27.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

किशोरावस्था में कब्रिस्तान में किया करता था रियाज : उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान

नयी दिल्ली : पद्म विभूषण से सम्मानित भारतीय शास्त्रीय गायन के क्षेत्र में जाने-माने नाम उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान का कहना है कि लड़कपन में वह कब्रिस्तान में रियाज करते थे ताकि खुलकर गा सकें और किसी को कोई परेशानी भी ना हो . पुत्र-वधू नम्रता गुप्ता खान के साथ मिलकर लिखे गए अपने संस्मरण […]

नयी दिल्ली : पद्म विभूषण से सम्मानित भारतीय शास्त्रीय गायन के क्षेत्र में जाने-माने नाम उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान का कहना है कि लड़कपन में वह कब्रिस्तान में रियाज करते थे ताकि खुलकर गा सकें और किसी को कोई परेशानी भी ना हो . पुत्र-वधू नम्रता गुप्ता खान के साथ मिलकर लिखे गए अपने संस्मरण ‘ए ड्रीम आई लिव्ड एलोन’ के लांच पर 87 वर्षीय खान ने याद किया कि कैसे उन्होंने देर से बोलना शुरू किया और उनके मां-बाप ने उनके मुंह से पहला शब्द सुनने के लिए क्या-क्या जतन किए. किताब का प्रकाशन पेंग्विन रैंडम हाउस ने किया है.

उन्होंने अपनी जिंदगी के बारे में तमाम खट्टी-मिट्ठी बातें साझा कीं. उन्होंने अपनी किताब में भी तमाम बातों का जिक्र किया है. कब्रिस्तान में रियाज के बारे में पूछने पर उस्ताद ने बताया कि उस वक्त उनकी उम्र करीब 12 बरस रही होगी. डर और झिझक से बचने के लिए वह वहां गाया करता था. उन्होंने कहा कि उनके उस्ताद रोजाना दोपहर के खाने के बाद नींद लिया करते थे और उनसे घर जाकर रियाज करने को कहते थे. लेकिन रियाज के लिए घर सही नहीं था क्योंकि वहां बहुत शोर-गुल था.
उन्होंने बताया, ‘‘कब्रिस्तान बिलकुल सुनसान और सही जगह था मेरी रियाज के लिए. मुझे किसी का डर नहीं था. मैं खुलकर गा सकता था.” उत्तर प्रदेश के बदायूं में तीन मार्च, 1931 को जन्मे उस्ताद खान सात भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं. उस्ताद खान के पिता उस्ताद वारिस हुसैन खान और दादा मुर्रेद बख्श भी हिन्दुस्तानी संगीत/गायन के उस्ताद हुआ करते थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें