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वो शख़्स जिसने गांधी के हत्यारे गोडसे को पकड़ा

सुब्रत कुमार पति भुवनेश्वर से, बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को पकड़ने वाले रघु नायक की चर्चा कम ही होती है. लेकिन उनकी मौत के 33 साल बाद ओडिशा सरकार ने पिछले हफ़्ते उन्हें याद किया है. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने रघुनाथ की पत्नी मंदोदरी और बेटी को […]

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महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को पकड़ने वाले रघु नायक की चर्चा कम ही होती है.

लेकिन उनकी मौत के 33 साल बाद ओडिशा सरकार ने पिछले हफ़्ते उन्हें याद किया है.

मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने रघुनाथ की पत्नी मंदोदरी और बेटी को पांच लाख रुपये की सहायता राशि दी है.

1948 में महात्मा गांधी की मौत के समय रघुनाथ बिरला हाउस में माली का काम कर रहे थे. गांधीजी पर गोली चलाने के बाद वहाँ भागदौड मच गई थी.

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इसी दौरान रघुनाथ नायक ने गोडसे को पकड़ लिया था. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा रघुनाथ की वजह से गोडसे को पकड़ना संभव हुआ था.

केन्द्रापड़ा के सुभ्रांशु सुतार ने रघुनाथ नायक के जीवन के उपर एक किताब लिखी.

उन्होंने बीबीसी को बताया, "रघुनाथ नायक को तत्कालीन राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने सात फरवरी, 1955 को 500 रुपये का पुरस्कार दिया था."

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गोडसे को फ़ांसी की सज़ा हुई थी. गोडसे के ख़िलाफ़ चले मामले में रघुनाथ नायक प्रत्यक्षदर्शी गवाह थे.

अपने पति को याद करते हुए मंदोदरी बताती हैं, "वो खुद से ज़्यादा देश की सोचते थे. मैने उनसे पूछा था कि अगर गोली आपको लग जाती तो उन्होंने कहा था देश सबसे पहले है."

रघुनाथ नायक की चर्चा आमतौर पर बहुत कम होती है और उनके बारे में पढ़ने को नहीं मिलता.

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सुभ्रांशु सुतार कहते हैं, "शुरुआती दिनों में रघुनाथ कोलकता में बिरला परिवार में काम करते थे. बाद में उनका तबादला दिल्ली कर दिया गया और उन्हें बिरला हाउस में तैनात किया गया. गांधी जी जब भी दिल्ली आते, बिरला हाउस में ठहरते थे. माली होने के नाते रघुनाथ गांधी जी को पहचानने लगे थे और जब तक गांधी वहां ठहरते उन्हें बकरी का दूध रघुनाथ ही पहुंचाते थे."

रघुनाथ नायक के बारे में महात्मा गांधी के निजी सहायक प्यारेलाल ने उनके जीवन पर लिखी गई किताब ‘महात्मा गांधी द लास्ट फेज’ में ज़िक्र किया है.

इसके अलावा तुषार गांधी की किताब ‘लेट अस किल गांधी’ में भी रघुनाथ के नाम का ज़िक्र है.

सुभ्रांशु सुतार बताते हैं, "गांधी जी की हत्या के बाद रघुनाथ अवसाद से भर गए. उन्होंने नौकरी छोड़ दी और ओडिशा वापस लौट गए. लेकिन वे इस हत्या के प्रत्यक्षदर्शी गवाह थे, लिहाज़ा उन्हें कई बार दिल्ली में स्पेशल कोर्ट में गवाही देने के लिए जाना पड़ा था."

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रघुनाथ नायक का गांव ओडिशा के केन्द्रापाड़ा ज़िले का जागुलिआपाड़ा है. जर्मनी की डायमलर क्रिसलर ऑटोमोबाइल कंपनी ने यहाँ महात्मा गांधी और रघु नायक की एक मूर्ति स्थापित की है.

13 अगस्त 1983 में रघुनाथ नायक की मौत हो गई थी. कुछ साल बाद उनके बेटे की भी मौत हो जाने के बाद उनकी पत्नी मंदोदरी अपनी बेटी के पास रह रही हैं. उनके बेटी के पति की भी मौत हो चुकी है.

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