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गरीब की प्रभुता का यह मोदी बजट

मौजूदा लेखा व्यवस्था को सुधारने के लिए एक कार्यकारी दल की स्थापना का भी प्रावधान किया गया है, जो नये निर्माण, पुराने कार्यो की देखभाल और रेलवे लाइनों की कामकाजी संभाल पर नजर रखते हुए खर्च बचाने और परिणाम बढ़ाने पर ध्यान देगा. सुरेश प्रभु ने अपने पहले रेल बजट में सामान्य व्यक्ति की आवश्यकताओं […]

मौजूदा लेखा व्यवस्था को सुधारने के लिए एक कार्यकारी दल की स्थापना का भी प्रावधान किया गया है, जो नये निर्माण, पुराने कार्यो की देखभाल और रेलवे लाइनों की कामकाजी संभाल पर नजर रखते हुए खर्च बचाने और परिणाम बढ़ाने पर ध्यान देगा.
सुरेश प्रभु ने अपने पहले रेल बजट में सामान्य व्यक्ति की आवश्यकताओं को पूरा करने के मोदी स्वप्न को साकार करने का प्रयास किया है. पिछले वर्ष की तुलना में इस बार 52 प्रतिशत खर्च बढ़ा है. रेल लाइनों को दोहरीकरण करने में 357 प्रतिशत की वृद्धि और यातायात में बेहतर सुविधा मुहैया कराने के लिए 149 प्रतिशत वृद्धि की गयी है, जिसका सीधा असर रेलों के जल्दी चलने, समय पर पहुंचने और रास्ते में लाइन खाली न मिलने के कारण घंटों रुके रहने से मुक्ति के रूप में यात्रियों को मिलेगा.
रेल लाइनों के बिजलीकरण के लिए 54 प्रतिशत खर्च बढ़ाया गया है और बिजलीकरण वाले रेलपथों की संख्या में 1330 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है. इसका मूल उद्देश्य है कि अधिक रेलगाड़ियां तेज गति से चलें और यात्रियों को अधिक से अधिक दूरी कम से कम समय में करनी पड़े. यह बजट इस दृष्टि से बनाया गया है कि पिछले नौ वर्षो में पहली बार ऑपरेटिंग अनुपात यानी खर्च और कामकाज में अनुपात 88.5 प्रतिशत तक पहुंचा है.
वर्तमान लेखा व्यवस्था को सुधारने के लिए एक कार्यकारी दल की स्थापना का भी प्रावधान किया गया है, जो नये निर्माण, पुराने कार्यो की देखभाल और रेलवे लाइनों की कामकाजी संभाल पर नजर रखते हुए खर्च बचाने और परिणाम बढ़ाने पर ध्यान देगा.
सुरेश प्रभु ऑडिट के मामले में कठोर हैं. उन्होंने पिछले माह अंकेक्षक (सीएजी) विनोद राय से भी मदद ली है और सिस्टम, मानव संसाधन, ऑपरेशन, ऊर्जा और जल की आपूर्ति और इस्तेमाल के ऑडिट के लिए अलग-अलग व्यवस्थाएं स्थापित कर दी हैं. वर्ष 2014-15 का कुल रेल बजट 65,798 करोड़ रुपये था, जो इस बार बढ़ कर 1,00,011 करोड़ रुपये का हो गया है. इस बार 7,000 किमी रेल पथ के दोहरीकरण या तीसरी और चौथी लाइन बिछाने पर खर्च होगा, जबकि पिछले वर्ष 1,200 किमी रेल पथ पर किया गया था. इसके अलावा, 77 ऐसे नये प्रोजेक्ट स्वीकृत किये गये हैं, जिनमें 9,400 किमी रेल पथ की बिजलीकरण, डबलिंग या तीसरी-चौथी लाइनें बिछाने का काम किया जायेगा. इस पर 96,182 करोड़ रुपये खर्च होंगे. 2013-14 की तुलना में देखा जाये (2014-15 योजना अवकाश का वर्ष था) तो यह एकदम 2,700 प्रतिशत की वृद्धि दिखाता है. वर्ष 2014-15 में जहां केवल 462 रूट किलोमीटर स्वीकृत किये गये थे, वहीं इस वर्ष 6,608 किलोमीटर स्वीकृत किये गये हैं, जो पिछले बजट की तुलना में 1,330 प्रतिशत ज्यादा है. आये दिन बिना सुरक्षा व्यवस्था और रोक वाले रेलवे क्रॉसिंग पर मार्मिक दुर्घटनाओं के समाचार मिलते हैं. इस स्थिति से निपटने के लिए 3,438 लेवल क्रॉसिंग समाप्त करने के लिए उन पर ओवरब्रिज या अंडरब्रिज बनाने का काम स्वीकृत किया गया है, जिस पर कुल 6,581 करोड़ रुपये खर्च होंगे. यह पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 2,600 प्रतिशत की असाधारण वृद्धि है. 2015-16 में रेल यातायात की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए 2,374 करोड़ रुपये आबंटित किये गये हैं.
