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बच्चों की एक्टिविटीज पर हमेशा रखें नजर

वीना श्रीवास्तव साहित्यकार व स्तंभकार, इ-मेल : veena.rajshiv@gmail.com, फॉलो करें -फेसबुक : facebook.com/veenaparenting, ट्विटर : @14veena आजकल अमूमन सभी बच्चे मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल गेम खेलने या फिर इंटरनेट सर्फिंग में करते हैं. जो बच्चे गेम खेलते हैं, उसमें तमाम तरह के हथियार इस्तेमाल होते हैं और बच्चे बड़े सहज ढंग से कहते हैं कि […]

वीना श्रीवास्तव
साहित्यकार व स्तंभकार,
इ-मेल : veena.rajshiv@gmail.com, फॉलो करें -फेसबुक : facebook.com/veenaparenting, ट्विटर : @14veena
आजकल अमूमन सभी बच्चे मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल गेम खेलने या फिर इंटरनेट सर्फिंग में करते हैं. जो बच्चे गेम खेलते हैं, उसमें तमाम तरह के हथियार इस्तेमाल होते हैं और बच्चे बड़े सहज ढंग से कहते हैं कि ‘मैंने एक दुश्मन को उड़ा दिया. अब दूसरे की बारी. अब उससे भी ज्यादा पावरफुल गन स्टोर से लेकर इस शक्तिशाली आदमी को भी उड़ा दूंगा’ या ‘इससे बड़ी गाड़ी को अभी ब्लास्ट कर दूंगा’. ये ‘उड़ाना’ और ‘ब्लास्ट करना’ जैसे शब्द उन्हें बहुत सहज लगते हैं और छोटी उम्र के बच्चों समेत सभी उम्र के बच्चे गेम खेलते हैं.
मित्रों से कॉम्पटीशन करते हैं. बड़ी शान से कहते हैं कि मैंने इतने मार गिराये और गेम जीत लिया. यहां तक कि ऑनलाइन उस गेम में उसे बाहरी देशों के छोटे-बड़े बच्चों के साथ युवा भी मिलते हैं. चैट रूम में हर उम्र के लोग होते हैं, जिनसे वे चैट करते हैं. जिनसे जानकारी शेयर करते हैं. घर के बारे में भी बात करते हैं. उनसे दोस्ती हो जाती है. यह बहुत ज्यादा खतरनाक है.
आजकल कब, कौन, कहां, किसके चंगुल में फंस जाये, नहीं कहा जा सकता. अगर बच्चों पर आपकी नजर नहीं है, तो पता नहीं बच्चे द्वारा दी गयी जानकारी का इस्तेमाल किस तरह हो, उसका क्या परिणाम निकले, इसका पता तभी चलेगा जब कुछ गलत हो चुका होगा.
हमने टेक्नालॉजी में बहुत प्रगति की है, इंटरनेट ने भी सुविधाएं दी हैं, लेकिन आप यह भी सोचिए कि ठगी करनेवाले हमेशा दस कदम आगे रहते हैं. क्रांति केवल टेक्नालॉजी में ही नहीं, बल्कि चोरी, बेईमानी, धोखाधड़ी में भी बड़े पैमाने पर आयी है. ऐसे में आप संभल सकते हैं, बच्चे नहीं. बच्चों को संभालना आपका ही दायित्व है. मेरा बेटा भी उसी तरह के गेम खेलता था. जब बच्चे स्कूल जाते हैं, तो वहां केवल पढ़ाई की ही बात नहीं होती. तमाम बातें होती हैं. यहां तक कि गेम की सीडी भी एक्सचेंज करते हैं.
एक बार उसका एक दोस्त एक सीडी लेकर आया और दोनों बच्चे गेम खेलने लगे. इस दौरान मैंने सुना उसके दोस्त ने कहा कि कितनी पॉवरफुल गन है, असली में मिल जाये तो मजा आ जाये. मैंने दोनों बच्चों को समझाया. मैंने फिर बेटे के सारे गेम चेक किये, देखा तो सभी गेम मार-धाड़ वाले थे. इस तरह के गेम्स से बच्चों में हिंसात्मक प्रवृत्ति घर कर सकती है. उसके बाद वे कोई ऐसा गेम जिसमें पेड़-पौधे उगाना, खेती करना टाइप गेम खेलने लगा.
उसमें भी उसका समय फिक्स था. एक बार मुझे उसके रूम से जोर से हंसने की आवाज आयी. मुझे आश्चर्य हुआ कि इस समय घर में मेरे और उसके अलावा कोई नहीं, तो वह किसके साथ बात करके हंस रहा है. मैं गयी, तो देखा कंप्यूटर पर गेम खेल रहा है. मैंने पूछा- ऐसा क्या हुआ, जो इस तरह अकेले हंस रहे हो? हेडफोन हटाकर बोला- मम्मा एक भैया हैं, उनसे बात कर रहा हूं. मैंने पूछा- कौन-से भैया हैं, मुझे भी तो मिलवाओ. तो उसने बताया- वह यहां नहीं रहते. वह तो जो गेम खेल रहा हूं, उसके चैट रूम में एक और भैया गेम खेलते हैं.
