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SC कल सुनायेगा फैसला, शहाबुद्दीन ने कहा- रद्द न करें मेरी जमानत

नयी दिल्ली : राजद के बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन की जमानत के खिलाफ दायर याचिका पर आज सुनवाई पूरी हो गयी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार तक फैसला सुरक्षित रखाहै. दो घंटे चली दलील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला कल सुनाने की बात कही है. मामले की सुनवाई गुरुवार की सुबह 10.30 […]

नयी दिल्ली : राजद के बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन की जमानत के खिलाफ दायर याचिका पर आज सुनवाई पूरी हो गयी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार तक फैसला सुरक्षित रखाहै. दो घंटे चली दलील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला कल सुनाने की बात कही है. मामले की सुनवाई गुरुवार की सुबह 10.30 बजे से शुरूहुई. शहाबुद्दीन की ओर से वरिष्ठवकीलराम जेठमलानी अाज भी सुनवाई के दौरान बहस में शामिल नहीं हुए है. उनके वकील शेखर नाफरे ने आज सुप्रीम कोर्ट में शहाबुद्दीन का पक्ष रखा.

मीडिया रिपोट्स के मुताबिक सुनवाई के दौरान शहाबुद्दीन ने कोर्ट से गुहार लगायी है कि मेरी जमानत रद ना करें. मैं बिहार से बाहर जाने के लिए भी तैयार हूंऔर कहीं भी रह लूंगा.

मालूम हो कि इस मामले में बुधवार को भी सुनवाई हुई थी और कोर्ट ने तीन याचिकाओं पर दलीलें सुनीं फिर सुनवाई गुरुवार को भी जारी रखने के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट में शहाबुद्दीन की ओर से केस लड़ रहे वकील शेखर नाफ्रे ने शहाबुद्दीन का पक्ष रखते हुए कहा कि चार्जशीट में उनको आरोपी नहीं बनाया गया है. उन्होंने कहा कि शहाबुद्दीन की चार्जशीट और पूरक चार्जशीट कोर्ट में भी कमी पाई गयी है. उनकी चार्जशीट कोर्ट को क्यों नहीं सौंपी गयी. उन्हें बिना कानूनी वजहों के ही सिवान जेल से भागलपुर जेल शिफ्ट किया गया. इससे पहले बुधवार को सुनवाईकेदौरान सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को इस बात के लिए कड़ी फटकार लगायी कि उसने पटना हाइकोर्ट के समक्ष तथ्य क्यों नहीं रखा.

