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तकनीक से बदलाव : डिजिटल क्रांति से कितना कुछ बदल गया!
सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के दौर में देशभर में विभिन्न चीजों में डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया में व्यापक तेजी आयी है. बैंकिंग सेक्टर हो या परिवहन, भुगतान की प्रक्रिया हो या पत्र-व्यवहार की, हमारी रोजमर्रा से जुड़ी कितनी चीजें ऑनलाइन हो चुकी हैं, इन्हें अब गिनाना मुश्किल है. आपके चारों ओर डिजिटाइजेशन अपनी धमक कायम कर […]
सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के दौर में देशभर में विभिन्न चीजों में डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया में व्यापक तेजी आयी है. बैंकिंग सेक्टर हो या परिवहन, भुगतान की प्रक्रिया हो या पत्र-व्यवहार की, हमारी रोजमर्रा से जुड़ी कितनी चीजें ऑनलाइन हो चुकी हैं, इन्हें अब गिनाना मुश्किल है. आपके चारों ओर डिजिटाइजेशन अपनी धमक कायम कर चुका है.
सोशल नेटवर्किंग समेत अनेक चीजों को इसने नये सिरे से गढ़ने में महती भूमिका निभायी है. क्या है डिजिटाइजेशन, कैसे हुई इसकी शुरुआत समेत इसके सामाजिक-आर्थिक असर और सरकार द्वारा नागरिकों को विविध सेक्टर्स में ज्यादा से ज्यादा सुविधा मुहैया कराने के लिए किस तरह से किया जा रहा है इसका इस्तेमाल. बता रहा है आज का यह साइंस टेक्नोलॉजी पेज …
भारतीय सेना में तैनात एक सिपाही छुट्टी में अपने गांव आया और बड़ी बेसब्री से सरपंच को खोजता हुए उसके पास पहुंचा. सिपाही का मतदाता पहचान पत्र खो गया था और उसे दोबारा से बनाने की प्रक्रिया और उसमें लगनेवाले दिनों के बारे में वह जानना चाहता था. सरपंच ने बताया कि अब यह काम मिनटों में हो जाता है अौर कंप्यूटर की मदद से उसने पहचान पत्र की दूसरी कॉपी निकालवा दी. निश्चित रूप से यह डिजिटाइजेशन से ही मुमकिन हो पाया. हालांकि, यह एक महज उदाहरणभर है और एेसे अनेक क्षेत्र हैं, जिनमें डिजिटाइजेशन से काम आसान हो गया है. नयी पीढ़ी के ‘डिजिटल’ लोग सुबह उठने पर ब्रश बाद में करते हैं, स्मार्टफोन में इमेल पहले चेक करते हैं, मित्रों के फेसबुक पोस्ट और ट्विटर फीड व व्हॉट्सएप पर आये विविध संदेशों को देखते हैं. न केवल नयी पीढ़ी, बल्कि कामगार तबका समेत पूरा समाज डिजिटल हो रहा है.
क्या है डिजिटाइजेशन
डिजिटाइजेशन एक प्रकार से हमारे रोजमर्रा की जिंदगी में आनेवाली उन तमाम चीजों को डिजिटल तकनीक के रूप में एकीकृत करने की प्रक्रिया है, जिसे डिजिटाइज्ड करना मुमकिन हो. डिजिटाइजेशन का लिटरल अर्थ किसी चीज को तकनीकी रूप से ज्यादा से ज्यादा विकसित करने का स्पष्ट आइडिया विकसित करना होता है, जिसे आसानी से सभी को मुहैया कराया जा सके.
ज्यादा से ज्यादा चीजों को प्रक्रियाबद्ध तरीके से डिजिटल फॉरमेट में ढालना भी डिजिटाइजेशन का हिस्सा है. यहां एक चीज हमें स्पष्ट रूप से समझना होगा कि डिजिटाइजेशन और डिजिटाइजेशन में फर्क है. डिजिटाइजेशन का मतबल किसी चीज को महज डिजिटल स्वरूप प्रदान करने भर से जुड़ा है, जबकि डिजिटाइजेशन एक व्यापक प्रक्रिया है.
कैसे हुई शुरुआत
दुनिया में इसकी शुरुआत डिजिटलरिवॉलुशन के रूप में हुई, जिसे तीसरी आैद्योगिक क्रांति के रूप में जाना जाता है. 1970 के दशक से मैकेनिकल और इलेक्ट्रॉनिक टेक्नोलॉजी से आगे बढ़ते हुए चीजों को डिजिटल टेक्नोलॉजी में ढाला जाना शुरू हो गया. डिजिटल कंप्यूटरों की इसमें बड़ी भूमिका मानी जाती है. डिजिटल कंप्यूटिंग और कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी ने इसकी स्पीड को और तेज कर दिया. इसके बाद डिजिटल सेल्यूलर फोन और इंटरनेट ने इसे पूरी तरह से बदल कर रख दिया. वैश्विक तकनीकी फर्म गार्टनर के मुताबिक, वर्ष 1990 में जहां दुनियाभर में पर्सनल कंप्यूटर्स की संख्या 100 मिलियन थी, वहीं 2010 में यह संख्या 1.4 बिलियन के आंकड़े को पार कर गयी.
