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किसानों की परवाह करती सरकार, अंतरिम बजट में छोटे किसानों को वित्तीय राहत
अपने आखिरी बजट में मोदी सरकार ने किसानों के लिए कई बड़े फैसले लिये हैं और छोटे किसानों की न्यूनतम आय निश्चित करने की दिशा में कदम भी बढ़ाये हैं. गौरतलब है कि देश में कृषि संकट की स्थिति बनी हुई है और समय-समय पर किसान संगठनों के प्रदर्शन भी होते रहे हैं. ऐसे में, […]
अपने आखिरी बजट में मोदी सरकार ने किसानों के लिए कई बड़े फैसले लिये हैं और छोटे किसानों की न्यूनतम आय निश्चित करने की दिशा में कदम भी बढ़ाये हैं. गौरतलब है कि देश में कृषि संकट की स्थिति बनी हुई है और समय-समय पर किसान संगठनों के प्रदर्शन भी होते रहे हैं.
ऐसे में, सरकार द्वारा किसानों के लिए की गयीं घोषणाएं बेहतरी की दिशा में कम-से-कम शुरुआती कदम मानी जा सकती हैं. इन्हीं बातों के मद्देनजर इन दिनों की प्रस्तुति…
दर्शन पाल
किसाननेता
देशकिसानों का कर्जदार
हम दुनिया में चाहे जहां भी रहें, अगर हमें सबकुछ से वंचित कर दिया जाये, तो हम जी लेंगे. लेकिन, अगर हमें भोजन से वंचित कर दिया जायेगा, तो हमारा जीवन नामुमकिन है. खेती-किसानी हमें जीवन देती है, इसलिए हमें अपने किसानों के हितों के बारे में ज्यादा सोचना चाहिए.
इस बात को समझने के लिए विद्वान होने की जरूरत नहीं है, लेकिन पता नहीं क्यों हमारी सरकारें समझती ही नहीं हैं. हमने क्या मांगा था सरकार से? इतना ही न कि स्वामीनाथन कमीशन के हिसाब से किसानों को मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) मिले.
हालांकि, इसके लिए सरकार ने पिछले बजट में किसानों को एमएसपी लागत का डेढ़ गुना देने का फैसला लिया, लेकिन उससे भी कुछ फायदा नहीं हुआ. हम यही चाहते हैं न कि हमारे किसान आत्महत्या नहीं करें. लेकिन, क्या इसके लिए सरकारों के पास कोई ठोस नीति है? क्या छह हजार रुपये सालाना यानी किसानों को 500 रुपये महीने देना उनका मजाक उड़ाना नहीं लग रहा है आपको?
क्या यह खैरात नहीं लग रही है? किसान अपने हक की बात कर रहे हैं, लेकिन सरकारें उन्हें खैरात बांट रही हैं. बजट में हुई इस घोषणा के बाद से हमने कई किसानों से बात की, लेकिन एक भी किसान खुश नहीं दिखा. मैं पंजाब में रहता हूं और पिछले दो दशक से देख रहा हूं कि एक भी किसान ऐसा नहीं है, जो अपने बच्चों को किसान बनाने के बारे में सोचता हो. सब अपने बच्चों को पढ़ने भेजते हैं और खेती से दूर रखते हैं.
किसानों पर कर्ज का बोझ एक बहुत बड़ी समस्या है. एमएसपी से किसानों को जो घाटा हुआ है, उससे किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ा ही है.
उदारीकरण के बाद से ही किसानों ने इस देश को िजतना दिया है, हमारी सरकारों ने उन्हें उतना भी नहीं लौटाया है. सरकार को चाहिए कि किसानों के बच्चों के लिए सेवाओं और उद्योगों में नौकरियां दे, ताकि खेती करते हुए कम से कम वे आत्महत्या तो न करने पायें. जिस तरह से आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए दस प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है सरकार ने, क्या किसानों के लिए ऐसा नहीं कर सकती थी?
क्या किसानों के मुकाबले आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों की हालत ज्यादा खराब है? इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए हम किसानों की मांग है कि जिस तरह से सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलती है, किसान और खेतिहर मजदूरों के लिए भी ऐसी व्यवस्था की जाये, ताकि वे अपना बाकी जीवन गुजार सकें.
तमाम किसान संगठन इन सब बातों की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन सरकारों की नीतियों में किसान कहीं ठहरते ही नहीं लगते हैं. देश को यह बात सोचना चाहिए कि किसान उसके लिए भोजन पैदा करते हैं. देश इसके लिए किसानों का कर्जदार है. खेती की लागत कैसे कम हो, इसको किसान नहीं कर सकता, यह काम सरकार का ही है.
इतिहास में पहली बार किसानों को पद्मश्री
भारत को कृषिप्रधान देश माना जाता है. लेकिन इतिहास में पहली बार ऐसा होने जा रहा है, जब किसानों को पद्म सम्मान प्रदान किया जायेगा.
