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ब्रिटिश काल से हेरिटेज घड़ियों की देखभाल कर रहे हैं घड़ी बाबू

कोलकाता: दुनिया के दो ऐसे नाम- स्टीव जैग्स व स्वपन दत्ता, जिन्हें लोग उनके हुनर से जानते हैं. इन दोनों हस्तियों का काम है सिर्फ हेरिटेज स्थलों की देखभाल करना. खास कर हेरिटेज भवनों में लगी घड़ियों की देखभाल करना इनकी जिम्मेदारी है. जैग्स को दुनियाभर में लंदन की द ग्रेट बिग बेन क्लॉक की […]

कोलकाता: दुनिया के दो ऐसे नाम- स्टीव जैग्स व स्वपन दत्ता, जिन्हें लोग उनके हुनर से जानते हैं. इन दोनों हस्तियों का काम है सिर्फ हेरिटेज स्थलों की देखभाल करना. खास कर हेरिटेज भवनों में लगी घड़ियों की देखभाल करना इनकी जिम्मेदारी है. जैग्स को दुनियाभर में लंदन की द ग्रेट बिग बेन क्लॉक की देखभाल करने वाले के रूप में जाना जाता है तो कोलकाता निवासी स्वपन दत्ता लेकटाउन स्थित बिग बेन क्लॉक की देखरेख करते हैं. स्वपन का परिवार यह काम लगभग 150 वर्ष अर्थात ब्रिटिशराज के समय से करता आ रहा है.
कोलकाता के कॉलेज स्ट्रीट इलाके में रहने वाले स्वपन दत्ता की जिम्मेदारी शहर के हर एक क्लॉक टावर की देखभाल करने की है. इन घड़ियों के साथ दत्ता परिवार का 150 साल से संबंध है. अपने परिवार के इतिहास की जानकारी देते हुए स्वपन दत्ता ने कहा कि यह सब (क्लॉक टावर की देखभाल का काम) उनके दादाजी के समय में शुरू हुआ था. 60 वर्षीय स्वपन को पूरे कोलकाता में घड़ी बाबू के नाम से जाना जाता है.
कोलकाता ही नहीं बल्कि स्वपन दत्ता पटना, दिल्ली और नेपाल के हेरिटेज क्लॉक टावर की भी देखभाल करते हैं. जब उनसे घड़ी और क्लॉक टावर के बीच अंतर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अंतर बहुत आसान है. एक स्प्रिंग से चलती है और दूसरी वजन के दबाव से. हम बहुत भारी वजन टांगते हैं.

टावर की घड़ी में लगे डायल के आकार के बारे में उन्होंने कहा कि हर 10 फीट के टावर के लिए एक फीट लंबे डायल की जरूरत होती है. अगर आपको 13 फीट लंबा डायल लगाना है तो उसके लिए 130 फीट लंबा टावर बनाना होगा. उन्होंने कहा कि टावर क्लॉक के काम करने का तरीका लगभग एक जैसा ही होता है लेकिन उनके पुर्जे अलग-अलग होते हैं. इसलिए अगर कभी कुछ टूट गया तो फिर इसे दोबारा से रिपेयर नहीं किया जा सकता, बल्कि नयी घड़ी ही लगानी होगी.

उन्होंने कहा कि इन हेरिटेज क्लॉक्स का रखरखाव आसान नहीं है. लंदन में बिग बेन की देखरेख के लिए एक टीम 24 घंटे उपलब्ध रहती है, जबकि कोलकाता में ऐसा नहीं है. प्रशासन यहां हेरिटेज क्लॉक्स पर खर्चा करने के लिए तैयार ही नहीं है. सियालदह स्टेशन पर लगी घड़ी को रिपेयर नहीं किया जा सका, क्योंकि प्रशासन तैयार ही नहीं हैं. कुछ ऐसा ही मामला न्यू मार्केट में लगी घड़ी के साथ है. घड़ियों की कीमत के संबंध में उन्होंने कहा कि इन घड़ियों की तुलना रुपये से नहीं की जा सकती. वे अमूल्य हैं.

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