23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

इराक: सिर्फ मोसुल जीत से नहीं होगा स्थायी समाधान

डॉ फजूर रहमान सिद्दीकी, रिसर्च फेलो, आइसीडब्ल्यूए मोसुल में जिस तरह के भयानक माहौल में लोग घिरे हुए हैं, ऐसे में अगर आइएस खत्म होता भी है, तो वहां के अवाम की जिंदगी में कोई सुकून नहीं दिख रहा है. फिर भी आइएस को खत्म करना बहुत जरूरी है, लेकिन इस भयानक माहौल को भी […]

डॉ फजूर रहमान सिद्दीकी, रिसर्च फेलो, आइसीडब्ल्यूए

मोसुल में जिस तरह के भयानक माहौल में लोग घिरे हुए हैं, ऐसे में अगर आइएस खत्म होता भी है, तो वहां के अवाम की जिंदगी में कोई सुकून नहीं दिख रहा है. फिर भी आइएस को खत्म करना बहुत जरूरी है, लेकिन इस भयानक माहौल को भी खत्म करने के बारे में सोचना होगा, तभी इराकी सेना की जीत मानी जायेगी.

बीते सप्ताह के दौरान इराक के शहर मोसुल में इराकी फौजियों ने आइएसआइएस को काफी नुकसान पहुंचाया है और उन्हें कुछ हद तक परास्त करने में फौजियों ने कामयाबी हासिल की है. यह बहुत जरूरी भी है, लेकिन बात इसके आगे की है. मोसुल का ऑपरेशन इराकी फौजियों के लिए बहुत महत्व रखता है, क्योंकि यही वह शहर है, जो दो साल पहले आइएसआइएस का शक्ति-प्रतीक बना था. पहली बार जून 2014 में आइएसआइएस आतंकियों ने मोसुल में ही अपनी ताकत दिखायी थी और इराकी सेना से टक्कर ली थी, टैंक लूटे थे. पहली बार मोसुल की मसजिद से ही इसलामिक स्टेट का स्वघोषित शासक अबु बकर अल-बगदादी ने जून 2014 में अपनी सत्ता का ऐलान किया था. और पिछले दो साल में आइएसआइएस को सीरिया, लीबिया आदि में शिकस्त देकर हटाया गया. इराक उनका आखिरी किला था, जहां इराकी सेना, सीरियाई कुर्दिश सेना, अमेरिकी सेना, ईरानी सेना हैं. ये सभी सेनाएं उस पूरे क्षेत्र से आइएसआइएस को खत्म करने में लगी हुई हैं.

मोसुल से आइएसआइस के खात्मे को लेकर भविष्य में आनेवाले परिणाम के कई मायने हो सकते हैं. सवाल है कि अगर मोसुल से आइएसआइएस को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाये, तो उसके बाद क्या वहां की अवाम को अमन हासिल हो जायेगा? वहां कौन लोग रहेंगे? वहां सुन्नी मुसलिम की एक बड़ी आबादी रहती है. इन सुन्नी मुसलमानों को लगता है कि आइएसआइएस के हटने के बाद भी उनको अमन हासिल नहीं होगी, क्योंकि उसके बाद मलेशियन शियाओं के उन पर हावी होने का डर है. संयुक्त राष्ट्र और दुनिया के तमाम मानवाधिकार संगठनों ने यही बात कही है कि इराक से आइएसआइएस के खात्मे के बाद भी सबसे बड़ा खतरा वहां के आम नागरिकों की जिंदगी का है. मामला सिर्फ इराक का नहीं है, बल्कि उस पूरे क्षेत्र में शिया-सुन्नी संघर्ष का भी है. आइएसआइएस से डरने के साथ ही लोग वहां शिया मलेशिया से डरे हुए हैं, कुर्द से डरे हुए हैं, और सांप्रदायिक खूनी संघर्ष से डरे हुए हैं. उस पूरे क्षेत्र में इतना ज्यादा कन्फ्लिक्ट है, इतना ज्यादा विरोधाभास है, कि यह समझना मुश्किल है कि आखिर इस लड़ाई के बाद अगर जीत होती भी है, तो हासिल क्या होगा.

दूसरा सवाल आतंक की विचारधारा का है. महज चार हजार आइएसआइएस आतंकी हैं, जिन्हें मुश्किल से चार दिन में खत्म किया जा सकता है. लेकिन, उनकी विचारधारा (आतंक फैलाना) को खत्म करना मुश्किल है. जहां तक इराक क्षेत्र की बात है, तो वहां लड़ाई स्टेट एक्टर और नॉन स्टेट एक्टर के बीच है. स्टेट एक्टर इराकी सेना है, तो नॉन स्टेट एक्टर आइएसआइएस आतंकी हैं. आज अगर आइएसआइएस खत्म भी हो जाये, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं कि उसकी विचारधारा भी खत्म हो जायेगी. लड़ाई दो स्टेट के बीच भी अगर हो, तो सीमा-लड़ाई से पता चलता है कि कौन स्टेट क्या कर रहा है. लेकिन, वहां मामला स्टेट के भीतर गुरिल्ला लड़ाई की है. आज आइएसआइएस वहां से खत्म भी हो जायेगा, तो यह मुमकिन है कि इस विचारधारा के पैरोकार कोई और नाम से संगठन बना कर फिर से आतंक फैलाना शुरू कर दें. जिस तरह से अमेरिका ने अलकायदा को खत्म कर दिया, लेकिन उसके बाद आइएसआइएस आ गया. यही बहुत बड़ी समस्या है. हो सकता है कि लोग यह सोचें कि एक नॉन स्टेट एक्टर को खत्म कर दिया जायेगा, तो अमन कायम हो जायेगा. लेकिन, वहां की स्थिति यह है कि वहां पर हावी होने के लिए एक नॉन स्टेट एक्टर के जाने के बाद दूसरा तैयार बैठा है. इस परंपरा को तोड़ने और खत्म करने की जरूरत है.

