केकड़े, झींगे और अन्य जापानी सीफूड पर चीन ने लगाया पूर्ण प्रतिबंध, ताइवान विवाद से बढ़ा तनाव

China Bans Japanese Seafood: ताइवान विवाद और प्रधानमंत्री ताकाइची के बयान के बाद चीन ने जापानी सीफूड पर पूरी तरह बैन लगा दिया. जापानी मछली पकड़ने की इंडस्ट्री पर बहुत बुरा असर पड़ा है और चीन ने अपना मार्केट बंद कर दिया है. आर्थिक और राजनीतिक तनाव बढ़ गया है, जिससे जरूरी सीफूड एक्सपोर्ट पर असर पड़ा है.

By Govind Jee | November 20, 2025 12:54 PM

China Bans Japanese Seafood: चीन और जापान के बीच कूटनीति का हाल ही में सबसे कड़वा विवाद सामने आया है. बीजिंग ने जापान के खिलाफ आर्थिक हथियार का इस्तेमाल करते हुए पूरी तरह से जापानी समुद्री भोजन (सीफूड) का आयात रोक दिया है. यह कदम ऐसे समय आया है जब कुछ महीने पहले ही व्यापार आंशिक रूप से बहाल हुआ था. जापान की मछली पकड़ने की इंडस्ट्री इस प्रतिबंध से बुरी तरह प्रभावित होगी, जो 2023 में फुकुशिमा परमाणु प्लांट से उपचारित अपशिष्ट जल छोड़ने के बाद चीन द्वारा लगाए गए बैन से अभी भी उबर रही थी. इस विवाद की पृष्ठभूमि दोनों देशों के ताइवान पर बढ़ते तनाव से जुड़ी है.

ताइवान पर प्रधानमंत्री की टिप्पणी से बढ़ा विवाद

हाल ही में जापानी प्रधानमंत्री सना तकाइची ने कहा था कि अगर चीन ताइवान पर कोई सैन्य कार्रवाई करता है तो यह जापान के लिए “जीवन-धमकी देने वाली स्थिति” बन सकती है. जापानी मीडिया आउटलेट्स, क्योडो और एनएचके, ने बुधवार को इस प्रतिबंध की जानकारी दी. इसे चीन के विदेश मंत्रालय ने भी पुष्टि की. चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि टाकाइची के “गलत बयान” ने चीन में “जनता में जबरदस्त नाराजगी” पैदा की है. उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्तमान माहौल में जापानी समुद्री उत्पादों के लिए कोई बाजार नहीं है. माओ निंग ने कहा, “प्रधानमंत्री की ऐसी हरकतों और ताइवान जैसे मुद्दों पर गलत बयान के कारण वर्तमान माहौल में जापानी मरीन प्रोडक्ट्स के लिए कोई बाजार नहीं है.”

क्यों चीन ने जापान के सीफूड उद्योग को निशाना बनाया?

जापानी सीफूड इंडस्ट्री का मूल्य लगभग 52 अरब डॉलर है. 2023 से पहले चीन जापानी समुद्री उत्पादों का लगभग एक-चौथाई हिस्सा खरीदता था, जिसमें प्रीमियम स्कैलप और सी ककंबर शामिल थे. चीन पर निर्भरता इतनी थी कि लगभग 700 जापानी निर्यातकों ने कुछ महीने पहले आंशिक व्यापार बहाली के बाद पुनः पंजीकरण करवाया. चीन ने जापानी सीफूड इंडस्ट्री को इसलिए निशाना बनाया क्योंकि यह बेहद संवेदनशील है. भले ही यह जापान के कुल निर्यात का सिर्फ 1% है, पर चीन हमेशा 20-25% तक जापानी सीफूड खरीदता आया है, जिससे यह पहले सबसे बड़ा बाजार था.

हालिया संकट की शुरुआत

यह विवाद तब शुरू हुआ जब नई निर्वाचित प्रधानमंत्री तकाइची ने संसद में एक सवाल का जवाब दिया. उनसे पूछा गया कि ताइवान के आसपास चीन की कौन सी कार्रवाई जापान को सामूहिक आत्मरक्षा का अधिकार दे सकती है. उन्होंने जवाब दिया कि ताइवान के आसपास किसी भी युद्धपोत, बल, या सैन्य ऑपरेशन को जापान के लिए जीवन-धमकी देने वाली स्थिति माना जा सकता है और इससे जापानी सैनिक इस संघर्ष में शामिल हो सकते हैं.

चीन की कड़ा प्रतिक्रिया

टाकाइची के बयान पर चीन के ओसाका कौंसुल जनरल, शुए जियान, ने सोशल मीडिया पर उन्हें धमकी दी और कहा कि उनके “गंदे सिर को काटने” का कोई विकल्प नहीं होगा. यह पोस्ट बाद में डिलीट कर दिया गया. बीजिंग ने इसे गंभीर माना और रविवार को चार चीन कोस्ट गार्ड जहाजों को तियाओयू और सेनकाकू द्वीपों की निगरानी पर भेजा. यह विवादित द्वीप चीन के दावे में हैं, लेकिन जापान के नियंत्रण में हैं. चीन के टोक्यो दूतावास ने अपने नागरिकों को जापान यात्रा से बचने की चेतावनी भी जारी की और इसे “गंभीर सुरक्षा खतरे” बताया. 

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