर लेता है. चार पहिया वाहनों से लैस पुलिस 19 महीने (करीब 592 दिन) में भी बम विस्फोटों के जांच के सैंपल को करीब 13 किमी दूर विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) तक नहीं पहुंचा पायी. डेढ़ साल में बिसरा की जांच नहीं हुई.
लापरवाही इस कदर हावी है कि पुलिस बायोलॉजिकल एविडेंस को प्रिजर्व करने में चूक कर रही है. यह स्थिति तब है, जब डीजीपी की सर्वोच्च प्राथमिकता के तहत राज्य भर के सभी एएसआई से लेकर निरीक्षक तक के पुलिस पदाधिकारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है.
पुलिस नहीं दिखा रही है गंभीरता : प्रभात खबर ने कुछ मामलों की जांच की प्रगति की जानकारी जुटायी तो पाया पुलिस दुराचार, हत्या-बम विस्फोट जैसी संगीन वारदातों में भी गंभीरता नहीं दिखा रही है. थाना पुलिस जांच के लिए सैंपल समय से नहीं भेज रही. पटना के थाना सुल्तानगंज की आंबेडकर कॉलोनी में 18 जनवरी, 2017 और 24 जनवरी को न्यू आंबेडकर कॉलोनी में सामुदायिक भवन के नजदीक बम विस्फोट की घटना हुई थी.
दोनोें मामलों की जांच लटकी हुई है. पुलिस सूत्रों की मानें, तो सैंपल जांच के लिए एफएसएल ही नहीं पहुंचे हैं. गया में 22 सितंबर, 2017 को सोलर पावर प्लांट में जो विस्फोट हुआ था, उसकी जांच का भी हश्र यही है. जमुई में चर्चित दुराचार प्रकरण में बायोलॉजिकल एविडेंस ही नहीं लिया गया.

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