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जानते हैं, UNSC से पुलवामा हमले की निंदा में क्यों हुई देर? चीन ने फंसा दिया था पेंच

संयुक्त राष्ट्र/नयी दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले की निंदा की. इस हमले में 40 जवान शहीद हो गये थे और इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी. सुरक्षा परिषद ने इस घटना के अपराधियों, षडयंत्रकर्ताओं और उन्हें धन मुहैया […]

संयुक्त राष्ट्र/नयी दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले की निंदा की. इस हमले में 40 जवान शहीद हो गये थे और इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी.

सुरक्षा परिषद ने इस घटना के अपराधियों, षडयंत्रकर्ताओं और उन्हें धन मुहैया करानेवालों को ‘इस निंदनीय कृत्य’ के लिए जिम्मेदार ठहराये जाने और न्याय के दायरे में लाने की जरूरत को रेखांकित किया. संयुक्त राष्ट्र की 15 शक्तिशाली देशों की इस इकाई ने अपने बयान में पाकिस्तान के आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद का नाम भी लिया. इस परिषद में चीन वीटो क्षमतावाला स्थायी सदस्य है. उसने पूर्व में भारत द्वारा सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समिति से आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की मांग के रास्ते में रोड़ा अटकाया है.

यूएनएससी की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, सुरक्षा परिषद के सदस्य 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर में जघन्य और कायरान तरीके से हुए आत्मघाती हमले की कड़ी निंदा करते हैं जिसमें भारत के अर्धसैनिक बल के 40 जवान शहीद हो गये थे और इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी. बयान में आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरों में से एक बताया गया है.

गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पुलवामा आतंकी हमले की एक हफ्ते बाद भले ही कड़े शब्दों में निंदा की हो, पर चीन ने इसे रोकने की पूरी कोशिश की थी. आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि आतंकवाद के जिक्र को लेकर अकेले चीन के विरोध के कारण पुलवामा हमले पर 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के बयान में एक सप्ताह की देरी हुई. बताया जा रहा है कि जहां चीन पुलवामा आतंकी हमले पर यूएनएससी के बयान की विषयवस्तु को कमजोर करना चाहता था, वहीं पाकिस्तान ने पूरी कोशिश की थी कि यह जारी ही नहीं हो. इस दौरान अमेरिका ने पूरी ताकत झोंक दी थी, जिससे इस पर परिषद के सभी सदस्यों की मंजूरी मिल सके.

सूत्रों ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने तो सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष से मुलाकात भी की थी, पर उनकी मंशा पूरी नहीं हो सकी. गौरतलब है कि सुरक्षा परिषद में 15 स्थायी और अस्थायी सदस्य हैं. सूत्रों की मानें तो पिछले एक सप्ताह के भीतर इस मामले पर काफी माथापच्ची हुई. पहले पुलवामा पर यूएनएससी बयान 15 फरवरी की शाम को ही जारी होने वाला था, लेकिन चीन लगातार समय बढ़वाता रहा. 15 फरवरी को जब 14 सदस्य देश बयान जारी करनेवाले थे, तब चीन ने 18 फरवरी तक का समय मांगा. दो बार तो चीन ने कई बदलाव रखे, जिससे प्रक्रिया को टाला जा सके.

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