लार्ड मेघनाद देसाई
(प्रख्यात अर्थशास्त्री, हाउस ऑफ लार्ड के पूर्व सदस्य)
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह पहला बजट विकासशील बजट है. यह नये भारत के निर्माण का बजट है. इसे दूरगामी विकास का बजट भी कह सकते हैं, क्योंकि इसमें उन तमाम बातों पर विशेष फोकस किया गया है, जो नये भारत के निर्माण के लिए जरूरी है. दूसरे शब्दों में कहूं, तो सरकार ने सभी परिवारों के लिए आवास, शौचालय, गैस, बिजली, पानी की सुविधा मुहैया कराने का जाे संकल्प लिया है, उस लक्ष्य को हासिल करने वाला यह बजट है.
गांव, गरीब, किसान और खासकर ऊर्जा के क्षेत्र में विशेष प्रावधान का जिक्र किया है. यह सिर्फ मध्य वर्ग का बजट नहीं है, बल्कि पूरे भारत का बजट है, जिसमें किसानों की बात है, पानी की बात है, ऊर्जा संरक्षण की बात है, प्रदूषण की बात है. प्रदूषण के कारण सभी लोग परेशान हैं और उससे निजात दिलाने की दिशा में इस बजट में प्रावधान किया गया है. इलेक्ट्रिक वाहन पर कर में छूट का प्रावधान कोई छोटी बात नहीं है, इसे सिर्फ छूट के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. यह भारत को प्रदूषण से मुक्ति की दिशा में बहुत ही कारगर कदम सिद्ध होगा.
क्योंकि भारत में प्रदूषण के कारण होने वाली परेशानियों से लोगों की आर्थिक सेहत भी खराब हो रही है. जहां तक डीजल-पेट्रोल पर टैक्स की बात है, तो हिंदुस्तान में इतना वायु प्रदूषण हो गया है कि डीजल-पेट्रोल पर अतिरिक्त टैक्स लगाना जरूरी था. आर्थिक, सामाजिक और खुद की सेहत के लिए कभी-कभी कुछ कठोर फैसले लिये जाने जरूरी होते हैं. बजट से साफ जाहिर होता है कि नयी मोदी सरकार अब भी विकास की दिशा में ही काम करना चाहती है और उनका एजेंडा पहले की तरह ही विकास है.
जब भी बजट पेश किया जाता है, तो सभी लोग मध्य वर्ग को लेकर ज्यादा चिंतित होने लगते हैं, खासकर मध्य वर्ग और नौकरीपेशा लोगों के टैक्स स्लैब को लेकर. लेकिन इस बजट में मध्य वर्ग के अलावा पूरी भारत के लोगों का ध्यान में रखा गया है. यह ‘भारत’ का बजट है, क्योंकि भारत में लगभग 10 से 20 फीसदी के बीच ही मध्य और उच्च वर्ग के लोग हैं, बाकी सभी निम्न वर्ग में ही आते हैं.
इसलिए जो लोग इसे मध्य वर्ग को रियायत न मिलने की बात कर रहे हैं, उनसे मैं इत्तेफाक नहीं रखता हूं. क्योंकि मध्य वर्ग को सरकार ने पहले से ही पांच लाख तक के टैक्स में छूट दी हुई है. उनके टैक्स को कम नहीं किया गया है. देश को कुछ और चीजों की जरूरतें हैं. मध्य वर्ग को भी देश की चिंता करनी चाहिए.
सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर करने का जो लक्ष्य रखा है वह हमारी मंजिल है. इस रास्ते पर चलकर भारत वहां पहुंचेगा और वह लक्ष्य पूरा होगा. क्योंकि सरकार की ओर से कॉरपोरेट टैक्स छूट की सीमा 400 करोड़ तक 25 फीसदी किया गया है. इससे लगभग 99 फीसदी कॉरपोरेशन पर टैक्स 25 फीसदी हो गया है तो उसका लाभ आर्थिक विकास को मिलेगा. इससे जॉब बढ़ेंगे, लोगों को नौकरी मिलेगी. कॉरपोरेट सेक्टर अपने काम का विस्तार करेंगे. इससे विकास की गति तेज होगी. टैक्स छूट की सीमा में छूट देने की सरकार की सोच यही लगती है. क्योंकि सरकार का लक्ष्य विकास करना है.