वाशिंगटन : अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के अनुसार अमेरिका ने एबोटाबाद में ओसामा बिन लादेन को मारने के अपने खुफिया अभियान के बारे में पाकिस्तान को नहीं बताया था क्योंकि उसे पता था कि खुफिया एजेंसी आईएसआई के तत्वों के अलकायदा और तालिबान के साथ करीबी रिश्ते बने हुए थे.
अपने संस्मरण हार्ड च्वाइसेज में हिलेरी ने लिखा है कि राष्ट्रपति बराक ओबामा और तत्कालीन रक्षा मंत्री रॉबर्ट गेट्स समेत शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों ने मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की थी जिसमें पाकिस्तान द्वारा मौके का इस्तेमाल भारत के खिलाफ हमले के लिए करने से जुडी आशंका शामिल थी.
लेकिन आखिर में पाकिस्तान को इसके बारे में नहीं बताने का फैसला किया गया.हिलेरी की यह किताब आज से बुक स्टोर में मिलनी शुरु हो गयी है.66 वर्षीय पूर्व विदेश मंत्री ने लिखा है, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका के नाममात्र के सहयोगी पाकिस्तान के साथ हमारे संबंध पहले ही तनावपूर्ण थे. अगर पाकिस्तानी सेना जिसे हमेशा भारत के एकाएक हमले का भय सताता रहता है, उसे अपनी हवाई क्षेत्र में किसी गुप्त घुसपैठ का पता चलता तो हो सकता था कि वह बल का इस्तेमाल कर जवाब देते.
उन्होंने कहा, हमने इस हालात से बचने और अभियान के बाद रिश्तों के पूरी तरह टूटने की आशंका को देखते हुए पाकिस्तान को जानकारी देने पर चर्चा की. आखिर कार अफगानिस्तान में हमारे जवानों को दोबारा आपूर्ति के लिए और सीमा क्षेत्र में दूसरे आतंकवादियों को ढूंढने केे लिए पाकिस्तान की मदद हमारे लिए आगे जरुरी होती जैसा कि गेट्स हमेशा हमसे कहते आये थे.
हिलेरी ने लिखा है, मैंने पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान के साथ संबंधों में बहुत समय और ऊर्जा झोंकी थी और मुझे पता था कि अगर हमने उनके साथ यह जानकारी साझा नहीं की तो वह कितना नाराज होंगे. लेकिन मुझे यह भी पता था कि पाकिस्तानी खुफिया सेवा, आईएसआई (इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस) के तत्वों के तालिबान, अलकायदा और दूसरे अतिवादियों के साथ संबंध बने हुए हैं.
2016 के राष्ट्रपति चुनाव की मजबूत संभावित उम्मीदवार समझी जा रही हिलेरी ने कहा, हम पहले भी जानकारी लीक होने का नुकसान उठा चुके थे. पूरे अभियान को नाकाम होने देने का जोखिम बहुत बड़ा था. उन्होंने लिखा, ह्यह्यएक समय एक दूसरे प्रशासनिक अधिकारी ने पूछा था कि क्या हमें पाकिस्तान के राष्ट्रीय सम्मान को पहुंचने वाले अपूरणीय आघात को लेकर चिंतित होने की जरूरत है.
पूर्व विदेश मंत्री ने किताब में लिखा कि या तो यह इतने ज्यादा दोहरी बात और धोखे को लेकर उपजी हताशा थी या फिर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले की दर्दनाक यादें, वह नहीं चाहती थी कि अमेरिका 2001 में अफगानिस्तान के तोरा बोरा के बाद ओसामा को लेकर सबसे अच्छा मौका गंवाए.
2 मई, 2011 को एबोटाबाद शहर में एक गुप्त छापेमारी अभियान में ओसामा बिन लादेन मारा गया था. नेवी सील्स ने राष्ट्रपति बराक ओबामा के विशेष आदेश पर इस अभियान को अंजाम दिया था.