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चलो जुमला-जुमला खेलें

चंचल सामाजिक कार्यकर्ता हमारी जनता बेवकूफ नहीं है? बंगाल के लिए सुभाष बाबू को घेर रहे हो? अतीत मत रगड़ो बच्चू, नहीं तो थेथर हो जाआगे. कुछ काम की बात करो. जो कि तुम लोग कर नहीं पाओगे, क्योंकि तुम लोगों के एजेंडे में नहीं है. ये भाई सुनने में आ रहा कि नेताजी सुभाषचंद्र […]

चंचल

सामाजिक कार्यकर्ता

हमारी जनता बेवकूफ नहीं है? बंगाल के लिए सुभाष बाबू को घेर रहे हो? अतीत मत रगड़ो बच्चू, नहीं तो थेथर हो जाआगे. कुछ काम की बात करो. जो कि तुम लोग कर नहीं पाओगे, क्योंकि तुम लोगों के एजेंडे में नहीं है.

ये भाई सुनने में आ रहा कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जासूसी करते रहे पंडित नेहरू जी? कह कर कयूम मियां ने गहरी सांस ली. उकड़ू बैठे लखन कहार को झटका लगा- ई के कहेस भाई?

बात को लाल साहेब ने लोक लिया- हम अपनी आंखन देखे भाई! उमर दरजी फिस्स से हंसा और आंख गोल करके खड़ा हो गया. अचानक जोर से बोला- उठ खड़ा हो तो लंबरदार क बेटा! सीधा खड़ा हो! लाल साहेब ने तरेर कर उमर दरजी को देखा- अबे बात का रही है औ तैं चले आये बंडी क नाप लेने? बात समझ रहा है कि यूं ही बीच में टपक पड़े? ई पाजामा क मिआनी ना है. ई राजनैत का बात है.

कीन उपाधिया ने टोका- राजनैत नहीं राजनीती बोलो. लाल साहेब ने कीन को घुड़की दी- हियां तुम्हारी तरह सब लंठ ना हैं. उमर जोर से हंसा- देखù पंचो! इ लंबरदार क लड़िका आंखन देखि करत रहे. बाप मरा अनिहारे, बेटा पावर हाउस. भाई लाल साहेब! आपन उम्र देखि लù. क ई साल के भये? चालीस के फेटे में हो और सुबास बाबू कब मरे, जवाहिरलाल कब रहे? और तू जासूसी देखत रह्यो? कयूम को मौका मिल गाय- कुछ लोग पेट से ही सब देख सुन कर आते हैं. लोग हंस दिये..

अबे! तोर माई के धुनिया लेई जाय! आंखन देखी क मतलब टीवी देखा रहा.. मद्दू पत्रकार ने कुर्ते की बांह ऊपर खींचा और मंच माइक सब संभाल लिये- यह बहुत खतरनाक खेल है. यह सरकार जब-जब फंसती है, एक न एक चुटकला सुना देती है और जनता उसी भ्रमजाल में फंस जाती है. हर बार वह लपेटता है. पिछली दफा सरदार पटेल रहे, अबकी बार नेता सुभाषचंद्र बोस हैं. कल को बिहार के बाद बंगाल का चुनाव शुरू होगा, तो गांधी बनाम रवींद्रनाथ टैगोर होंगे. जनता के मन में नेहरू, गांधी, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, फिर अंत में राहुल गांधी यानी की समूची कांग्रेस को खलनायक बनाना उसका मकसद है. ई डिब्बावाले और तमाशा हैं. इन्हें न पढ़ना न लिखना है, बस गला फाड़ चीखना है.

इससे फायदा का होता है?

जो पिछली बार भवा रहा. कांग्रेस भ्रष्ट है. विदेश में काला धन रखा है. उसे हटाओ तो हम सब सुधार देंगे. चोरों को जेल में डाल देंगे, काला धन जनता में बांट देंगे. जनता ने जिताया. मुला हुआ का?

इसे का कहते हैं?

इसे कहते हैं जुमला. अब एक नया जुमला आवा है सुभाषचंद्र बोस और नेहरू के बीच ना पटत रही. और नेहरू उनके घर की जासूसी कराते रहे.. चिखुरी हत्थे से उखड़ गये- असल बात दूसरी है. संघी घराने को केवल कांग्रेस से डर है. इसके लिए वो एक-एक कर सबको अपनायेगा और फिर उसे बदनाम करेगा. पंडित नेहरू और सुभाषचंद्र बाबू में कोई मतभेद नहीं रहा. सुभाष बाबू का मानना था कि अंगरेजों के खिलाफ वो शैतान से भी हाथ मिला सकते थे.

सुभाष बाबू की हिंसा और हिटलर प्रेम कांग्रेस से टकराव का बड़ा कारण बना और सुभाष बाबू को कांग्रेस छोड़ना पड़ा. लेकिन कांग्रेस के कई नेताओं से सुभाष बाबू के रिश्ते बहुत मधुर और विश्वसनीय रहे. उनमें गांधी जी सर्वोपरि रहे.. चिखुरी ने रुक कर सांस ली, फिर बोले-सुन कीन! अब एक नया खेल चालू किया है. सोनिया बनाम राहुल. उन्हें कांग्रेस का इतिहास नहीं मालूम, जो जनतंत्र से शुरू होता है. गांधी बाबा के पहले लाल, बाल, पाल की तिकड़ी थी.. नवल ने बीच में ही टोक दिया- दद्दा! जरा इसका खुलासा करिये.

बाल यानी बाल गंगाधर तिलक और पाल यानी गोपाल कृष्ण गोखले. इनमें सब में मतभेद रहा, लेकिन सुराज के सवाल पर सब एक रहे. गांधी तो सबसे टकराते रहे. अंगरेजी सत्ता से.

संघी और साम्यवादी उनके जानी दुशमन रहे. मतभेद खूब रहे, लेकिन मनभेद कभी नहीं हुआ. लेकिन तुम कीन, अपनी सत्ता-संगठन में देखो, जहां सवाल तक नहीं पूछ सकते, असमहत होना तो दूर की बात है.

लाल साहेब ने बीच में टोका-और जो राहुल के बारे में प्रचार है कि.. चिखुरी ने बीच में रोका- उन सब को राहुल एक खतरा लगता है. जुड़ कर राजनीति की शुरुआत कर रहा है, जो कि कालांतर में गायब रही. अगर राहुल गांधी ने यह राजनीति शुरू की है, तो यह कांग्रेस की परंपरा है समङो कीन?

और तुम्हारी पार्टी जो प्रायोजित भीड़ ले जाती रही. टोपी, लूंगी, बुर्का बांट कर, अब वो जमाना जल्द ही जायेगा. जिंदा रहेगा गांधी.. किया तो गडकरी ने दिल्ली में किसान रैली, कितने लोग थे? छल-प्रपंच अब नहीं चलनेवाला. बिहार में डॉ आंबेडकर की तसवीर के साथ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और दीन दयाल उपाध्याय की तसवीर चिपका रहे हो?

क्या जनता बेवकूफ है? बंगाल के लिए सुभाष बाबू को घेर रहे हो? अतीत मत रगड़ो बच्चूं, थेथर हो जाआगे. कुछ काम की बात करो. जो कि तुम लोग कर नहीं पाओगे, क्योंकि तुम लोगों के एजेंडे में नहीं है. नवल ने रसभंग कर दिया.. चैत में कजरी गाने लगे..

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