पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल पर हमले के बाद पाकिस्तान में बनाई गई सैन्य अदालतों की अवधि सात जनवरी को ख़त्म हो गई.
आतंकवाद के मामलों से समय पर निपटने के लिए पाकिस्तानी संसद ने दो साल के लिए इन अदालतों की स्थापना को मंजूरी दी थी.
लेकिन अब बड़ी राजनीतिक पार्टियां भी इसके कार्यकाल में बढ़ोतरी की विरोधी हैं. तो क्या सैन्य अदालतों ने वो लक्ष्य हासिल किए, जिनकी उम्मीद थी? इस्लामाबाद से बीबीसी की ख़ास रिपोर्ट.