एक-दो बार उनसे बात हुई. वह बड़ी मजेदार बात बता रहे हैं कि कैसे दोस्तों को मूर्ख बनाया. मैंने जब पूछा कि और क्या बातें कीं, तो उसने बताया- वह पूछ रहे थे कि घर में कौन-कौन हैं. फिर यह भी पूछा कि तुम्हारी गर्ल फ्रेंड है?
इस पर मैंने पूछा कि तुमने क्या जवाब दिया, तो बेटे ने बताया- मैंने कह दिया कि मैं अभी छोटा हूं. मैंने पूछा- दोस्ती कैसे हुई, तो बताया कि वह भी गेम खेल रहे थे. एक जगह मुझे दिक्कत हो रही थी, तो उन भैया ने बताया कि ऐसे खेलो तो ज्यादा स्कोर करोगे. फिर चैट होने लगी. तब मैंने उसको समझाया कि गेम के दौरान चैट में किसी भी अजनबी से घर के बारे में किसी भी तरह की कोई जानकारी शेयर नहीं करना और इस तरह से दोस्ती भी नहीं होती.
अगर हम बच्चों पर निगाह नहीं रखेंगे तो बच्चे तो बच्चे हैं, वह किस दिशा में बहेंगे, क्या सोचकर निर्णय लेंगे, उनके अंदर कैसे विचार पनपेंगे, वे कैसी धारणा बनायेंगे, यह हम जान भी नहीं पायेंगे. बच्चों से गर्ल फ्रेंड के बारे में बात करना ठीक नहीं है. फिर उसने बताया कि उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस लेवल तक पहुंच जाओगे तो वह एक गिफ्ट देंगे.
साथ ही यह भी कहा कि तुम अगर इस कंट्री में आओ, तो मेरे यहां रहना. बेटे ने बताया- मैंने भी पूछा कि आपके घर में कौन-कौन हैं, तो उन्होंने बताया मैं तो अकेला ऐश करता हूं. मेरे पेरेंट्स किसी और कंट्री में रहते हैं. अब इसमें क्या सच है और क्या झूठ, नहीं पता. शायद सच की गुंजाइश नहीं. मगर यह सच है कि इस तरह से बच्चों को ट्रैप किया जाता है. इसलिए हम बड़ों को उन पर हर वक्त निगाह रखनी पड़ेगी. उस वक्त वह सेवेंथ स्टैंडर्ड में पढ़ता था. जाहिर है छोटा ही था. बच्चे कौन-से गेम खेल रहे हैं? कितनी देर खेल रहे हैं?
ये सारी जानकारी आपको होनी चाहिए. यहां तक कि वह जब अपने कजिन ब्रदर से मिलता था, तब जाते ही दोनों कंप्यूटर के आगे बैठकर गेम खेलने लगते थे. तब उन्हें समझाया कि जब दूर होते हो तब तो गेम के बारे में बातें करते ही हो. अब छुट्टियों में आये हो तो कहीं घूमो. आस-पास के पार्क में जाओ. भाई के दोस्तों से मिलो और फिर जब दूसरे बच्चों से वह मिला, तो वाकई उनके बीच भी बहुत अच्छी दोस्ती हो गयी, जो आज भी बरकरार है. जरूरत है, तो उन्हें सही राह दिखाने की. क्रमश:
एयूबी हो सकता है खतरनाक
संजू देवी, उम्र 30 साल को पिछले दो महीने से मासिक चक्र के बीच में अत्यधिक रक्तस्राव हो रहा था. इसकी वजह से वह कमजोर हो गयी थी. पेट के निचले हिस्से में ऐंठन और कमर में दर्द रहता था. कभी-कभी चक्कर भी आ जाता था और आंखों के सामने अंधेरा छा जाता था. हाथ-पैर में दर्द था. कुछ दिनों से बेचैनी और सांस फूलने की शिकायत भी थी.
जांच में हीमोग्लोबिन की कमी थी. पूछने पर पता चला कि वे एक साल से कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स ले रही थीं. मैंने तत्काल दवा बंद करने को कहा और आयरन व मैग्नीशियम युक्त आहार लेने की सलाह दी. साथ ही थोड़ा व्यायाम करने को भी कहा. उनके लक्षणों को ध्यान में रख कर मैंने उनको SABINA 0/1 दवाई कुछ महीनों तक दी, जिससे उन्हें लाभ भी हुआ. इस अधिक रक्तस्राव को एब्नाॅर्मल यूटेराइन ब्लीडिंग (AUB) कहते हैं.
