फ़िल्म अभिनेता सलमान ख़ान को रियो ओलंपिक के लिए भारत का गुडविल एम्बैसेडर बनाने पर उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है.
भारतीय खेल जगत के कुछ सितारों ने जहां इस फ़ैसले का स्वागत किया है तो दूसरी तरफ़ विरोध कई स्वर भी उठ रहे हैं.
लंदन ओलंपिक खेलों के कांस्य पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त ने सबसे पहले सोशल मीडिया पर इसको लेकर सवाल उठाया.
बीबीसी के आदेश गुप्त ने भारत के पूर्व ओलंपियन अशोक कुमार से इस मुद्दे पर बात की है. अशोक कुमार 1975 की उस भारतीय हॉकी टीम के सदस्य थे जिसने विश्व कप में पाकिस्तान को हराया था. इस जीत में अशोक कुमार ने वो अहम गोल दागा था जिससे भारत को जीत मिली थी.
पूर्व ओलंपियन अशोक कुमार के मुताबिक-
जिन खिलाड़ियों ने ओलंपिक में भारत के लिए पदक जीते हैं या योगदान दिया है, उनका हक़ गुडविल एम्बैसेडर बनने पर सबसे पहले है.
इसके विपरीत उन लोगों को आगे लाने की कोशिश की जा रही है जो फ़िल्मी पर्दे पर या दूसरे क्षेत्रों में आगे आए हैं.
जो खिलाड़ी अपना पूरा जीवन एक पदक लाने में लगा देता है, उसकी अनदेखी की जा रही है.
गुडविल एम्बैसेडर के लिए मिल्खा सिंह हैं, सरदार बलबीर सिंह हैं, गुरबक्श सिंह हैं, केशव दत्त हैं.
सरदार बलबीर सिंह 1948-52 और 1956 के ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के कप्तान और सदस्य रहे हैं.
केशव दत्त भी 1948 में लंदन में स्वर्ण पदक जीतने वाली हॉकी टीम के सदस्य रहे हैं.
जब 1998 में भारतीय दल बैंकॉक एशियाई खेलों में जा रहा था तब भारतीय ओलंपिक संघ ने दिल्ली में आयोजित एक समारोह में 1983 में विश्व कप जीतने वाली भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्यों को शुभकामना देने के लिए आमंत्रित किया था.
उस समारोह में सुनील गावस्कर और मोहिंदर अमरनाथ भी मौजूद थे.
साल 1975 में जब भारतीय हॉकी टीम स्वर्ण पदक जीतकर वापस लौटी तो ख़ुद राजकपूर ने पूरी टीम के साथ मुंबई में एक शो मैच कराया था.
दारा सिंह ने कई बार खिलाड़ियों को कंधे पर उठाया. वहीं शम्मी कपूर ने फ़िल्म की शूटिंग कैंसिल कर फाइनल मैच की रेडियो पर कमेंट्री सुनी.
उन्होंने खिलाड़ियों को मुबारक़बाद देते हुए कहा, ”आप असली खिलाड़ी हैं जो देश के लिए खेलते हैं.”
फ़िल्म अभिनेता दिलीप कुमार साहब ने पूरी टीम को पार्टी दी थी. उनके अलावा ओम प्रकाश और प्राण साहब ने भी अपने घर में पार्टी दी.
वह आगे बढ़कर खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाते थे ना कि ख़ुद आईकन बनने की कोशिश करते थे.
यह तो आज फैंटेसी और चमक-दमक की दुनिया बन गई है जिसमें से निकलकर सलमान ख़ान या दूसरे सितारे आगे आएं तो ताज्जुब नहीं होता.
यह एक बहुत ग़लत परंपरा शुरू करने की कोशिश की जा रही है. इसका पुरजोर विरोध होना चाहिए.
(खेल पत्रकार आदेश गुप्त से बातचीत पर आधारित)
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