यह बजट मूलत: कम आय वर्ग के साधारण भारतीय यात्रियों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. इसीलिए इस बजट में यात्री किराये में कोई बढ़ोतरी नहीं की गयी है. रेलवे से सबसे ज्यादा परेशानी लोगों को अपार भ्रष्टाचार से होती थी. हर नौकरी में पैसा देना पड़ता था और पिछले रेल मंत्री पवन बंसल की ऐसे ही एक बड़े स्तब्धकारी घोटाले में बर्खास्तगी हुई थी. इस बार के रेल बजट में हर स्तर पर भ्रष्टाचार को पूरी तरह से समाप्त करने और भ्रष्ट अधिकारियों के लिए हर दरवाजे बंद करने के विशेष उपाय किये गये हैं. साधारण कोचों को अधिक से अधिक यात्रियों के लिए इस्तेमाल किये जाने पर जोर दिया गया है तथा साधारण दज्रे और स्लीपर क्लास के डिब्बों में भी मोबाइल चाजिर्ग की सुविधा दी जा रही है, जो कि अभी केवल एसी क्लास में ही दी जाती थी.
सामान्य यात्रियों के लिए कम खर्च पर जल उपलब्ध कराने के लिए मशीनों से रेलवे स्टेशन पर शुद्ध निर्मल जल दिये जाने की व्यवस्था की जा रही है तथा हर स्टेशन पर स्वयंचालित लॉकर और टिकट मशीनें लगायी जा रही हैं. इन मशीनों को लगाने का फायदा यह होगा कि ये पांच मिनट में यात्रियों को टिकट दे देंगी. प्रत्येक रेलगाड़ी में यात्री कोचों की संख्या 24 से 26 तक बढ़ायी जा रही है और साधारण आदमी की बुलेट ट्रेन तथा बेहतर समयबद्धता समेत 200 आदर्श स्टेशन योजना में शामिल किये जा रहे हैं.
स्वच्छता के बिना रेल का कैसे काम चलेगा. मोदी जी के स्वच्छता अभियान के बाद रेलवे स्टेशनों पर स्वच्छता के स्तर में 39 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इसे सौ प्रतिशत तक ले जाने के लिए डिब्बों की साफ-सफाई, बिस्तरों और चादरों की बेहतर धुलाई तथा स्टेशनों की स्वच्छता को ‘स्वच्छ रेल स्वच्छ भारत’ अभियान के तहत जोड़ा गया है तथा इसके लिए अलग से एक विभाग गठित किया गया है.
रेलवे के कूड़ा-कचरे से ऊर्जा बनाने और पिछले वर्ष की तुलना में 650 अतिरिक्त नये स्टेशनों पर शौचालय बनाने तथा 17,000 शौचालयों को नवीनीकृत करने का काम रेलवे के ‘रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन’ को दिया गया है. इतना ही नहीं, पहली बार रेल इतिहास में रेल के डिब्बों में हाऊसकीपिंग सर्विस यानी कोच की देखभाल के समूह 500 ट्रेनों में उपलब्ध कराये जायेंगे.
किसानों के लिए विशेष किसान यात्र योजना और सब्जी तथा फसल ले जाने के लिए विश्व का आधुनिकतम मालगोदाम केंद्र या पेरीशेबल कार्गो सेंटर बनाया जायेगा. रेलवे स्टेशनों को अत्याधुनिक बनाने के लिए पब्लिक -प्राइवेट पार्टनरशिप, वैगन लीजिंग स्कीम और बंदरगाहों तथा खदान क्षेत्रों तक रेलवे ले जाने का काम संयुक्त तत्वावधान में किये जाने की योजना है. दुर्घटनाएं रोकने के लिए जहां रेलवे कॉसिंग्स पर अंडरब्रिज बनाये जा रहे हैं, वहीं भारतीय उपग्रह शोध संगठन की मदद से पावर सप्लाइ और जीपीएस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह रेल बजट पिछले तमाम रेलवे बजटों की तुलना में एक नयी दिशा और कर्मशीलता को स्थापित करने वाला होगा.
तरुण विजय
राज्यसभा सांसद, भाजपा
tarunvijay2@yahoo.com

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