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राष्ट्रपति चुनाव में नीतीश बने ‘की’ फैक्टर, ग्रैंड एलायंस को छोड़कर एनडीए के साथ जाने की आशंका !

पटना : राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गयी है. 26 मई यानी आज इसी संदर्भ में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नयी दिल्ली में एंटी एनडीए फ्रंट की बैठक बुलायी है. इस बैठक में सभी एनडीए विरोधी दल शामिल हो रहे हैं. बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी शामिल […]

पटना : राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गयी है. 26 मई यानी आज इसी संदर्भ में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नयी दिल्ली में एंटी एनडीए फ्रंट की बैठक बुलायी है. इस बैठक में सभी एनडीए विरोधी दल शामिल हो रहे हैं. बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी शामिल होने का निमंत्रण मिला था, लेकिन नीतीश कुमार ने शामिल होने से इनकार कर दिया. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी की ओर से प्रतिनिधि के रूप मेंवरिष्ठ नेता शरद यादव को बैठक में शामिल होने के लिए कह दिया है. अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से यह खबर आयी है कि वह 27 मई को दिल्ली जायेंगे और पार्टी के कार्यक्रम में शामिल होंगे. नीतीश कुमार के इस फैसले से कई सवाल एकाएक खड़े हो जाते हैं. सवाल यह कि जब 27 मई को जदयू में बैठक बुलायी ही गयी थी, तो एक दिन पहले यानी 26 मई को इतने महत्वपूर्ण पद के चुनाव को लेकर हो रही बैठक में नीतीश ने शामिल होने से इनकार क्यों कर दिया ?

बैठक में शामिल नहीं होने के मायने

नीतीश कुमार के स्टैंड को लेकर सभी सवालों के जवाब राजनीतिक जानकार प्रो. नवल किशोर चौधरी देते हैं. चौधरी कहते हैं कि नीतीश कुमार बहुत सोच-समझकर अपने पत्ते खोल रहे हैं. पहली बात तो यह कि इस बैठक में जदयू की ओर से शरद यादव को भेजने का कोई मतलब नहीं बनता है. वह कहते हैं कि नीतीश कुमार एंटी एनडीए फ्रंट में पार्टी को शामिल रखना तो चाहते हैं, लेकिन बाद में स्वयं एक स्वतंत्र फैसला ले सकें, इसके लिए वह फ्रंट पर नहीं आना चाहते हैं. चौधरी कहते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव में नीतीश कुमार कभी भी एनडीए समर्थित उम्मीदवार का समर्थन कर सकते हैं. इसलिए वह इस बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं. यदि बाद में यह सवाल उठता है कि उनकी पार्टी एंटी एनडीए फ्रंट की बैठक में शामिल हुई थी, फिर ऐसा फैसला उन्होंने क्यों लिया, तो नीतीश की ओर से यह संदेश दिया जायेगा कि उस बैठक में, मैं नहीं गया था बल्कि शरद यादव.

नीतीश सोच-समझकर खोल रहे हैं पत्ते-जानकार

दूसरी ओर राजनीतिक जानकार बताते हैं कि नीतीश कुमार के 27 मई को दिल्ली जाने की मुख्य वजह यही है कि वह विस्तार से एंटी एनडीए फ्रंट की बैठक में हुई चर्चाओं पर शरद यादव से गहन विचार-विमर्श करेंगे. उसके बाद अपना कोई स्वतंत्र फैसला सुनायेंगे. चौधरी कहते हैं कि नीतीश कुमार इस मामले में अपना पत्ता बिल्कुल नहीं खोलना चाहते हैं. बाद में वह राजनीतिक मंच पर यह कह सकें कि उन्होंने तो कोई वायदा नहीं किया था, इसलिए वह बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं. चौधरी की मानें तो नीतीश कुमार का यह एक व्यक्तिगत राजनीतिक मूव है, जिसे समझने में ग्रैंड एलायंस को देर लगेगी. नीतीश कुमार को जिस तरफ राजनीतिक लाभ दिखेगा, वह उधर जा सकते हैं. चौधरी कहते हैं कि इस मुद्दे पर ज्यादा संभावना है कि वह एनडीए के उम्मीदवार को समर्थन कर सकते हैं. वह खुलकर सोनिया गांधी के साथ कतई नहीं जायेंगे.

इससे पूर्व राजद नेता रघुवंश और जदयू के केसी त्यागी ने दिया था बयान

इससे पूर्व एक अंग्रेजी अखबार को दिये अपने बयान में जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी. त्यागी ने कहा कि अहमद पटेल ने नीतीशजी को बुलाया था, लेकिन वह 26 मई को सोनियाजी के आह्वान पर बुलायी गयी बैठक में शामिल नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि नीतीश जी कुछ दिन पहले दिल्ली में कांग्रेस प्रमुख से मुलाकात कर चुके हैं और पहले ही सोनिया गांधी को बता चुके हैं कि वह राष्ट्रपति चुनाव में क्या चाहते हैं. जदयू की ओर से बैठक में शरद यादव शामिल होंगे, जिसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल होंगी. इस मामले में पहले ही राजद के एक वरिष्ठ नेता तल्ख बयान दे चुके हैं. राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि मुझे नीतीश कुमार के इस फैसले से कोई आश्चर्य नहीं दिखा. उनका ट्रैक रिकार्ड देखने से यह पता चलता है कि हम जिस स्टैंड पर खड़ा होते हैं, उनका वह हमेशा विरोध करते हैं. वहीं बैठक में शामिल होने से पहले लालू ने कहा था कि राजद प्रणव मुखर्जी को दूसरे कार्यकाल के लिए समर्थन नहीं करेगा.

लालू बैठक में हो रहे हैं शामिल

लालू इस बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली रवाना हो चुके हैं, नीतीश कुमार बैठक के एक दिन बाद यानी 27 मई को दिल्ली जायेंगे. इस पूरे प्रकरण पर लालू-नीतीश के बीच मतभेदों के बारे में पूछे जाने पर जदयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने बुधवार को कहा था कि नीतीश जी ने सिर्फ अपना सुझाव दिया है, वह अकेले नाम पर फैसला नहीं करेंगे. एक निर्णय सर्वसम्मति से लिया जायेगा. उन्होंने एक और सुझाव दिया है, वह यह कि प्रणव मुखर्जी को एक और मौका मिलना चाहिए.

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