नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक ने शनिवार को गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के निपटान के लिए नये अधिकार मिलने के कुछ घंटे बाद ही दबाव वाली संपत्तियों से संबंधित नियमों में उल्लेखनीय बदलाव करते हुए बैंकों को आगाह किया कि यदि वे एनपीए निपटान की समयसीमा से चूकते हैं, तो उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है. इससे पहले दिन में सरकार ने रिजर्व बैंक को सशक्त करने के लिए एक अध्यादेश को अधिसूचित किया. इससे केंद्रीय बैंक को ऋण चूक मामले में दिवाला निपटान प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश देने का अधिकार मिल गया है.
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रिजर्व बैंक ने एक अधिसूचना के जरिये संयुक्त ऋणदाता मंच (जेएलएफ) और सुधारात्मक कार्रवाई योजना (सीएपी) में निर्णय प्रक्रिया को सुगम किया है. अर्थव्यवस्था में दबाव वाली संपत्तियों के पुनरोद्धार की रूपरेखा के तहत यह किया गया है. अधिसूचना में कहा गया है कि समय पर निर्णय प्रक्रिया के लिए यह फैसला किया गया है कि मूल्य के हिसाब से 60 प्रतिशत ऋणदाताओं और संख्या के हिसाब से 50 फीसदी ऋणदाताओं या बैंकों के सहमत होने पर जेएलएफ को सीएपी तय करने का आधार माना जायेगा.
पहले यह निर्णय मूल्य के हिसाब से 75 फीसदी तथा संख्या के हिसाब से 60 फीसदी ऋणदाताओं के सहमत होने पर लिया जा सकता था. रिजर्व बैंक ने आगाह किया है कि इन निर्देशों तथा समयसीमा का अनुपालन नहीं होने पर संबंधित बैंकों पर मौद्रिक जुर्माना लगाया जा सकता है.