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गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से तीन छात्र निष्कासित

दिलीप कुमार शर्मा गुवाहाटी, बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए गुवाहाटी विश्वविद्यालय ने सोमवार को अपने तीन पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों को निष्कासित कर दिया है. यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक़ छात्रों को अनुशासनहीनता के आरोप में निकाला गया है. लेकिन छात्रों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी में कथित तौर पर जारी […]

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गुवाहाटी विश्वविद्यालय ने सोमवार को अपने तीन पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों को निष्कासित कर दिया है.

यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक़ छात्रों को अनुशासनहीनता के आरोप में निकाला गया है.

लेकिन छात्रों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी में कथित तौर पर जारी वित्तीय अनियमितताओं को देखते हुए सूचना के अधिकार के तहत इन्होंने जानकारी मांगने के लिए आवेदन किया था. लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने ये जानकारी मुहैया कराने से इनकार कर दिया.

इसके बाद इनमें से एक छात्र ने बिना किसी का नाम लिए इस विषय पर फ़ेसबुक पोस्ट के ज़रिए अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की जिसके बाद इन छात्रों को निष्कासित कर दिया गया.

एलएलबी छठे सेमेस्टर के छात्र मिल्टन हैंडिक को स्थाई रूप से जबकि रेजाउल करीम और संचार और पत्रकारिता विभाग में चौथे सेमेस्टर की पढ़ाई कर रहे रितिक साइकिया को एक साल के लिए विश्वविद्यालय से निकाल दिया गया है.

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तीनों छात्रों को निष्कासित करने के बोर्ड के फैसले को कुलपति ने भी अपनी मंज़ूरी दी है.

मिल्टन के सहपाठी सुब्रत तालुकदार ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "निष्कासन की सूचना मिलते ही मिल्टन की तबियत बिगड़ गई जिसके बाद उसे एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया है. फिलहाल वह आईसीयू में भर्ती है.

गुवाहाटी विश्वविद्यालय की तरफ से इस मामले में अधिकारी सीधी प्रतिक्रिया देने से बच रहे है लेकिन तीनों छात्रों के निष्कासन से जुड़ी विश्वविद्यालय की अधिसूचना में कहा गया है कि अनुशासनहीनता मे लिप्त पाए जाने के कारण यह कार्रवाई की गई है.

इस कार्रवाई से जुड़े आदेश पर बोर्ड के संयोजक डा. एच के नाथ ने हस्ताक्षर किए है.

विश्वविद्यालय से निष्कासित रितिक साइकिया ने कहा है, "पिछले कुछ सालों से यूनिवर्सिटी में शिक्षक नियुक्ति से लेकर वित्तीय अनियमितताओं के कई मामले सामने आ रहे थे और इसलिए हमने इस साल छह जनवरी को पहली आरटीआई लगाई. बाद में छह-सात आरटीआई आवेदन और किए गए. लेकिन विश्वविद्यालय ने कोई जवाब नहीं दिया. इसके विरोध में हमने आंदोलन की धमकी दी तो अप्रैल में विश्वविद्यालय की तरफ से हमें कारण बताओ नोटिस भेजा गया और फिर हमें विश्वविद्यालय से बाहर निकाल दिया गया."

विरोध कर रहे एक और छात्र का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की गलती के कारण देश ने रोहित वेमुला जैसे मेधावी छात्र को खोया है परंतु इससे किसी ने कोई सीख नहीं ली.

इन छात्रों ने मंगलवार से विश्वविद्यालय प्रशासन की इस कार्रवाई के खिलाफ जोरदार आंदोलन छेड़ने की बात कही है.

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