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करोड़ी घोटाले की सीआइडी जांच की अनुशंसा

आसनसोल: आसनसोल नगर निगम में एक करोड़ रुपये से अधिक राशि के घोटाले की जांच अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) से कराने की अनुशंसा मेयर तापस बनर्जी पुलिस आयुक्त अजय नंद से करेंगे. उनका कहना है कि यह बहुत गंभीर मामला है तथा इसमें बड़ी संख्या में दस्तावेजों की जांच करनी पड़ेगी. हालांकि इस मामले की […]

आसनसोल: आसनसोल नगर निगम में एक करोड़ रुपये से अधिक राशि के घोटाले की जांच अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) से कराने की अनुशंसा मेयर तापस बनर्जी पुलिस आयुक्त अजय नंद से करेंगे. उनका कहना है कि यह बहुत गंभीर मामला है तथा इसमें बड़ी संख्या में दस्तावेजों की जांच करनी पड़ेगी. हालांकि इस मामले की जांच के क्रम में आसनसोल साउथ थाना पुलिस ने मुख्य आरोपी व निगम के पर्यावरण अधिकारी तापस घोष को कोर्ट से दस दिनों की पुलिस रिमांड पर ले रखा है. लेकिन जांच में कोई प्रगति नहीं दिख रही है.

फ्लैश बैक
पूर्व निगम आयुक्त व महकमाशासक शिल्पा गौरीसरिया ने आयुक्त पद पर आसीन होने के बाद निगम में नियमों को ताक पर रख कर कार्य करने की प्रणाली को मानने से इंकार कर दिया तथा उन्होंने नियमानुसार कार्य करने की संस्कृति पर जोर दिया. उन्होंने पाया कि सफाई कर्मियों को मजदूरी भुगतान कैश किया जा रहा है. इसके साथ ही विभिन्न वाहनों में बिना नियम का पालन किये मनमाने ढ़ंग से बिलिंग की जा रही है. उन्होंने इस तरह के भुगतान पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया. इसके बाद उन्होंने नियमानुसार बैंक के माध्यम से सफाईकर्मियों के भुगतान की व्यवस्था शुरू की. इसके बाद ही तथ्य सामने आया कि बड़ी संख्या में फर्जी या कागजी कर्मियों के नाम पर बिलिंग की जा रही है. उन्होंने इसकी जानकारी मेयर श्री बनर्जी व अन्य पदाधिकारियों को दी. इसके बाद इसके लिए जिम्मेवार अधिकारी व पर्यावरण अधिकारी श्री घोष की शिनाख्त हुई. उनके खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करती, इसी बीच श्रीमती गौरीसरिया का तबादला हो गया. लेकिन मामले के सार्वजनिक होने के बाद मेयर श्री मुखर्जी ने इसकी जांच जारी रखी तथा अंत में श्री घोष के खिलाफ आसनसोल साउथ था ना में प्राथमिकी दर्ज करायी. उनकी पहल पर ही आरोपी श्री घोष को पक ड़कर पुलिस के हवाले किया गया.

पुलिसिया कार्रवाई में ब्रेक थ्रू नहीं
पुलिस ने आरोपी तापस को आसनसोल कोर्ट में पेश कर दस दिनों की पुलिस रिमांड में लिया. लेकिन लगातार तीन दिनों तक पूछताछ करने के बाद भी पुलिस के हवाले कोई महत्वपूर्ण साक्ष्य नहीं मिला है. जांच से जुड़े पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह मामला हजारों दस्तावेजों से जुड़ा है. इसके लिए काफी समय की आवश्यकता है. प्राथमिक पूछताछ में श्री घोष ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है. लेकिन दस्तावेज सील करने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पायी है. पुलिस का यह भी कहना है कि उसका आवास नौर्थ 24 परगना के हावरा में हैं और उसके परिजनों को गिरफ्तारी की सूचना मिल चुकी है. इस स्थिति में इसकी आशंका अधिक है कि अधिकतर दस्तावेज परिजन गायब कर चुके हों.

मेयर आये सीआइडी के पक्ष में
इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने वाले मेयर श्री बनर्जी भी पुलिस की इस परेशानी से अवगत हैं. उनका कहना है कि यह मामला काफी महत्वपूर्ण है. आम पुलिस के लिए सभी दस्तावेजों को खंगालना काफी मुश्किल है. इस कारण से यदि इसकी जांच सीआईडी को सौंपी जाये तो जांच में काफी आसानी होगी. इसके तहत उन्होंने पुलिस आयुक्त को पत्र लिखने का निर्णय लिया है. निगम कार्यालय में दो दिनों की लगातार छुट्टी रहने के कारण पत्र नहीं भेजा जा सका. कार्यालय खुलते ही पत्र भेजा जायेगा.

क्या है इसका प्रावधान
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (सेंट्रल) सुरेश कुमार ने कहा कि श्री घोष रिमांड में है और उससे पूछताछ की जा रही है. कुछ साक्ष्य मिले हैं,लेकिन उसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है. उन्होंने सीआईडी जांच के बारे में कहा कि यदि मेयर श्री बनर्जी पुलिस आयुक्त को इस आशय का पत्र लिखते हैं तथा आयुक्त को लगता है कि जांच सीआईडी को सौंपी जा सकती है तो वे राज्य मुख्यालय को इसकी अनुशंसा भेज सकते हैं. आमतौर पर ऐसी अनुशंसा स्वीकार कर ली जाती हैं.

आरोपी के परिजन हैं मुखर
इधर इस मामले में रिमांड पर रहे आरोपी श्री घोष के परिजन काफी इस मुद्दे पर काफी मुखर हैं. उनकी मां पिछले दिनों आसनसोल महकमा कोर्ट में आयी हुई थी. उनका दावा था कि उनका बेटा निदरेष है. उसे साजिश के तहत फंसाया गया है. यदि उसने किसी राशि का गबन किया है तो उसमें कई लोग शामिल हैं. आनेवाले समय में वे शीघ्र ही सभी आरोपी के नाम सार्वजनिक करेंगे. उनका कहना है कि वरीय नेताओं को गर्दन फंसनी तय है. इस स्थिति में इस मामले को सीआईडी को सौंपने की पहल को लेकर यह मामला और संगीन हो गया है. इसकी परिणति को लेकर चर्चा शुरू हो गयी है.

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