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लॉटरी का लालच देकर एक साल में की दो करोड़ रुपये की ठगी, दो गिरफ्तार

पटना : लॉटरी व अन्य एटीएम कार्ड में फ्रॉड कर एक साल में दो करोड़ की ठगी करनेवाले दो जालसाजों को पटना पुलिस की टीम ने गिरफ्तार किया है. पकड़े गये जालसाजों में अनुराग कुमार (मनिहारी, शेखपुरा) व प्रिंस उर्फ राज कुमार (गनसारा, सराय रंजन, समस्तीपुर) शामिल हैं. इनके पास से विभिन्न बैंकों के 51 […]

पटना : लॉटरी व अन्य एटीएम कार्ड में फ्रॉड कर एक साल में दो करोड़ की ठगी करनेवाले दो जालसाजों को पटना पुलिस की टीम ने गिरफ्तार किया है. पकड़े गये जालसाजों में अनुराग कुमार (मनिहारी, शेखपुरा) व प्रिंस उर्फ राज कुमार (गनसारा, सराय रंजन, समस्तीपुर) शामिल हैं. इनके पास से विभिन्न बैंकों के 51 एटीएम कार्ड, एक दर्जन मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, 17 पैन कार्ड, 19 सिम कार्ड, वोटर आइकार्ड, बैंक पासबुक, एक नयी कार, दो लाख, 67 हजार नकद व आधार कार्ड बरामद किये गये हैं.
पुलिस ने जब इनके बैंक पासबुक का डिटेल खंगाला, तो चौंक गयी, क्योंकि एक साल के अंदर इन लोगों ने दो करोड़ रुपये लोगों से ठग कर खाते में डलवाये थे और उसे फिर से एटीएम या फिर चेक से निकाल लिये थे. जालसाजी के पैसों से ही इन लोगों ने कार खरीदी थी.
एक एकाउंट बंद नहीं कराया और पकड़े गये : फतुहा के एक व्यक्ति का छह लाख रुपया इस गिरोह ने लॉटरी का प्रलोभन देकर ले लिया था. लॉटरी लेने के लिए एटीएम का पिन कोड मांगा, तो उसने दे दिया. उन्हें जब पैसे निकासी की जानकारी मिली, तब तक छह लाख निकल चुके थे.
इस संबंध में फतुहा थाने में मामला दर्ज किया गया था. लगातार हो रही इस तरह की घटनाओं के बाद एसएसपी मनु महाराज के निर्देश पर फतुहा डीएसपी अनोज कुमार के नेतृत्व में पुलिस टीम का गठन किया गया और फिर मामले का अनुसंधान शुरू किया गया. जिस एकाउंट में उन लोगों ने पैसा ट्रांसफर किया था, वह कंकड़बाग के पीएनबी बैंक का था. पुलिस पीएनबी बैंक के इर्द-गिर्द सक्रिय हो गयी. साथ ही बैंक से जानकारी मिली कि एक युवक वहां प्रतिदिन आता है और चेक से पैसे निकालता है.
इसके बाद पुलिस ने जाल बिछाया और अनुराग को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद प्रिंस को भी गिरफ्तार किया गया और उन लोगों के पास से पैन कार्ड, एटीएम कार्ड, आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज बरामद किये गये. आमतौर पर किसी भी घटना को अंजाम देने के बाद यह गिरोह उक्त एकाउंट से सारे पैसे निकाल कर उसका उपयोग करना बंद कर देता था. लेकिन, पीएनबी बैंक के एकाउंट को बंद नहीं कराया और पुलिस उन दोनों तक पहुंच गयी.
फर्जी दस्तावेज बना कर रहे थे फर्जीवाड़ा
इस गिरोह के तार कई राज्यों से जुड़े हैं और इन लोगों के बैंक एकाउंट को जब खंगाला गया, तो यह जानकारी मिली कि एक साल के अंदर दो करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ है. बरामद पैन कार्ड, आधार कार्ड व वोटर कार्ड की जांच की जा रही है. अभी तक जो जानकारी है, उसके अनुसार ये लोग फर्जी दस्तावेज बना कर फर्जीवाड़ा कर रहे थे.
मनु महाराज, एसएसपी, पटना
कैसे करते थे जालसाजी
फोन कर गिरोह के सदस्य उन्हें यह जानकारी देते थे कि आपके मोबाइल नंबर की लॉटरी लगी है और वे विजेता घोषित हुए है. इनाम के रूप में उन्हें दस-पंद्रह लाख की कार या फिर दस लाख रुपये नकद मिलेंगे. साथ ही लॉटरी जीतने का मैसेज भी भेजते थे. जो उनके जाल में फंस जाते थे, तो उनसे रजिस्ट्रेशन व अन्य प्रक्रिया पूरा करने के नाम पर सात हजार तक अपने एकाउंट में जमा करवा लेते थे. जब तक लोगों को ठगी का अहसास होता, वे लोग 40-50 हजार रुपये ठग चुके होते थे.
यह गिरोह एटीएम की इर्द-गिर्द भी सक्रिय रहता था और छुप कर पैसा निकालने के क्रम में किसी की भी एटीएम का पिन कोड जान लेता था. इसके अलावे उक्त पिन कोड के माध्यम से ऑनलाइन मार्केटिंग तक कर लेते थे. साथ ही बैंक अधिकारी बन कर एटीएम का पिन कोड जान लेते थे और फिर अपने एकाउंट में पैसा ट्रांसफर करने के बाद ऑनलाइन मार्केटिंग भी करते थे.
पटना : ऑनलाइन फ्रॉड करनेवाले ये जालसाज काफी शातिर थे. इन लोगों ने ऐसी अचूक व्यवस्था कर रखी थी कि कोई भी इन लोगों को नहीं पकड़ सकता था. इनके पास से पैन कार्ड, एटीएम कार्ड, सिम, पासबुक आदि बरामद किये गये, जो इनकी जालसाजी का हथियार था.
बरामद दस्तावेज एक तरह से ऑरिजनल थे और इन्हें कैसे मिले, इस बिंदु पर जांच के लिए एसएसपी ने आदेश दिया है. इनके पैन कार्ड की जब ऑनलाइन जांच की गयी, तो एकदम उसी नाम का निकला और यह भी जानकारी थी कि उक्त पैन कार्ड कब और किस कूरियर के माध्यम से भेजी गयी है. साथ ही आधार कार्ड, बैंक पासबुक आदि भी ऑरिजनल थे. इस गिरोह ने कई लोगों के नाम से पैन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर कार्ड की व्यवस्था कर रखी थी. इसके आधार पर ये आसानी से किसी भी बैंक में खाता खुलवा लेते थे.
ये दस्तावेज यह गिरोह बैंक में जमा करते थे और जब बैंक के माध्यम से छानबीन की जाती थी, तो उक्त कागजात ऑरिजनल होते थे. क्योंकि इंटरनेट पर सर्च करने पर वहीं नाम व पता दिखता था. इसके बाद बैंक द्वारा कागजात की जांच के बाद एक कागज उनके पते पर भेजी जाती थी. इसके बाद उक्त पते पर पहुंचने के बाद यह गिरोह आसानी से उसे रिसीव कर लेते थे और बैंक पहुंच जाते थे.

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