चुने गये सभी 11 लोगों में से 10 विशुद्ध रूप से किसान हैं, जिन्हें देश का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान दिया जायेगा. सामान्यतया, भारत सरकार कला, शिक्षा, उद्योग, साहित्य, विज्ञान, खेल, चिकित्सा और समाज सेवा के क्षेत्र में ही यह पुरस्कार देती रही है, लेकिन इस बार किसानों को भी ‘अन्य’ श्रेणी में पुरस्कार के लिए चुना गया है.
गौरतलब है कि साल 2013 में किसानों को भी पद्म सम्मान देने की मांग बड़े पैमाने पर की गयी थी. इससे पहले केवल कृषि क्षेत्र में योगदान देनेवालों को पद्मश्री मिला है, लेकिन किसानों को नहीं मिला था. साइंस व इंजीनियरिंग क्षेत्र से ‘हरित क्रांति’ के जनक कहलानेवाले एमएस स्वामीनाथन को और वर्गीज कुरियन को दुग्ध उत्पादन के लिए ट्रेड व इंडस्ट्री क्षेत्र से पद्मश्री मिला था. इस बार किसानों को चुना गया है, लेकिन सरकार ने कृषि के लिए अभी कोई श्रेणी नहीं बनायी.
हालांकि, यह एक अच्छी शुरुआत है, जिससे कृषि संकट से जूझ रहे देश के किसानों के बीच अच्छा संदेश जायेगा और उन्हें संबल हासिल होगा. चयनित किसानों में हरियाणा के कंवल सिंह चौहान, बिहार की राजकुमारी देवी, गुजरात के वल्लभभाई वासराभाई मारवानिया, राजस्थान के जगदीश प्रसाद पारिख, हुकुमचंद पाटीदार, ओडिशा की कमला पुझारी, उत्तर प्रदेश के भारत भूषण त्यागी, रामशरण वर्मा, आंध्र प्रदेश के वेंकटेश्वर राव यदलापल्ली और मध्य प्रदेश के बाबूलाल दहिया और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वीसी बलदेव सिंह ढिल्लन शामिल हैं..
बजट में किये गये वादे
वित्तीय राहत का प्रावधान: सरकार ने छोटे एवं सीमांत किसानों को निश्चित आय उपलब्ध कराने की बात बजट में कही है. इस योजना को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि नाम दिया गया है. इस योजना के अंतर्गत, दो हेक्टेयर यानी लगभग पांच एकड़ तक की जमीन के मालिक किसान परिवारों को छह हजार रुपये की राशि प्रति वर्ष सीधे उनके खाते में प्रदान की जायेगी.
यह राशि किसानों को तीन किस्तों में मिलेगी. इस योजना से देश के 12 करोड़ किसान परिवारों को फायदा पहुंचेगा. इसे 1 दिसंबर, 2018 से ही गिनती में लाया जायेगा और 31 मार्च 2019 तक की अवधि तक की पहली किस्त का भुगतान इसी वित्त वर्ष में कर दिया जायेगा. इस योजना को साकार करने के लिए सरकार पर लगभग 75 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा.
गायों के लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग : इस बजट में राष्ट्रीय गोकुल मिशन के लिए आवंटन को बढ़ा दिया गया है और 750 करोड़ रुपये कर दिया गया है. इसके अलावा, गायों के उत्पादन व उत्पादकता को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के गठन की घोषणा की गयी है, जो गायों के लिए सुरक्षा कानूनों को ठीक तरह से लागू करने का काम करेगा और अन्य कल्याणकारी स्कीमों को लागू कराने में भी भूमिका निभायेगा.
मत्स्य पालन विभाग का गठन: बजट के दौरान मत्स्य पालन पर सरकार ने अहम घोषणा की. दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश भारत है.
मत्स्य पालन से देश के लगभग 1.45 करोड़ लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है. इतना ही नहीं, इस मामले में भारत कुल वैश्विक उत्पादन में 6.3 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है और हाल के सालों में यह क्षेत्र सात प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ोतरी दर्ज कर रहा है. इस सेक्टर के विकास को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने मत्स्य पालन विभाग बनाने का निर्णय लिया है.
किसान क्रेडिट कार्ड के कर्ज पर ब्याज सब्सिडी: बजट में इसकी घोषणा भी हुई कि देश में पशुपालन और मत्स्यपालन कर रहे किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड से कर्ज लेने पर दो प्रतिशत का ब्याज सब्सिडी मिलेगा. सरकार ने यह कहा कि अगर किसान तय समय के अंदर अपना कर्ज चुकाते हैं, तो उन्हें तीन प्रतिशत की अतिरिक्त ब्याज सब्सिडी प्रदान की जायेगी.
प्राकृतिक आपदा की स्थिति में छूट : यह बजट किसानों के लिए बहुआयामी कहा जा सकता है. प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को दो प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी प्रदान की जायेगी और उनके कर्जों के पुनर्निर्धारण की अवधि में तुरंत भुगतान के प्रोत्साहन के रूप में 3 फीसदी अतिरिक्त ब्याज सब्सिडी भी दी जायेगी.
