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बैट-बॉल ही बन गये अब इनकी पहचान

क्रिकेट में कमाल दिखा रही हैं जिले की बेटियां वर्तमान पीढ़ी की बेटियां खेल-खेल में ही जिंदगी को नयी राह दिखा रही हैं. जिले की आधी आबादी की नाजुक कलाइयों से क्रिकेट का जलवा बिखर रहा है. कल तक दहलीज न लांघनेवाली और परदे में रहनेवाली बेटियां बैट और बॉल से न सिर्फ अपने-आप को […]

क्रिकेट में कमाल दिखा रही हैं जिले की बेटियां

वर्तमान पीढ़ी की बेटियां खेल-खेल में ही जिंदगी को नयी राह दिखा रही हैं. जिले की आधी आबादी की नाजुक कलाइयों से क्रिकेट का जलवा बिखर रहा है. कल तक दहलीज न लांघनेवाली और परदे में रहनेवाली बेटियां बैट और बॉल से न सिर्फ अपने-आप को तराश रही हैं, बल्कि पुरुष प्रधान समाज से कदम से कदम मिला कर आगे बढ़ रही हैं.

सुदूर देहात से आनेवाली गोपालगंज की दीपा, अनिता, प्रियंका व आशा बिहार टी-20 की तरफ से खेल रही हैं. वहीं, इस वर्ष खजुरिया की सोनी कुमारी झारखंड-टी 20 टीम में अपना जलवा बिखेर रही हैं.

गोपालगंज की धरती पर वर्ष 2012 में फलक महिला क्रिकेट एकेडमी की स्थापना के साथ ही महिला क्रिकेट टीम की नीव पड़ी और महज दो वर्षो में अपने हुनर का जलवा जिले की बेटियों ने राज्य के कई जिलों में ही नहीं, अपितु नेपाल और उतर प्रदेश की धरती पर बिखेर दिया.

यह सिलसिला बदस्तूर जारी है. इसके बढ़ते क्रेज का असर यह है कि छोटी उम्र में भी कुछ खास करने को ये लालायित हैं. अब तक पांच दर्जन से अधिक बेटियां बैट और बॉल का कमाल दिखा चुकी हैं. वहीं, दस वर्षीया शालू सिंह राठौर, बॉलिंग के क्षेत्र में भी जलवा दिखा चुकी हैं. जिले की आधी आबादी में यह एक न खत्म होनेवाला सिलसिला चल पड़ा है. साथ ही यहां की बेटियां राष्ट्रीय स्तर पर जिले का नाम रोशन करने को बेताब हैं.

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