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दोस्त ने दिखायी जिंदगी की राह, बनी सफल महिला उद्यमी

रचना प्रियदर्शिनी बचपन से ही ड्रेस डिजाइनिंग का शौक रखनेवाली अल्पी कुमारी ने अपनी फ्रेंड की सलाह पर शुरू किया अपना बिजनेस, फिर मेहनत और क्रिएटिविटी के दम पर एक बनायी एक सफल महिला उद्यमी के रूप में अपनी पहचान. कुछ वर्ष पहले तक शौकिया तौर पर ड्रेस डिजाइनिंग और स्टिचिंग का शौक रखनेवाली अल्पी […]

रचना प्रियदर्शिनी
बचपन से ही ड्रेस डिजाइनिंग का शौक रखनेवाली अल्पी कुमारी ने अपनी फ्रेंड की सलाह पर शुरू किया अपना बिजनेस, फिर मेहनत और क्रिएटिविटी के दम पर एक बनायी एक सफल महिला उद्यमी के रूप में अपनी पहचान.
कुछ वर्ष पहले तक शौकिया तौर पर ड्रेस डिजाइनिंग और स्टिचिंग का शौक रखनेवाली अल्पी कुमारी शुरू से ही दोस्तों के बीच अपने फैशन सेंस और स्टाइल परफेक्शन को लेकर काफी पॉपुलर थीं. अपनी एक सहेली के कहने पर ‘फ्रेंड्स क्रिएशन (Friends Creation)’ ब्रांड नेम से अपना बिजनेस शुरू किया. फिर आगे लोग मिलते गये और कारवां बनता गया. आज उनका नाम बिहार की सफल महिला उद्यमियों में शुमार है.
ड्रेस सेलेक्टर से बनीं ड्रेस मेकर
अल्पी बताती हैं कि- ”अक्सर मेरी सहेलियां अपने कपड़ों या एसेसरीज की खरीदारी करवाने के लिए मुझे साथ ले जाया करती थीं. उनके अनुसार मेरा फैशन सेंस और मेरी च्वाइस काफी अच्छी है. मेरी एक सहेली, जो कि अपना बुटिक चलाती थी, उसे एक बार लेडिज कुर्तियों के अपने एक एक्सपोर्ट ऑर्डर को पूरा करने के लिए मेरी मदद की जरूरत पड़ी. उस ऑर्डर को पूरा करने में कंपनी की एक शर्त थी कि उसे किसी प्रोफेशनल द्वारा नहीं, बल्कि किसी व्यक्ति विशेष द्वारा ही पूरा किया जाना था.
मैंने दिन-रात एक करके बड़ी लगन से उस ऑर्डर को पूरा करने में अपनी सहेली की मदद की. इससे मेरे अंदर भी कॉन्फिडेंस आया, लेकिन इसके बावजूद मैं अपना खुद का बिजनेस शुरू करने की नहीं सोच पायी. मेरी सहेली ने मुझे काफी मोटिवेट किया. अंतत: उसके कहने पर ही मैंने यह सोच कर कि ‘चलो, इसी बहाने कुछ समाज सेवा करने का मौका मिल जायेगा’, अपना बिजनेस स्टार्ट कर दिया.”
25 लाख के लोन से बढ़ा काम
अल्पी के बनाये परिधानों में स्कूल यूनिफॉर्म से लेकर स्पोर्ट्स वेयर, हॉस्पिटल यूनिफॉर्म, डिजाइनर टी-शर्ट्स, लोअर्स, ट्रैक सूट, पुलोवर, तक कई सारे परिधान शामिल हैं. इसके अलावा वह ‘डार्क डिजायर (Dark Desire)’ नाम से पुरुषों के परिधान भी सिलती हैं. अल्पी बताती हैं कि-” शुरुआत में स्कूलों से ऑर्डर लेकर मैं बाहर से यानी थर्ड पार्टी से कपड़े सिलवाती थी.
फिर वर्ष 2015 में ‘प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी योजना (PMEGP)’ के तहत बैंक से 25 लाख रुपये लोन लेकर अपने खुद के बिजनेस की नींव डाली. आज मेरे पास छोटी-बड़ी सभी तरह की मशीनें और 50-60 कारीगर हैं, जिनकी मदद से मैं अपने ऑर्डर कंप्लीट करती हूं. फिलहाल बिहार के आठ जिलों में मेरे माल की सप्लाई होती हैं.”
समाज सेवा और पत्रकारिता में भी रखती हैं रुचि
अल्पी ने बिजनेस स्टार्ट करने से पहले कई एनजीओ जैसे-एसओएस, चाइल्डलाइन, किलकारी आदि के साथ जुड़ कर समाज सेवा का कार्य भी किया है. ये सारी संस्थाएं बच्चों की शिक्षा, बुनियादी जरूरतों तथा स्किल ट्रेनिंग के क्षेत्र में कार्यरत हैं. आज भी बिजनेस करते हुए जरूरतमंद बच्चों की मदद करना अल्पी की प्राथमिकताओं में शामिल है. इसके अलावा वह आकाशवाणी, दूरदर्शन और यूनिसेफ के साथ बतौर फ्रीलांसर भी जुड़ी हुई हैं.

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