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दो की जगह अब 14 रुपये में दवा

मंडी से गायब हुईं सस्ती दवाएं, महंगी दवाएं खरीदने को लोग मजबूर आनंद तिवारी पटना : एशिया की सबसे बड़ी मंडी पटना के गोविंद मित्रा रोड में इन दिनों ब्रांडेड व महंगी दवाओं का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है. कम कीमत की दवाएं मंडी से पूरी तरह से गायब हो चुकी हैं. जानकारों की […]

मंडी से गायब हुईं सस्ती दवाएं, महंगी दवाएं खरीदने को लोग मजबूर
आनंद तिवारी
पटना : एशिया की सबसे बड़ी मंडी पटना के गोविंद मित्रा रोड में इन दिनों ब्रांडेड व महंगी दवाओं का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है. कम कीमत की दवाएं मंडी से पूरी तरह से गायब हो चुकी हैं. जानकारों की मानें, तो दवा कंपनियों ने अब पहले के मुकाबले ज्यादा दाम पर दवाएं बेचने के मकसद से फिलहाल इनकी सप्लाइ रोक दी है. नतीजा आम जनता को इन दवाओं के विकल्प कई गुना अधिक कीमत पर खरीदने पड़ रहे हैं. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण सरकार की नयी नीति को बताया जा रहा है.
प्रभात खबर रिपोर्ट ने जब जीएम रोड सहित कई दवा दुकान की पड़ताल की, तो मामले का खुलासा हुआ.इन दवाओं की हुई किल्लत : डेक्सोना इंजेक्शन इमरजेंसी में इस्तेमाल किया जाता है. इस दवा की कीमत 22 रुपये थी. लेकिन, नयी नीति के बाद इस दवा को 7 रुपये में बेचने के लिए निर्देश जारी किया गया, नतीजा अब दवा की सप्लाई बंद हो गयी है. वहीं लूज मोशन में यूज होने वाला इंट्रोक्वीनॉल दो टैबलेट की कीमत महज एक रुपये निर्धारित थी और आसानी से मरीज की परेशानी खत्म हो जाती थी. लेकिन इन दवाओं की सप्लाइ बंद हो गयी है. इसके अलावा सॉलब्यूटामोल का इस्तेमाल खांसी और ब्रॉन्काइटिस का इलाज करने के लिए किया जाता है. यह अब बाजार में आसानी से नहीं मिल रही है. इसी तरह अस्थमा, एलर्जी और आर्थराइटिस में प्रयोग होने वाली बीटामीथासोन, दर्द निवारक दवा पेंटाजोसाइन और सांस की बीमारियों, सूजन व कई अन्य दिक्कतों में दी जाने वाली टेक्सामीथासोन की भी किल्लत हो गयी है.
सस्ती जेनेरिक दवाएं भी हुई महंगी : सस्ती जेनेरिक दवाओं को अब बड़ी-बड़ी कंपनियों के नामवाले रैपर लगा कर बाजार में उतारा गया है. ब्रांडेड कंपनियां सस्ती जेनेरिक दवाओं को महंगी कीमत पर बेच रही हैं. गैस की दवा है पैंटोप्राजोल 40 एमजी जेनेरिक में इसकी कीमत 1 रुपये से भी कम है, लेकिन ब्रांडेड में इसकी एक गोली 10 रुपये में मिलती है. इसी तरह कोलेस्ट्रॉल की दवा रोजूवस्टाटीन की जेनेरिक में कीमत 2 रुपये भी नहीं है, जबकि ब्रांडेड में इसकी एक गोली 14 रुपये तक में मिलती है. इसी तरह बीपी की दवा तेलमा एच जेनेरिक में इसे आप महज 1.5 रुपये में खरीद सकते हैं.
प्रधानमंत्री जन औषधि दुकानों का लाइसेंस अभी तक निर्गत नहीं हो पाया है. एक भी दुकान की ओपनिंग नहीं हो पायी है. एमआरपी कम करने की बात हो रही है, लेकिन अभी तक यह धरातल पर नहीं उतर पाया है. रही बात सस्ती दवाओं के बाजार में नहीं मिलने की, तो इसका सबसे बड़ा कारण मार्च, 2016 में नयी औषधि नीति का लागू करना है. इससे अधिकतर कंपनियों काे लाभ कम होने लगा, नतीजा इन दवाओं के निर्माण में 70 प्रतिशत की कमी हो गयी है.
संतोष कुमार, सचिव, बिहार केमिस्ट एंड ड्रग एसोसिएशन

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