अरब क्षेत्र की सबसे बड़ी बदकिस्मती यह है कि उस क्षेत्र में जो कुछ भी हो रहा है, उस पर लगाम लगाना अरब के हाथ में नहीं है. जमीन अरब की है, लेकिन उस पर होनेवाली गतिविधियां कहीं और से नियंत्रित हो रही हैं. इसके मास्टर और मेंटर कहीं और बैठे हुए हैं. अरब की कमजोर राजनीति का यह दुखद पहलू है कि इसका कंट्रोल पहले ईरान के पास गया और वहां से अमेरिका और रूस के पास चला गया. एक्टर अरब के हैं, लेकिन उन्हें डायरेक्ट करनेवाला कहीं दूर बैठा हुआ है. तबाही अरब क्षेत्र की हो रही है, लेकिन फायदा किसी और का हो रहा है. अरब वर्ल्ड ने पिछले दिनों कहा था कि इस क्षेत्र के लिए दुनिया अपनी जान नहीं देगी, अरब को खुद ही कुछ करना पड़ेगा, जिसकी अभी संभावना नहीं है, क्योंकि इसमें बाहरी शक्तियाें का हाथ है. जिस तरह के हालात हैं अभी इराक क्षेत्र में, उससे तो यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि आनेवाले दिनों में वहां बाहरी शक्तियों का दखल और भी बढ़ेगा. जब तक इन बाहरी शक्तियों का दखल बंद नहीं होगा, तब तक अरब क्षेत्र में लड़ाई खत्म नहीं होगी. अमेरिका-रूस की खींचतान उनके अपने फायदे को ही बढ़ायेगी और आगामी डेढ़-दो दशक की अमन की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है. यह बात निराशावादी लग सकती है, लेकिन हकीकत यही है. मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि सीरिया को लेकर दर्जनों बैठकें बेनतीजा रही हैं, यमन को लेकर दसियों राउंड की बातचीत बेनतीजा रही है, इराक और लीबिया को लेकर भी ऐसा ही है. इन सब क्षेत्रों में बरबादियों के चलते सबसे बड़ा फायद इजराइल को हुआ है. इजराइल अपने सत्तर साल की तवारीख में आज सबसे मजबूत स्थिति में है. इसका कारण भी है- ईरान, सीरिया, सऊदी अरब, मिस्र आदि का पूरा फोकस एंटी-इजराइल था, लेकिन ये सभी देश आपस की मार-काट में उलझ गये और इजराइल मजबूत होता चला गया.

अभी तो पांच-छह दिन पहले ही मोसुल में आइएसआइएस के खात्मे को लेकर ऑपरेशन शुरू हुआ है. वहां सुसाइड बंबर्स का इस्तेमाल हो रहा है. आइएसआइएस आतंकी बचने के लिए जनता का इस्तेमाल कर रहे हैं. कुछ लोग वहां से भाग जाना चाह रहे हैं. कुछ लोगों को इराकी सेना ने एक सेफ पैकेज दिया है कि वे जहां चाहें बच कर जा सकते हैं. वहां के लोग दो साल से डिप्रेशन के शिकार हैं. मसलन, मोसुल में एक आदमी को बीते दो साल में एक सिगरेट तक नहीं मिली थी और उसकी ख्वाहिश थी कि लड़ाई खत्म होते ही वह सिगरेट पियेगा. मुक्त होते ही वह कहीं से भाग कर सिगरेट लाया. दो साल से लोगों ने बाल और दाढ़ी तक नहीं कटायी है. दो साल से वहां की अर्थव्यवस्था तबाह है, इन्फ्रास्ट्रक्चर खत्म है, शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था तबाह है, सोशल लाइफ तबाह है, यानी जिस तरह के भयानक माहौल में लोग घिरे हुए हैं, ऐसे में अगर आइएसआइएस खत्म होता भी है, तो वहां के अवाम की जिंदगी में कोई सुकून नहीं दिख रहा है. फिर भी आइएसआइएस को खत्म करना बहुत जरूरी है, लेकिन इस भयानक माहौल को भी खत्म करने के बारे में सोचना होगा, तभी इराकी सेना की जीत मानी जायेगी.
(वसीम अकरम से बातचीत पर आधारित)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें