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शिवपुर कोलियरी में हाईवाल तकनीक से होगा कोयला उत्पादन, होगी सुविधा

आसनसोल : श्रीपुर एरिया अंतर्गत शिवपुर कोलियरी में नवीनतम एवं अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर कोयला उत्पादन किया जायेगा. मानव रहित पद्धति का उपयोग कर मशीन की सहायता से भूमिगत कोयले को सुरक्षित ढंग से निकालने पर उत्पादन के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं पर लगाम लगेगा. कोलियरी के ऊपरी ढांचे को पूर्ण रूप से सुरक्षित […]

आसनसोल : श्रीपुर एरिया अंतर्गत शिवपुर कोलियरी में नवीनतम एवं अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर कोयला उत्पादन किया जायेगा. मानव रहित पद्धति का उपयोग कर मशीन की सहायता से भूमिगत कोयले को सुरक्षित ढंग से निकालने पर उत्पादन के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं पर लगाम लगेगा. कोलियरी के ऊपरी ढांचे को पूर्ण रूप से सुरक्षित रखना भी आसान हो जायेगा. यह जानकारी श्रीपुर एरिया के महाप्रबंधक जोगेंद्रनाथ विस्वाल ने दी.
उन्होंने कहा कि कोलियरी में हाईवॉल पद्धति के तहत कोयला उत्पादन के लिये क्यूप्रोम बागड़िया के साथ करार किया गया है. इसीएल के श्रीपुर एरिया अंतर्गत कोलियरियों में सर्वाधिक कोयले का उत्पादन किया जा रहा है. यहां के कोयला की क्वालिटी भी काफी बेहतर है. श्री विस्वाल ने कहा कि लक्ष्य प्राप्ति के लिये कोलियरियों में कोयले के उत्पादन के साथ-साथ कोल कर्मियों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है. भूमिगत खदानों और ओसीपी में कोयला उत्पादन की प्रक्रिया से संपूर्ण अलग दोनों के बीच की उत्पादन पद्धति को अपनाते हुये हाईवॉल तकनीक के तहत मशीन का उपयोग कर कोयला उत्पादन किया जायेगा.
महाप्रबंधक श्री बिस्वाल ने कहा कि हाईवॉल तकनीक के उपयोग से खनन स्थल के सर्फेश का ऊपरी ढांचा जहां पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा, वहीं कोयला उत्पादन के दौरान होने वाली दुर्घटनाएं बिल्कुल ही नहीं होगी. उत्पादित कोयले को बेल्ट की मदद से ऊपर उठा लिया जायेगा.
उन्होंने कहा कि श्रीपुर एरिया अंतर्गत कोलियरियों में उत्पादन व अन्य कार्यों में राज्य के श्रम, विधि व पीएचई मंत्री का भरपूर सहयोग मिला है. मंत्री श्री घटक के सहयोग से ग्रामीणों के साथ सुमधुर संबंध बनाने में कामयाबी मिली है. उन्होंने कहा कि मंत्री श्री घटक का नियमित रूप से स्थानीय स्तर पर मार्गदर्शन मिलता रहा है.
श्री विश्वाल ने कहा कि कोड़ापाड़ा, मेजिया एवं कालीपहाड़ी के पास के गांव नूनियापाडा में पौधारोपण किया गया एवं ग्रामीणों के बीच पौधे बांटे गये. उन्होंने कहा कि कोलियरी से सटे ग्रामीण इलाकों में पौधारोपण का कार्य अग्रगति में है. उत्पादन स्थल से सटे मुख्य ट्रांसपोर्टेशन सड़क के दोनों ओर छायादार पौधों के लगाये जाने से ट्रांसपोर्टेशन से गांवों में होने वाले दूषण को नियंत्रित किया जा सकेगा.

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