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अभ्रक उत्खनन मामले में पांच को जेल, 20 पर केस
पटना में बैठक कर बनायी गयी थी स्पेशल टीम जनप्रतिनिधि देते हैं पुलिस के कदमों की जानकारी रजौली : शुक्रवार को थाना क्षेत्र के सवैयाटांड़ पंचायत के चटकरी स्थित शारदा माइंस पर अवैध उत्खनन व विस्फोटक रखने के मामले में पांच लोगों को पकड़ा गया था. इस मामले में शनिवार की सुबह वन विभाग के […]
पटना में बैठक कर बनायी गयी थी स्पेशल टीम
जनप्रतिनिधि देते हैं पुलिस के कदमों की जानकारी
रजौली : शुक्रवार को थाना क्षेत्र के सवैयाटांड़ पंचायत के चटकरी स्थित शारदा माइंस पर अवैध उत्खनन व विस्फोटक रखने के मामले में पांच लोगों को पकड़ा गया था. इस मामले में शनिवार की सुबह वन विभाग के अधिकारियों ने पांच नामजद व 20 अज्ञात लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की.
पकड़े गये सुधीर यादव, मनोज यादव, मो आसिफ, मो युसूफ, मो खली को जेल भेज दिया गया. ज्ञात हो कि सवैयाटांड़ पंचायत में अभ्रक का अवैध उत्खनन होता है. इसमें स्थानीय मजदूर व झारखंड के अभ्रक माफिया जुटे हैं. इससे पहले भी शारदा माइंस पर छापेमारी की गयी थी.
इसमें दर्जनों बंदूकें, जेसीबी व कंप्रेशर मशीनों को जब्त किया गया था. उसके बाद कुछ दिनों के लिए अवैध खनन बंद कर दी गयी थी.
कुछ महीनों से फिर से खनन कार्य शुरू हो गया है. इसकी सूचना खनन विभाग के प्रधान सचिव को मिली. इसके बाद पटना में एक वरीय पदाधिकारियों के साथ बैठक हुई और तुरंत सवैयाटांड़ पंचायत के चटकरी स्थित शारदा माइंस पर छापेमारी करने की रणनीति बनायी गयी.
इसके बाद शुक्रवार को डीफओ आलोक कुमार, अभियान के एएसपी कुमार आलोक, एसएसबी के असिस्टेंड कमांडेंट नागेश्वर दास के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया और माइंस पर छापेमारी की गयी.इस छापेमारी में पांच कारोबारियों काे पकड़ा गया और भारी मात्रा में विस्फोटक, तीन बाइकें और एक कंप्रेशर मशीन को जब्त किया गया. पुलिस की पूछताछ में मो यूसुफ ने बताया कि जिलेटिन और डेटोनेटर डोमचांच में रहनेवाले वीरू यादव से लेता था.
वीरू यादव अवैध उत्खनन करनेवाले सभी माफियाओं को जिलेटिन और डेटोनेटर उपलब्ध कराता है. सूत्र बतातें हैं कि सवैयाटांड़ पंचायत के स्थानीय जनप्रतिनिधि इन माफियाओं को पुलिस के आने-जाने की खबर देते हैं.
यहां तक कि शुक्रवार की छापेमारी के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधि अवैध अभ्रक के कारोबार करनेवाले माफिया को बचाने के लिए कभी वन विभाग की चौखट चूम रहे थे, तो कभी थाने की चौखट. लेकिन, न तो इनकी वन विभाग के अधिकारी सुने और न ही थाने के.
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