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बिहार : आम आदमी के लिए 25-30 रू की दवा नहीं खरीद पा रही सरकार

राज्य सरकार ने आम लोगों की सेहत को अपनी प्राथमिकता सूची में ऊपर रखा है. लेकिन, स्वास्थ्य महकमा इसके लिए जरूरत के मुताबिक दवा नहीं खरीद पा रहा है. दवा के अभाव में मरीज अस्पतालों से वापस लौट जा रहे हैं. वहीं दवा दुकानदारों की चांदी कट रही है. दवा खरीद की जिम्मेदारी बिहार चिकित्सा […]

राज्य सरकार ने आम लोगों की सेहत को अपनी प्राथमिकता सूची में ऊपर रखा है. लेकिन, स्वास्थ्य महकमा इसके लिए जरूरत के मुताबिक दवा नहीं खरीद पा रहा है. दवा के अभाव में मरीज अस्पतालों से वापस लौट जा रहे हैं. वहीं दवा दुकानदारों की चांदी कट रही है. दवा खरीद की जिम्मेदारी बिहार चिकित्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड को सौंपी गयी है.
पटना : बीएमएससीआईएल एक आदमी के लिए सालाना 25-30 रुपये की दवा भी नहीं खरीद पा रहा है. दवा खरीद के लिए सालाना बजट 250-300 करोड़ की है. 2016-17 में सात करोड़ 28 लाख 15 हजार 852 लोगों ने ओपीडी में इलाज कराया. जबकि उस दौरान 39 लाख 57 हजार मरीजों को भर्ती किया गया. एस साल के दौरान करीब 15.48 लाख महिलाओं का प्रसव कराया गया. इसके बावजूद निगम दवा खरीद मामले को तवज्जो नहीं दे रहा.
आपूर्ति की जानेवाली दवाओं की संख्या
– 33 प्रकार-एपीएचसी-जिला अस्पताल में ओपीडी की दवाएं-
– 112 प्रकार-एपीएचसी-जिला अस्पताल में ओपीडी की दवाएं-
– 65 प्रकार-मेडिकल कालेज के ओपीडी में दवाओं की संख्या
– 120 प्रकार-मेडिकल कालेज के भर्ती मरीजों के लिए दवाओं की संख्या
– 43 प्रकार-मेडिकल कालेज में आपरेशन थियेटर में दवाओं की संख्या
राज्य में अस्पतालों की संख्या, जहां मुफ्त दवाएं आपूर्ति होती हैं -स्वास्थ्य उप केंद्र (सब सेंटर)- 8858, अतिरक्ति प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (एपीएचसी) – 533, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) – 533, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी)- 70, जिला अस्पताल – 36, मेडिकल काॅलेज अस्पताल- 8
कैसे होती है दवाओं की खरीद
बीएमएससीआईएल द्वारा दवाओं की खरीद के लिए टेंडर का नोटिस जारी किया जाता है. सिर्फ जेनरिक दवाएं ही सरकारी अस्पतालों के लिए खरीदी जाती हैं. दवा की खरीद सीधे मैन्युफैक्चरर या जिन दवाओं का उत्पादन देश में नहीं होता उन दवाओं की खरीद इमपोर्टर से की जाती है. टेंडर के लिए 21 दिन का समय दिया जाता है.
33 से 120 प्रकार की दवाएं मिलनी हैं
मरीजों के लिए दवा खरीद की केंद्रीकृत व्यवस्था की गयी है. सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीजों को मुफ्त में 33-120 प्रकार की दवाएं देने की घोषणा की गयी है.
राशि की कमी नहीं
राज्य सरकार ने कहा है कि दवा खरीद को लेकर राशि की कोई कमी नहीं है. बीएमएसआईसीएल के गठन के बाद वर्ष 2013-14 में दवाओं की खरीद में अनियमितता का मामला भी सामने आया था.

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