गुरुवार को होटल चाणक्य में फूड प्रोसेसिंग कॉनक्लेव के बाद संवाददाताओं से बातचीत में नीतीश कुमार ने कहा कि लोकसभा चुनाव में तरह-तरह के वादे कर भाजपा सत्ता में तो आ गयी, लेकिन अब सरकार चला नहीं पा रही है. सरकार फेवरेटिज्म (पक्षपात) कर रही है. जो लोग फेवरेट हैं, उन्हें मदद कर रही है. सरकार बनने के साथ कानून तोड़नेवाले की सहायता की जा रही थी. अब मानवीय आधार पर मदद करने की बात कह कर अब पल्ला झाड़ा जा रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के एक साल पूरे होने पर बार-बार कहा जा रहा था कि कोई घोटाला नहीं हुआ, लेकिन अब तो सब कुछ सामने आ ही गया है. हर दिन नये चैप्टर खुलते जा रहे हैं. सबके नाम सामने आ रहे हैं. इससे भाजपा के काम करने का तरीका स्पष्ट हो जा रहा है. लोगों में घोर निराशा है और सरकार से उनका विश्वास उठता जा रहा है. इस मामले पर प्रधानमंत्री के मौन रहने पर नीतीश कुमार ने कहा कि ‘मौनम स्वीकृत: लक्षणम’.
मौन रहना ही किसी मामले की स्वीकृति का लक्षण है. उन्होंने कहा कि भाजपा खुले तौर पर नर्वस हो चुकी है. नर्वसनेस में भाजपा के नेता तरह-तरह की बातें बोलते जा रहे हैं. भाजपा के नेता जिस प्रकार की भाषा, वाणी और शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं, वह उनकी खीज का परिचायक है. अब तो उनके सामने कोई गुंजाइश भी नहीं है. बिहार में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. देश भर में कही और चुनाव नहीं होगा. तरह-तरह की बातें होंगी. सभी कोई उसे देखेंगे और सुनेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि कई लोगों का बयान आ रहा है.
हमने तो एक ही अभी सवाल किया है. ‘भाई साहब नहीं लग रहे हैं’ के मंत्री रविशंकर प्रसाद को कहीं लोग कॉल ड्राम मंत्री न कहने लगें. पहले वे बीएसएनएल की कॉल ड्रॉप की स्थिति तो ठीक कर दें. योग दिवस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वे पहले भी कह चुके हैं कि योग कोई दिखावे की चीज नहीं है. यह खुद करने की चीज है. बाद में जदयू के किसान सम्मेलन में उन्होंने कहा कि भाजपा में कहां दम है. भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी जी ने भी कह दिया है कि कोई गारंटी नहीं है कि देश में इमरजेंसी नहीं लगेगा. देश में इमरजेंसी लग सकता है. जब भाजपा के सर्वोच्च नेता व पार्टी के मार्गदर्शक को अपने दल से यकीन नहीं है तो देश की जनता क्या यकीन करेगी.