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कैसे न हो जलजमाव, नाले में गंदगी तो कहीं जलकुंभी का िबछा जाल

पूर्णिया : मॉनसून ने अभी दस्तक भी नहीं दी है और हल्की बारिश में ही शहर का हाल बेहाल हो जा रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि शहर का सबसे मुख्य नाला लालगंज लगभग बंद पड़ा हुआ है. शहर के मेन ड्रेनेज लालगंज नाला पर पिछले दस साल से नगर निगम मेहरबानी […]

पूर्णिया : मॉनसून ने अभी दस्तक भी नहीं दी है और हल्की बारिश में ही शहर का हाल बेहाल हो जा रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि शहर का सबसे मुख्य नाला लालगंज लगभग बंद पड़ा हुआ है. शहर के मेन ड्रेनेज लालगंज नाला पर पिछले दस साल से नगर निगम मेहरबानी करता रहा है पर यह आज भी कारगर साबित नहीं हो पाया है. जिससे इसमें गंदे पानी का बहाव नहीं हो पा रहा है.

बदहाली का आलम यह है कि इस नाला में कहीं कीचड़ जमा है तो कहीं जलकुंभी ने अपना जाल बिछा रखा है. कई जगहों पर यह नाला सूखा पड़ा हुआ है. खास बात यह है कि जब लालगंज नाला ही बेहाल है तो शहर की जलनिकासी व्यवस्था अवरुद्ध होना लाजिमी है.
वर्षों होती रही सफाई के नाम पर खानापूर्ति : वर्ष 2007 में लालगंज नाला की सफाई की कवायद नगर निगम द्वारा आरंभ की गयी थी. उस वक्त सफाई की जिम्मेदारी पूर्व से कार्यरत एनजीओ को दी गयी थी. समस्या यह रही कि उक्त एनजीओ को लालगंज की सफाई का अलग से कोई टेंडर नहीं दिया गया था. इसलिए एनजीओ द्वारा सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति की गयी. खानापूर्ति का यह सिलसिला सात साल तक जारी रहा. बाद में जब इस मामले की पोल खुली तो एनजीओ के हाथों से जिम्मेवारी वापस ली गयी और लालगंज नाला की समुचित सफाई की योजना बनायी गयी.
िनगम की मेहरबानी के बाद भी बदहाल है लालगंज नाला
शहर को जलजमाव से मुक्त कराना है, तो लालगंज नाला की बदलनी ही होगी सूरत
पीडब्ल्यूडी दफ्तर से मरंगा बाइपास तक अवस्थित है लालगंज नाला
मेन ड्रेनेज में शहर के मधुबनी बाजार, भट्ठा बाजार और उसके इर्दगिर्द के मोहल्ले के नालों की होती है निकासी
बारिश होने पर जब लालगंज नाला से समुचित रूप से नहीं हो पाती है जलनिकासी, तो शहरवासियों की बढ़ जाती हैं मुश्किलें
बंद पड़ा है शहर का मुख्य नाला लालगंज सफाई का अलग से टेंडर नहीं
अतिक्रमण का शिकार है लालगंज नाला : विडंबना यह है कि जगह-जगह लालगंज नाला अतिक्रमित है. कई जगहों पर यह मेन ड्रेनेज छोटी नाली मात्र बनकर रह गया है. फोर्ड कंपनी और भट्ठा बाजार के इलाके में इस नाला का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है. नाले की जमीन पर बड़े-बड़े प्रतिष्ठानों का कब्जा और निर्माण भी है. कई दबंगों और पहुंच वाले लोगों ने अपना आशियाना भी इस पर खड़ा कर रखा है. निगम की बैठकों में इस तरह की बातें उठती भी रही है, लेकिन कार्रवाई तक नहीं पहुंच पाती है. खास बात यह है कि लालगंज नाला को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराने के लिए प्रशासनिक स्तर पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
लाखों हुए खर्च, नतीजा सिफर : वर्ष 2014 से अब तक लालगंज नाला की सफाई में करीब 25 लाख रुपये खर्च किये जा चुके हैं. खास बात यह है कि यह कवायद भी कारगर साबित नहीं हुई है. नतीजा यह है कि लालगंज नाला की सूरत नहीं बदल सकी है. सफाई अभियान के बाद भी लालगंज नाला में बहाव के बंद रहने से शहर की जलनिकासी प्रभावित हो रही है. वार्डों में हाल के दिनों में लाखों की लागत से नाला का भी निर्माण हुआ है. लेकिन मुख्य नाला के कारगर नहीं होने की वजह से वार्डों में बने नाला की उपयोगिता पर भी सवाल उठ रहे हैं.

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