जर्मनी के दारमस्ताज से : यूरोपीय स्पेस एजेंसी का पहला अंतरिक्षयान रोसेटा सफलतापूर्वक किसी धूमकेतु पर उतरने में कामयाब हुआ है. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब कोई अंतरिक्षयान किसी धूमकेतु पर उतरने में सफल हुआ हो. पृथ्वी से हजारों मील दूर अंतरिक्ष में पहली बार एक यूरोपीय अंतरिक्ष यान ने सफलतापूर्वक बर्फीले और धूल भरे धूमकेतु पर उतरने में सफलता पायी है.
यह अंतरिक्ष यान 10 साल में 650 करोड किलोमीटर का सफर तय कर कल धूमकेतु पर पहुंचा. वहां उसे तगडे सिगAल मिल रहे हैं. वहां पहुंचने के बाद रोजेटा नामक अंतरिक्ष याना से फाइली नाम के लैंडर स्पेसक्राफ्ट को अलग किया गया है. मदर शिप से अलग होने के बाद फाइली ने सात घंटे की यात्र कर सुरक्षित लैंडिंग की है.
इस सफलता से इस ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में अनेकों अनुत्तरित प्रश्नो का जवाब जानने में मदद मिलेगी. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख पाओलो फेरी ने बताया कि67 पी चुयरूमोव गेरासिमेकोनामक धूमकेतु पर अंतरिक्षयान को सफलतापूर्वक लैंड करते देखा गया है. इस दृश्य को देखने के बाद हर व्यक्ति उत्साह व खुशीसे चिल्ला उठा. इस उपलबिब्ध के बाद सात घंटे तक कायम रहा यूरपोपीय अंतरिक्षत एजेंसी का संशय खत्म हुआ.
इसके उतरने का जोरदार जश्न मनाया गया. 41 हजार मील प्रति घंटा की गति से अंतरिक्षयान ने अपनी दूरी तय की. 220 पाउंड का वाशिंग मशीनआकार का का एक यंत्र इसमें हैं, जिससे धूमकेतु से संबंधित अहम जानकारियां मिलेंगी. पृथ्वी से 500 मिलियन किलोमीटर दूर स्थित इस धूमकेतु पर अंतरिक्ष यान को भेजना एक एक दुर्लभ उपलब्धि है. आरंभिक जानकारी यह मिली है कि धूमकेतु की सतह बर्फिली है.
इसके आगे की जांच की जायेगी. एक दशक लंबे इस अभियान के लिए धूमकेतु पर अंतरिक्ष यान की लैंडिंग बडी उपलब्धि है. इससे इन खगोलीय पिंडों के मूल के बारे अधिक से अधिक जानकारी हासिल करने में मदद मिलेगी. वैज्ञानिकों का आकलन है कि ऐसे बहुत सारे धूमकेतु इस ब्रहमांड में हैं.
हालांकि वैज्ञानिकों ने इसकी लैंडिंग के साथ कुछ समस्याएं भी रेखांकित की है. इस बीच यह अंतरिक्षयान सुरक्षित ढंग से वहां पर आवश्यक डेटा संग्रहित कर रहा है. यूरोपीय वैज्ञानिकों के लिए यह इस मायने में अत्यधिक गौरव की बात है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा से पहले उन्होंने अपने अंतरिक्षयान को धूमकेतु पर उतारने में सफलता पायी है.
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के महानिदेशक जीन जेक्स ने बयान दिया है कि हमने यह उपलब्धि सबसे पहले पायी है. इस जुडवा अंतरिक्षयान में डाटा कलेक्शन के लिए 21 विभिन्न उपकरणों का उपयोग किया गया है. इससे इस ब्राहमांड के मूल व उसके विकास की व्याख्या करने में मदद मिलेगी. साथ ही खगोलिय पिंडों व पृथ्वी पर के जीवन पर भी इसके असर का अध्ययन करने में सहायता मिलेगी. 2004 में शुरू हुए इस मिशन अंतरिक्षयान ने 6.4 बिलियन किलोमीटर की दूरी तय कर धूमकेतु पर उतरने में सफलता पायी है. इससे लाखों वर्ष पूर्व पृथ्वी पर कार्बनिक पदार्थ की उत्पत्ति व पानी के आने के सिद्धांत का भी पता लगाने में मदद मिलेगी. इस धूमकेतु की खोज 1969 में की गयी थी.
साल 2004 में अंतरिक्ष तें भेजे गये रोजेटा ने अलग अलग कक्षा में धरती के तीन, मंगल ग्रह का एक और फिर सूरज का भी पांच चक्कर लगाया. इसके बाद उर्जा बचाने के लिए उसे एनर्जी सेविंग मोड में डाल दिया गया.