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आज भी लोगों के जेहन में याद है 1981 का वह रेल हादसा, पढें क्या हुआ था उस दिन

नयी दिल्ली : मुजफ्फरनगर ट्रेन हादसे में रेलवे की लापरवाही सामने आने पर इसकी गाज डीआरएम और जीएम समेत आठ रेल अधिकारियों पर गिरी है. रेलवे ने घटना के एक दिन बाद ही बड़ी कार्रवाई की. रेलवे बोर्ड चेयरमैन से रविवार की शाम तक हर हाल में घटना के लिए जिम्मेदार व्यक्ति का नाम बताने […]

नयी दिल्ली : मुजफ्फरनगर ट्रेन हादसे में रेलवे की लापरवाही सामने आने पर इसकी गाज डीआरएम और जीएम समेत आठ रेल अधिकारियों पर गिरी है. रेलवे ने घटना के एक दिन बाद ही बड़ी कार्रवाई की. रेलवे बोर्ड चेयरमैन से रविवार की शाम तक हर हाल में घटना के लिए जिम्मेदार व्यक्ति का नाम बताने को कहा था. इस बीच, रेलवे ने 25 लोगों की मौत की पुष्टि की है. 97 घायल हैं, जिनमें 26 की हालत गंभीर बनी हुई है. मुजफ्फरनगर ट्रेन हादसे से एक बार फिर भारतीय रेल की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं.

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आइए हम देश के सबसे बड़े रेल हादसे के संबंध में कुछ जान लें. 06 जून, 1981 का वह दिन आज भी इतिहास के पन्नों पर दर्ज है जिसको याद करने के बाद रूह कांप जाती है. ‘जी हां’ यह देश का सबसे बड़ा रेल हादसा था, जिसमें करीब 800 लोग काल के गाल में समा गये थे.

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6 जून 1981 का वह दिन, ट्रेन बिहार के मानसी से सहरसा जा रही थी. ट्रेन में काफी भीड़ थी और लोग घर जल्दी पहुंचना चाहते थे, लेकिन उन्हें जरा भी अहसास नहीं था कि उनके लिए यह यात्रा अंतिम यात्रा होने वाली है. मॉनसून का महीना था और ट्रेन अपनी रफ्तार से दौड़ रही थी कि तभी अचानक ट्रेन के ड्राइवर ने ब्रेक लगा दिया जिसके बाद पैसेंजर ट्रेन की सात बॉगियां पुल से बागमती नदी में गिर गयीं. ट्रेन बागमती नदी को पार कर रही थी. हादसे के दौरान 300 लोगों की मौत हो गयी लेकिन कई लोगों का शव कई दिनों तक बोगियों में फंसा रहा.

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इस हादसे में मरने वालों की सरकारी आंकड़े के अनुसार संख्या 300 थी, लेकिन बाद में रेलवे के दो अधिकारियों ने जानकारी दी थी कि हादसे में 800 से 1000 के करीब लोग मारे गये. इस हादसे को देश के सबके बड़े रेल हादसे के रूप में याद किया जाता है. यही कारण है कि जब भी कोई रेल हादसा होता है तो 6 जून 1981 का काला दिन स्वत: स्मृति में आ जाता है. हालांकि ड्राइवर ने ब्रेक क्यों लगाया था इसका खुलासा नहीं हो पाया है. कुछ लोग कहते हैं कि जब ट्रेन बागमती नदी को पार कर रही थी तभी ट्रैक पर गाय आ गयी थी जिसे बचाने के चक्कर में ड्राइवर ने ब्रेक मारी थी.

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वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि बारिश तेज थी जिसके कारण लोगों ने ट्रेन की सभी खिड़कियों को बंद कर दिया और तेज तूफान होने की वजह से पूरा दबाव ट्रेन पर पड़ा और बोगियां नदी में समा गयी. बहरहाल, वजह जो भी रही हो लेकिन वह दिन आज भी लोगों के जेहन में समाया हुआ है.

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