।। दक्षा वैदकर ।।
जब भी मुझे वक्त मिलता है, मैं यू-ट्यूब पर कॉमेडी नाइट विद कपिल देखती हूं और खूब हंसती हूं. शो में वे हर बार अपनी बुआ, दादी, नौकर, पड़ोसी पलक व पत्नी का मजाक उड़ाते हैं. एक एपिसोड में मैंने देखा कि जब वे पत्नी का मजाक उड़ा रहे थे, पत्नी उन्हें पूछती है कि इंगलिश बोल के दिखाओ. कपिल तुरंत जवाब देते हैं, ‘इसमें कौन-सी बड़ी बात है.
सर, आइ बेग टू से दैट आइ एम सफरिंग फ्रॉम फीवर. प्लीज गिव मी लीव फॉर टू डेज.’ उनकी यह बात सुन कर सभी खूब हंसते हैं.
इस एपिसोड को देख मैं यह सोचने लगी कि अगर कपिल की जगह कोई और होता, जिसे इंगलिश नहीं आती और कोई सब के सामने इस तरह का सवाल पूछता, तो वह कैसे रिएक्ट करता. जवाब साफ था, वह उदास हो जाता. उसे अपमानित महसूस होता. वह तब तक मंच पर आने की हिम्मत नहीं करता, जब तक वह इंगलिश न सीख ले. लेकिन कपिल ने ऐसा नहीं किया. उसने इस बात को मजाक में लिया. उन्होंने सीख दी कि अपनी कमजोरियों पर हंसें. जो आपकी खासियत है, उसी पर फोकस करें.
दरअसल, कपिल उन सभी लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो मध्यमवर्गीय या निम्नवर्गीय परिवार से आते हैं और जिनकी पढ़ाई सरकारी व हिंदी मीडियम स्कूल में होती है. आमतौर पर जब कोई युवा इस तरह के बैकग्राउंड से आता है, तो वह हीनभावना से ग्रस्त हो जाता है.
इंगलिश बोलनेवाले, अच्छे महंगे कपड़े पहननेवाले लोगों के सामने वह खुद को बहुत छोटा महसूस करता है. वह भीड़ में इंगलिश बोलने से कतराता है. वह अनजान लोगों से बात करने में हिचकता है.
उसे लगता है कि सामनेवाले ने अगर इंगलिश में कुछ बोल दिया तो? ये सारी बातें उसके दिमाग में इस कदर घर कर जाती हैं कि वह नन्हा पौधा, पेड़ बनने के पहले ही मुरझा जाता है.
इस शो के जरिये कपिल ने सीख दी है कि आपकी पढ़ाई-लिखाई और इंगलिश बोलने से ज्यादा मायने यह रखती है कि आप कैसे इनसान हैं? आप में क्या प्रतिभा है? आप खुद पर कितना हंस सकते हैं?
बात पते की..
– कपिल भले ही इंगलिश नहीं बोल सकते, लेकिन आज उनके शो में तमाम इंगलिश बोलने वाली बड़ी सेलिब्रिटीज आती हैं और प्रोमोशन करती हैं.
– समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता. खुद पर भरोसा रखें. अगर आप में कोई कमी है, तो उसे सुधारने की कोशिश करें. उसे लेकर निराश न हों.