एक हिस्ट्रीशीटर को जमानत पर छोड़ना न्याय का मजाक : प्रशांत भूषण
वहीं, पीड़ित चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू की ओर से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने शहाबुद्दीन को जमानत देने के पटना हाइकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाये और कहा कि हिस्ट्रीशीटर को जमानत पर छोड़ना न्याय का मजाक है. सुनवाई गुरुवार को भी होगी. न्यायमूर्ति पी सी घोष और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय के पीठ ने बिहार सरकार से पूछा, ‘क्यों आपने उसकी (शहाबुद्दीन की) रिहाई के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया? क्या उसके जमानत पाने तक आप सोये हुए थे?
यह एक विचित्र मामला है. लेकिन, सवाल है कि यह अनोखापन किसके इशारे पर किया गया है और कौन इसके पीछे है?’ पीठ ने कहा, ‘आपने 45 मामलों में शहाबुद्दीन को जमानत दिये जाने को चुनौती क्यों नहीं दी? क्यों उसके जेल से बाहर आने के बाद ही आपको यह महसूस हुआ? अगर सब कुछ निष्पक्ष था, तो क्यों यह मामला हमारे पास आया?’ पीठ ने यह टिप्पणी तब की, जब बिहार सरकार की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश द्विवेदी ने शहाबुद्दीन की जमानत रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि रिहाई का हाइकोर्ट का आदेश अनुचित था.
वकील ने कहा- तब हम पंगु थे
द्विवेदी ने कहा, ‘मैं विसंगतियों की बात मानता हूं. मैं राज्य सरकार के कृत्यों को किसी तरह से उचित नहीं ठहरा रहा हूं. हम उस समय पंगु थे. लेकिन, मेरी दलील है कि मामले में प्रासंगिक सामग्री की अनदेखी की गयी है.’ पीठ ने तब उनसे पूछा, ‘आप क्यों पंगु होंगे.
आप राज्य हैं. आपका यह कर्तव्य था कि हाइकोर्ट को सूचित करें कि शहाबुद्दीन ने सत्र अदालत में पुनरीक्षण याचिका दायर की है. आपने उस वक्त हाइकोर्ट को क्यों नहीं बताया?’ पीठ ने कहा, ‘हम मामले की पृष्ठभूमि और परिस्थितियों को देख कर सिर्फ इस बात का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि वह किस तरह का व्यक्ति है. उसके खिलाफ कितने मामले लंबित हैं. वह चार बार सांसद और दो बार विधायक रह चुका है. हम सिर्फ यह सोच रहे हैं कि आम आदमी की सोच क्या है. उसके खिलाफ इतने सारे मामले हैं और इतने सारे जमानत के आदेश हैं.’
द्विवेदी ने कहा कि शहाबुद्दीन को पहली बार 2005 में जेल भेजा गया था और तब से वह जेल के भीतर से अपराध कर रहा है. इसी वजह से उसे सीवान जेल से भागलपुर जेल स्थानांतरित किया गया. उन्होंने कहा कि राजद नेता को ज्यादातर मामलों में बरी कर दिया गया, क्योंकि गवाहों ने उसके खिलाफ गवाही देने से मना कर दिया.
सीवान निवासी चंदा बाबू की तरफ से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भी शहाबुद्दीन की जमानत रद्द करने की मांग की और कहा कि उसे जमानत पर छोड़ना न्याय का मजाक है. भूषण ने कहा कि एक हिस्ट्रीशीटर को जमानत देकर हाइकोर्ट ने गलती की. दो मामलों में शहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा और दूसरे अन्य मामलों में 30 साल की सजा हुई है. ऐसे अपराधी को जमानत पर रहने का हक नहीं मिलना चाहिए.
शहाबुद्दीन की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफाडे ने कहा कि उनका मुवक्किल मीडिया ट्रायल का शिकार है. राज्य सरकार को निष्पक्ष होना होगा और व्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता.
मालूम हो कि शहाबुद्दीन को हाइकोर्ट ने सात सितंबर को जमानत दी थी, जिसके बाद 10 सितंबर को वह जेल से रिहा हो गये. उनकी जमानत रद्द कराने की मांग वाली अलग-अलग याचिका बिहार सरकार और सीवान के पीड़ित चंदाबाबू की ओर से दायर की गयी है.
शहाबुद्दीन की ओर से जेठमलानी नहीं आये
शहाबुद्दीन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामजेठमलानी ने पैरवी नहीं की. अब मामले में वकील शेखर नाफडे पैरवी कर रहे हैं. सुनवाई के दौरान वह कोर्टरूम में मौजूद रहे. वहीं पीड़ित चंदा बाबू की पैरवी वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण कर रहे हैं.
सीवान शहर में हाइअलर्ट का असर, एसटीएफ करता रहा गश्त
सीवान. सर्वोच्च न्यायालय में मो. शहाबुद्दीन की जमानत के विरुद्ध सुनवाई को लेकर जारी रेड अलर्ट का असर बुधवार को शहर में हर तरफ दिखा. सुरक्षा व चौकसी के लिहाज से एसटीएफ के जवान बाइक से दिन भर गश्त करते रहे. दूसरी तरफ 22 मजिस्ट्रेटों की देखरेख में तैनात पुलिस पदाधिकारियों व सिपाहियों की नजर सुरक्षा पर रही. दोपहर बाद सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अधूरी रहने के चलते कोई निर्णय नहीं होने की खबर आने के बाद सुरक्षा में लगे जवानों ने राहत की सांस ली.

हाइकोर्ट में चंद्रशेखर हत्याकांड की सुनवाई शुरू

पटना: जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष चंद्रशेखर हत्याकांड के आरोपितों की ओर से दायर अपील याचिका पर बुधवार को बहस शुरू हुई. मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और जस्टिस समरेंद्र प्रताप सिंह के कोर्ट में सीबीआइ के अधिवक्ता विपिन कुमार सिन्हा ने जोरदार तरीके से अपना पक्ष रखा. सीबीआइ के वकील ने कहा कि चंद्रशेखर हत्याकांड
में चश्मदीद गवाह हैं, इसलिए अभियुक्तों को निचली अदालत से मिली की सजा बरकरार रहनी चाहिए.

चंद्रशेखर हत्याकांड में सीवान की जिला अदालत ने रूस्तम खान, मिंटू खान, ध्रुव कुमार जायसवाल और मुन्ना खान को उम्रकैद की सजा सुनायी है. मामले की सुनवाई जारी है. कोर्ट ने अगली तिथि 19 अक्तूबर को निर्धारित की है.

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