प्राकृतिक आपदा बाढ़ से बिहार तथा दूसरे राज्य भी प्रभावित हैं लेकिन समस्तीपुर रेल मंडल पर सबसे अधिक असर हुआ है. एक तरफ जहां परिचालन बंद हो जाने की वजह से रेल यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है, वहीं दूसरी ओर विभाग को नित्य लाखों का नुकसान हो रहा है. सबसे अधिक प्रभाव दरभंगा जंकशन की आय पर पड़ रहा है.
ज्ञातव्य हो कि जिले में बाढ़ आने की वजह से दरभंगा-समस्तीपुर रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन गत 17 अगस्त की दोपहर से ही ठप है. लंबी दूरी की ट्रेनों को आंशिक रूप से रद्द कर अथवा मार्ग परिवर्तित कर चलाया जा रहा है. इसके बावजूद यात्रियों को समस्या झेलनी पड़ रही है.
एक दशक बाद भी पुल चालू नहीं : वर्ष 2007 में भी बाढ़ आई थी. विकराल बाढ़ की स्थिति को देखते हुए तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद दरभंगा पहुंचे थे. उन्होंने बाढ़ को ध्यान में रखते हुए दरभंगा-समस्तीपुर के मध्य वैकल्पिक लाइन निर्माण की घोषणा की थी. इसे लेकर समस्तीपुर-मुक्तापुर के बीच बूढ़ी गंडक नदी पर पुल निर्माण किया गया.
थलवारा-हायाघाट के बीच भी पुल तैयार किया गया. अभियंत्रण विभाग की सुस्ती के कारण दोनों पुल तैयार होने के बावजूद बेकार पड़े हैं. इससे होकर ट्रेनें नहीं चलाई जा रही है. परिचालन ठप है. दरभंगा समस्तीपुर रेल खंड पर मुख्य रूप से दो स्थानों पर बाढ़ के पानी का खतरा बना रहता है. इसमें थलवारा से हायाघाट के बीच मुंडा पुल के रूप में पहचान रखने वाला रेल पुल संख्या 16 तथा बूढ़ी गंडक पर मुक्तापुर- समस्तीपुर के बीच पुल संख्या एक शामिल है.
छह माह में भी दूर नहीं की कमी:गौरतलब है कि इन दोनों स्थान पर पुल तैयार कर लिया गया है. रेलवे के अभियंत्रण विभाग की सुस्ती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बूढ़ी गंडक पुल का सीआरएस निरीक्षण हो चुका है. यह निरीक्षण हुए छह माह से अधिक गुजर गए. रेलवे के सूत्र बताते हैं कि सीआरएस में निरीक्षण के क्रम में कुछ कमियों को पाते हुए उसे दूर कर परिचालन शुरू करने का आदेश दिया था. इस छमाही में उस कमियों को इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में पूरा नहीं किया. नतीजतन परिचालन ठप है.
निकटवर्ती स्टेशन के यात्री प्रभावित : दूसरी और सवारी गाड़ी का परिचालन पूरी तरह से बंद है निकटवर्ती स्टेशनों पर आने जाने वालों को काफी परेशानी हो रही है. टिकट बिक्री नहीं होने के कारण रेलवे की आय प्रभावित हो रही है. सड़क मार्ग से दूर रेलवे से जुड़े क्षेत्र के यात्रियों को खासी समस्या झेलनी पड़ रही है.
10 दिन में आठ करोड़ का नुकसान : रेलवे के राजस्व राजस्व के नुकसान का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले 10 दिनों में समस्तीपुर रेल मंडल हो करीब साढे सात करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. विभागीय सूत्र से मिले आंकड़ों के अनुसार 91 लाख 53572 रुपए टिकट वापसी करना पडा है. चार करोड़ 11 लाख 20 हजार का टिकट नहीं बिका. जिन स्टेशनों के बीच परिचालन हो रहा है उसमें एक करोड़ 87 लाख 28 हजार का टिकट कम बिका है. टिकट चेकिंग से होने वाली आय के औसत को अगर देखें तो इस अवधि में करीब 14 लाख रुपए का घाटा रेलवे को हुआ है.
ट्रेन की लेटलतीफी चरम पर
परिचालन बाधित होने की वजह से दरभंगा से प्रतिदिन 40 हजार यात्री प्रभावित हैं. वैसे लंबी दूरी की कुछ प्रमुख गाड़ियों का परिचालन भाया सीतामढ़ी- मुजफ्फरपुर किया जा रहा है, लेकिन इससे भी यात्रियों की परेशानी पूरी तरह दूर नहीं हो सकी है. इसकी जड़ में अगर झांके तो समस्तीपुर रेल मंडल का परिचालन विभाग दोषी दिखता है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दरभंगा से मुजफ्फरपुर पहुंचते-पहुंचते ट्रेन 4 से 5 घंटे लेट हो जा रही है,
जबकि परिचालन पूरी तरह से समस्तीपुर रेल मंडल के अधीन है. सवारी गाड़ियां भी कम चल रही है. मतलब रेलखंड पर ट्रेनों का दबाव कम है, बावजूद समय पर गाड़ी नहीं चल पा रही है. उदाहरण स्वरूप नई दिल्ली जाने वाली समस्तीपुर रेल मंडल या यूं कहें उत्तर बिहार की सबसे प्रमुख गाड़ी बिहार संपर्क क्रांति 15 से 25 घंटे विलंब से नई दिल्ली पहुंच रही है. स्वतंत्रता सेनानी का तो हाल पहले से ही बुरा है. यह ट्रेन कब आयेगी और कब गणतव्य तक पहुंचेगी, इसका कोई ठिकाना नहीं रहता. लिहाजा यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है.
प्राकृतिक आपदा है. रेलवे की परियोजनाओं पर काम चल रहा है. वरीय पदाधिकारी देख रहे हैं. स्थिति में सुधार होते ही परिचालन आरंभ होगा.
वीरेंद्र कुमार, पीआरओ, समस्तीपुर मंडल