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12 महिलाओं ने मिल कर स्त्रियों की दशा व दुर्दशा पर लिखी एक किताब

औरतों का अस्तित्व. देश अनेक, पर हर जगह लड़ाई एक पटना : वे प्रताड़ित होती हैं. उन पर शारीरिक हिंसा होती है. कहीं जाति तो कहीं लिंग भेदभाव, तो कहीं पर रंग के भेदभाव से वे जूझती हैं. हर किसी को लगता है कि उनके समाज, उनके राज्य, उनके देश में ही महिलाओं के पर […]

औरतों का अस्तित्व. देश अनेक, पर हर जगह लड़ाई एक

पटना : वे प्रताड़ित होती हैं. उन पर शारीरिक हिंसा होती है. कहीं जाति तो कहीं लिंग भेदभाव, तो कहीं पर रंग के भेदभाव से वे जूझती हैं. हर किसी को लगता है कि उनके समाज, उनके राज्य, उनके देश में ही महिलाओं के पर हिंसा या अत्याचार होता है. लेकिन, ऐसा नहीं है.

हर देश में महिलाएं किसी न किसी रूप में प्रताड़ित होती हैं. महिलाओं की कहानी हर देश में एक जैसी है. अलग-अलग देशों की महिलाओं की स्थिति को बयां करती ऐसी ही एक पुस्तक जल्द ही सामने आने वाली है. द वार-द वीमेन-देयर वॉडिज शीर्षक वाली इस पुस्तक को विश्व के चार महादेशों की 12 महिलाओं ने मिल कर लिखा है. अफ्रीका, अमेरिका, एशिया और यूरोप के अलग-अलग देशों में किस तरह महिलाएं प्रताड़ना की शिकार हैं, इसकी जानकारी इस पुस्तक में दी गयी है.

पांच मई को पुस्तक की लांचिंग

इस पुस्तक की लॉचिंग पांच मई को होगी. अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी में इसकी लॉचिंग होगी. राेजिना खानम ने बताया कि इस पुस्तक में हर देश में महिलाओं के साथ हाेने वाली प्रताड़ना के बारे में जानकारी है. पहली बार विश्व स्तर पर महिलाओं की स्थिति के बारे में लोग जान पायेंगे.

अलग-अलग देशों की लेखिकाओं में पटना की रोजिना

इस पुस्तक की लेखिकाओं में एशिया महादेश की ओर से में पटना की रोजिना खानम भी शामिल हैं. 12 महिलाओं में शामिल रोजिना खानम ने बिहार में महिलाओं की दशा को इसमें बताया है. बिहार में महिलाएं किस तरह से अपने इंपावरमेंट के लिए संघर्ष कर रही हैं, इसकी पूरी जानकारी दी गयी है. रोजिना खानम ने बताया कि यूरोप की बात करें या अमेरिका की, हर देश में महिलाओं की स्थिति एक जैसी है. हां, यह जरूर है कि हर देश में वहां के रहन-सहन के अनुसार महिलाएं प्रताड़ना की शिकार हो रही हैं. पूरी रिसर्च के साथ इस बुक को लिखा गया है.

इन्होंने मिल कर लिखी किताब : धायाना कारोलाइन , फरनेनडो पैटारो एमारल, हरसिमरण कौर (पंजाब) इगनाजिया बरथोलाइन, रोजिना खानम (पटना), इरित हकीम, मारिया नोहेमी, मूजिस्को डाबूली, वेलेरिया बहाती, जेनिरियो बॉनडूला और रैक्वेल रैमिरेज. ये सभी अलग-अलग देशों की हैं. भारत से दो लेखिकाएं हैं.

अफ्रीका में रंगों को लेकर प्रताड़ित होती है महिलाएं

रोजिना ने बताया कि अफ्रीका में अभी भी रंग भेद काफी है. इसका असर सबसे अधिक वहां की महिलाओं पर है. रंगभेद के कारण महिलाओं को शारीरिक और मानसिक दोनों ही प्रताड़ना से गुजरना पड़ता है. फ्रांस में मुसलिम महिलाओं को हिजाब पहनने के कारण कई जगहों पर जाने की पाबंदी है. वहीं अमेरिका में डोमेस्टिक वायलेंस से महिलाएं प्रताड़ित होती है.

लेडी ऑफ वीमेन हिस्ट्री में है नाम रोजिना का

रोजिना खानम बिहार की एक मात्र महिला हैं, जिनका नाम यूएनओ ने लेडी ऑफ वीमेन हिस्ट्री में 2014 में दर्ज किया था. 2014 में उन्हें यह सम्मान मिला था. यूएनओ की ओर से हर साल आठ मार्च को विश्व की आठ महिलाओं को इन श्रेणी में रखा जाता है और सम्मान दिया जाता है. 2014 में उन्हें यह सम्मान यूएनओ की ओर से दिया गया था.

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