विगत वर्षों में आम बजट में कृषि क्षेत्र के लिए घोषणाएं
वित्त वर्ष 2014-15
एग्री-टेक इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के लिए 100 करोड़ रुपये की राशि अलग से निर्धारित करने की घोषणा.
आंध्र प्रदेश व राजस्थान में कृषि विश्वविद्यालय, तेलंगाना व हरियाणा में बागवानी विश्वविद्यालय के लिए 200 करोड़ रुपये की घोषणा.
सभी किसानों को साॅयल हेल्थ कार्ड प्रदान करने के लिए 100 करोड़ रुपये की राशि का आवंटन. देश भर में 100 मोबाइल सॉयल टेस्टिंग लेबोरेटरी स्थापित करने के लिए 56 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन.
जलवायु परिवर्तन की चुनातियों से निपटने के लिए 100 करोड़ की शुरुआती राशि के साथ राष्ट्रीय अनुकूलन निधि की स्थापना.
देशी नस्ल के मवेशियों और मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए 50-50 करोड़ रुपये का आवंटन.
भूमिहीन किसानों की सहायता के लिए नाबार्ड के माध्यम से पांच लाख संयुक्त कृषि समूह को वित्त प्रदान करने की घोषणा.
देश में गोदामों की क्षमता बढ़ाने के लिए 5,000 करोड़ रुपये का आवंटन.
वर्ष 2015-16
माइक्रो-इरिगेशन, वाटरशेड डेवलपमेंट और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए 5,300 करोड़ रुपये आवंटन की घोषणा.
नाबार्ड के ग्रामीण आधारभूत विकास निधि कोष के लिए 25,000 करोड़ रुपये.
दीर्घ अवधि ग्रामीण ऋण कोष के लिए 15,000 करोड़ रुपये.
लघु अवधि सहकारी ग्रामीण ऋण पुनर्वित (रीफाइनेंस) कोष के लिए 45,000 करोड़ रुपये.
लघु अवधि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) रीफाइनेंस फंड के लिए 15,000 करोड़ रुपये.
वर्ष 2016-17
कृषि और किसानों के कल्याण के लिए 35,984 करोड़ रुपये का आवंटन.
नाबार्ड में दीर्घ अवधि सिंचाई निधि के लिए 20,000 करोड़ रुपये के शुरुआती कोष बनाने की घोषणा.
6,000 करोड़ रुपये के अनुमानित लागत के साथ भूजल संसाधनों के सतत प्रबंधन के लिए कार्यक्रम लागू करने की घोषणा.
थोक बाजार को ई-बाजार प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने के लिए एकीकृत कृषि बाजार ई-प्लेटफॉर्म बनाये जाने की घोषणा.
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए आवंटन की राशि बढ़ाकर 19,000 करोड़ रुपये करने की घोषणा.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए 5,500 करोड़ रुपये का आवंटन
किसानों के ऋण भुगतान बोझ को कम करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये का प्रावधान.
डेयरी परियोजना के लिए 850 करोड़ रुपये प्रदान करने की घोषणा.
वर्ष 2017-18
फसली क्षेत्र का 40 प्रतिशत हिस्सा फसल बीमा के दायरे में लाने की घोषणा और इसके लिए 9,000 करोड़ रुपये का आवंटन.
दीर्घ अवधि सिंचाई निधि के कोष में 20,000 करोड़ रुपये की वृद्धि.
राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नैम) का दायरा वर्तमान के 250 से बढ़ाकर 585 किये जाने की घोषणा.
नाबार्ड के तहत डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि की स्थापना के लिए 2,000 करोड़ रुपये का शुरुआती कोष बनाने की घोषणा.
वर्ष 2018-19
खरीफ की उन सभी फसलों के लिए, जिनकी घोषणा पहले नहीं की गयी थी, न्यूनतम समर्थन मूल्य उसकी लागत का डेढ़ गुना देने का निर्णय.
संगठित खेती और संबंधित उद्योगों के समर्थन के लिए 200 करोड़ रुपये की राशि के आवंटन का प्रस्ताव.
ग्रामीण कृषि बाजारों में कृषि विपणन अवसंरचनाओं (एग्रीकल्चर मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर) को बेहतर बनाने के लिए 2,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ एग्री-मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर फंड बनाने की घोषणा.
खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के आवंटन को 715 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,400 करोड़ रुपये किये जाने की घोषणा.
‘ऑपरेशन फ्लड’ की तर्ज पर ‘ऑपरेशन ग्रींस’ को लॉन्च करने के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रस्ताव.
मत्स्य पालन और पशुपालन करनेवाले किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड देने का प्रस्ताव.
बांस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 1,290 करोड़ रुपये के परिव्यय का प्रस्ताव.
10,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ फिशरीज और एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड स्थापित करने की घोषणा.
कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण को 10 लाख करोड़ से बढ़ाकर 11 लाख करोड़ किया गया.
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत भूजल सिंचाई योजना के लिए 2,600 करोड़ रुपये का आवंटन.
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