कई महिलाओं में मासिकधर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव या दो मासिक-चक्रों के बीच में ज्यादा रक्तस्राव होता है. इस अवस्था को असामान्य गर्भाशय रक्तस्राव (AUB) कहते है. एयूबी (पहले डिसफंक्शनल यूटेराइन ब्लीडिंग, DUB)किशोर या प्रीमेनोपॉजल महिलाओं में अधिक देखा जाता है. जिनका वजन अधिक होता है, उन्हें भी एयूबी होने की आशंका होती है.
कारण : मासिक के दौरान शरीर के हॉर्मोंस का असंतुलन इसका मुख्य कारण है. इससे शरीर में कई परिवर्तन होते हैं. कुछ में ये परिवर्तन असामान्य रूप से अधिक होते हैं. यह भी अधिक ब्लीडिंग का कारण है. मेनोपॉज से एक वर्ष पहले हार्मोंस में सबसे ज्यादा असंतुलन देखा जाता है. ऐसे में ज्यादा ब्लीडिंग होना नॉर्मल है, पर स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी हो जाता है. कई बार ज्यादा मात्रा में गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से भी यह समस्या आ सकती है.
इसके अलावा एयूबी के अन्य कारणों में गर्भाशय फाइब्रोइड, सर्वाइकल पॉलीप्स, एंडोमेट्रियल पॉलीप्स, ल्यूपस, पेल्विक इंफ्लेमेट्री डिजीज (पीआइडी), सर्वाइकल कैंसर, एंड्रोमेट्रियल कैंसर, जन्म नियंत्रण की गोलियां, अत्यधिक वजन घटना, गर्भाशय का संक्रमण, ब्लीडिंग डिसऑर्डर आदि इसके कारण हो सकते हैं. जो महिलाएं खून को पतला करनेवाली दवा का सेवन करती हैं, वे अक्सर इस बीमारी से ग्रसित हो जाती हैं. इसलिए बिना डॉक्टरी परामर्श के कोई भी दवाई हानिकारक हो सकती है.
लक्षण : मासिक-चक्रों के बीच ज्यादा रक्तस्राव, मासिक समय पर होना पर रक्तस्राव अधिक या सात दिनों से अधिक होना इसके प्रमुख लक्षण हैं. इसके अलावा रजोनिवृत्ति के बाद भी ब्लीडिंग हो, बालों का झड़ना, अचानक से गर्मी का एहसास होना, मिजाज में बदलाव, योनि का सूखापन, अत्यधिक कमजोरी और थकान महसूस होना भी एयूबी के लक्षण हो सकते हैं. वहीं, गर्भावस्था के दौरान ऐसा नहीं होता है.
गर्भावस्था के दौरान रक्तस्राव के अलग-अलग कारण होते हैं. यदि गर्भवती होने पर भी रक्तस्राव हो, तो चिकित्सक से सलाह लें. एयूबी के कारणों का पता कुछ जांचों से लगाया जा सकता है. शारीरिक परीक्षण, चिकित्सीय इतिहास, मासिक चक्र का इतिहास, ब्लड टेस्ट में सीबीसी, एलएफटी, ब्लड शुगर टेस्ट और हाॅर्मोन जांच में LH, प्रोलैक्टिन और प्रोजेस्ट्रॉन का टेस्ट, गर्भावस्था परीक्षण, थायराइड फंक्शन टेस्ट, पैप स्मीयर टेस्ट, बायोप्सी, हिस्टेरोस्कोपी और अल्ट्रासाउंड की जा सकती है.
परहेज और आहार : इस बीमारी में खान-पान का ख्याल रखना जरूरी है. आयरन युक्त आहार का सेवन करें, जैसे-सूखे फल, मेवे, फलियां, पालक, साबूत अनाज, दलिया आदि. दूध, दही, पनीर कैल्शियम के लिए जई, कोको, कद्दू, कोंहरा लें.
फाइबर युक्त आहार जैसे साबूत अनाज, भूरा चावल, गेहूं का चोकर, जौ, हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें. शक्कर, नमक की अत्यधिक मात्रा, तले हुए पदार्थ, कैफीन युक्त पेय जैसे-चाय और कॉफी से परहेज करें. नियमित व्यायाम भारी मासिक स्राव और ऐंठन को कम करता है. हालांकि, एक्सपर्ट की देखरेख में ही व्यायाम करें.
उपचार : उपचार का लक्ष्य मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करना होता है, जो दवाइयों द्वारा किया जाता है. गंभीर लक्षण के लिए हिस्टेरेक्टॉमी ही उपचार है.
जटिलताएं : सही समय पर इलाज नहीं कराने पर गंभीर एनिमिया, गर्भ धारण में परेशानी, एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा हो सकता है. इसलिए लक्षण के अनुसार तुरंत चिकित्सीय परामर्श लें.

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