सेंट पीटर्सबर्ग: रुस में आज जी-20 की बैठक में दुनिया भर के तमाम नेता मिलेंगे, जहां अमेरिकी राष्ट्रपति सीरिया शासन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को लेकर उभरे गहरे मतभेदों को पाटने का प्रयास करेंगे.
इस संघर्ष को खत्म करने के लिए ठोस कदम उठाने को लेकर जी-20 देशों पर बढ़ते दबाव के साथ ही संयुक्त राष्ट्र ने घोषणा की है कि सीरिया में शांति बहाली पर जोर देने के लिए उसके विशेष दूत लख्दर ब्राहिमी भी रुस जा रहे हैं. सीरिया सरकार के खिलाफ दंडात्मक हमले के लिए अमेरिकी संसद से समर्थन मिलने के साथ ही ओबामा ने कल अपनी पहली बाधा तो पार कर ली, लेकिन वह इस हमले के लिए व्यापक अंतरराष्ट्रीय समर्थन चाह रहे हैं.
स्टॉकहोम के दौरे के दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया ने सीरिया के लिए ‘लक्ष्मण रेखा’ निर्धारित की थी और दमिश्क के बाहरी इलाके में हुए कथित रासायनिक हमले को देख कर वह चुप नहीं रह सकता. हालांकि सीरिया के खिलाफ प्रस्तावित सैन्य हमले के प्रबल विरोधी रहे रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित सम्मेलन की पूर्व संध्या पर चेतावनी दी कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सहमति के बिना दमिश्क के विरुद्ध पश्चिम की सैन्य कार्रवाई स्वीकार नहीं होगी.
सीरिया पर सैन्य हमले के लिए रुस को मनाने के अलावा ओबामा के लिए चीन को मनाना भी काफी कठिन साबित होगा. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का वीटो शक्ति वाले इस देश ने भी एकतरफा सैन्य कार्रवाई को लेकर अपनी ‘गंभीर चिंताए’ पहले ही जाहिर कर चुका है. सेंट पीटर्सबर्ग में चीन के उप वित्त मंत्री झू गुआंगयाओ ने जोर देते हुए कहा, ‘‘चीन मानता है कि राजनीति समाधान ही सीरिया समस्या का एकमात्र हल है.’’ इसके साथ ही उन्होंने सैन्य हमले की स्थिति में वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को लेकर भी आगाह किया. जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल भी यह साफ कर चुकी हैं कि असद सरकार के खिलाफ अमेरिकी नेतृत्व में किसी भी सैन्य हमले में उनका देश शामिल नहीं होगा, वहीं ब्रिटिश सांसद ने भी हमले के विचार को खारिज किया है.