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मुख्यालय तय ही नहीं कर पाया, कितने कैमरे लगेंगे थानों में

पहले ग्रामीण थानों में 10 और शहरी में 15 कैमरे लगाने के लिए निकला था टेंडर, विवाद होने पर हुआ रद्द पटना : राज्य के सभी 1064 थानों और इसके हाजतों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना करीब 10 महीने पहले बनी थी. योजना को मूर्त रूप देने के लिए बेल्ट्रॉन के माध्यम से इसका […]

पहले ग्रामीण थानों में 10 और शहरी में 15 कैमरे लगाने के लिए निकला था टेंडर, विवाद होने पर हुआ रद्द
पटना : राज्य के सभी 1064 थानों और इसके हाजतों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना करीब 10 महीने पहले बनी थी. योजना को मूर्त रूप देने के लिए बेल्ट्रॉन के माध्यम से इसका टेंडर कर कैमरे सप्लाइ करने के लिए वेंडर का चयन करना था.
लेकिन, अब तक पुलिस मुख्यालय यह निर्णय ही नहीं कर पाया है कि उसे वास्तविक में कितने कैमरे चाहिए. उसके इस कन्फ्यूजन के कारण अब तक न ही इसका टेंडर हुआ और न ही किसी थाने या हाजत में सीसीटीवी ही लग पाया है. करीब एक महीने पहले एक बार इसका टेंडर निकाला भी गया था, तो पुलिस मुख्यालय की तरफ से ही इस पर अड़ंगा लगाने से टेंडर को निकालने के बाद आनन-फानन में रद्द करना पड़ा. एक महीने बीतने के बाद भी अब तक इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाने से टेंडर प्रक्रिया शुरू नहीं हो पायी है.
सुरक्षा के लिए लगने हैं सीसीटीवी कैमरे, संख्या तय नहीं होने से टेंडर है रुका
करीब एक महीने पहले पुलिस मुख्यालय ने बेल्ट्रॉन को टेंडर निकालने के लिए कहा था. इसमें ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक थानों के लिए 10-10 कैमरे और शहरी क्षेत्र के थानों में 15 कैमरे लगाने का प्रस्ताव दिया गया था. इस नियम-कायदों को आधार बनाते हुए टेंडर भी निकाल दिया गया. परंतु टेंडर निकालने के तुरंत बाद ही पुलिस मुख्यालय ने यह कहते हुए आपत्ति दर्ज करा दी कि यह संख्या बहुत ज्यादा है. इसे कम करने की जरूरत है.
इनकी संख्या को कम करते हुए ग्रामीण इलाकों के प्रत्येक थानों के लिए छह और शहरी इलाकों के प्रत्येक थानों के लिए आठ कैमरे लगाने की जरूरत है, लेकिन कैमरों की इस नयी संख्या को मुख्यालय ने अंतिम रूप से अनुमति नहीं प्रदान की. इस वजह से इसे मानक नहीं माना गया. पुलिस मुख्यालय की इस आपत्ति के बाद इस टेंडर को रद्द कर दिया गया. टेंडर रद्द होने के बाद कैमरों की संख्या नये स्तर पर निर्धारित करते हुए कोई नया प्रस्ताव पुलिस मुख्यालय ने बेल्ट्रॉन को अब तक नहीं भेजा है. इस वजह से नअब तक टेंडर निकला है और न ही इसे लगाने की प्रक्रिया ही शुरू हो पायी है.
थाना और हाजत में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाने से इनकी चौकसी नहीं हो पाती है. इनमें सुरक्षा व्यवस्था और मानवाधिकार के संरक्षण की समुचित मॉनीटरिंग नहीं हो पाती है. थानों के सभी स्थानों पर कैमरे लगने हैं या कुछ खास स्थानों पर ही कैमरे लगेंगे, अभी यह भी मुख्यालय के स्तर पर पूरी तरह से तय नहीं हो पाया है. इसका मुख्य कारण समुचित निगरानी और सुरक्षा में हस्तक्षेप नहीं करना समझा जा रहा है.

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