सामाजिक और आर्थिक असर
इसका एक बड़ा सकारात्मक पहलू यह दिखा है कि संचार सुविधा आसान होने के साथ सूचनाएं एक्सपोज हुई हैं यानी जो सूचनाएं अब तक कुछ ही लोगों की मुट्ठी में सीमित थीं, उनका विस्तार हुआ है. इसने एक नये तरह के सामाजिक समीकरण को गढ़ने में भूमिका निभायी है.
प्रख्यात लेखक मिचियो काकु ने अपनी किताब ‘फिजिक्स ऑफ द फ्यूचर’ में लिखा है कि वर्ष 1991 में सोवियत संघ के विघटन का बड़ा कारण फैक्स मशीनों और कंप्यूटर्स का उदय होना माना है, जिसने मिल कर वर्गीकृत सूचनाओं को एक्सपोज कर दिया. वर्ष 2011 के आसपास मिस्र समेत अनेक देशों में हुई क्रांति में सोशल नेटवर्किंग और स्मार्टफोन टेक्नोलाॅजी की बड़ी भूमिका मानी जाती है. इस तकनीक का आर्थिक असर भी व्यापक रहा है.
‘वर्ल्ड वाइड वेब’ के बिना ग्लोबलाइजेशन और आउटसोर्सिंग मुमकिन नहीं हो पाता. डिजिटाइजेशन ने व्यक्तियों और कंपनियों से जुड़ी अनेक चीजों को बदल दिया. छोटे स्तर की क्षेत्रीय कंपनियों का दायरा बढ़ाने में डिजिटाइजेशन का बड़ा योगदान रहा है. इसने न केवल अॉन-डिमांड सेवाओं के कॉन्सेप्ट का जन्म दिया, बल्कि निर्माण सेक्टर को तेजी प्रदान की. रोजमर्रा की जिंदगी और उद्योग-धंधों से जुड़ी अनेक चीजों में नये-नये इनोवेशन को मुमकिन बनाया. हालांकि, सूचनाओं के प्रवाह ने एक नयी समस्या भी पैदा की है, जिसे इसका एक नकारात्मक पहलू माना जा रहा है, लेकिन यह एक अलग मसला है.
आर्थिक और सामाजिक विकास का कारक बना डिजिटाइजेशन
डिजिटल दुनिया वैश्विक होती जा रही है. इसकी दुनिया काफी तेज है और इसमें बेशुमार मौके छिपे हैं. तकनीकी परिवर्तन हमेशा से दोधारी तलवार की तरह रहा है, जिसमें जोखिम और मौके दोनों होते हैं. हम जोखिम का अंदाजा आसानी से लगा सकते हैं, लेकिन उसमें बड़े मौके भी छिपे होते हैं.
डिजिटाइजेशन के साथ भी यही है. इसमें आम आदमी को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने की क्षमता है. वैश्विक बाजार तक आसानी से पहुंचने की राह मुहैया कराने में इसका बड़ा योगदान है. विशेषज्ञों का मानना है कि इसके माध्यम से कम से कम निवेश में ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया कराया जा सकता है.
कंपनियों के विस्तार में सहायक
भारत में अनेक कंपनियों को इसकी ताकत का एहसास हो चुका है. ‘एक्सेंट्यूर’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक अध्ययन में यह साबित हुआ है कि 90 फीसदी एग्जीक्यूटिव्स ने माना है कि अपनी कंपनी के विस्तार के लिए अगले पांच वर्षों के दौरान वे डिजिटाइजेशन को रणनीतिक तरीके से इस्तेमाल में लायेंगे.
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि सप्लाइ चेन की क्षमता को बढ़ाने के लिए ‘एसएमएसी’ यानी सोशल मीडिया, मोबाइल डिवाइस, एनालिटिक्स और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी डिजिटल टेक्नोलॉजी को प्रोमोट करेंगे.
किस-किस सेक्टर में कैसे आया बदलाव
– एनालॉग कंप्यूटर से डिजिटल कंप्यूटर.
– एनालॉग फोटोग्राफी से डिजिटल फोटोग्राफी.
– एनालॉग सिनेमैटोग्राफी से डिजिटल सिनेमैटोग्राफी.
– एनालॉग टीवी से डिजिटल टीवी.
– एनालॉग रेडियो से एनालॉग रेडियाे.
– एनालॉग मोबाइल से डिजिटल मोबाइल फोन.
– एनालॉग थर्मामीटर से डिजिटल थर्मामीटर.
– ऑफसेट प्रिंटिंग से डिजिटल प्रिंटिंग.
कुछ एनालॉग तकनीक खत्म हो चुके हैं, जैसे- टेलीग्राम और टाइपराइटर. इसी तरह अगले कुछ सालों में फैक्स और लैंडलाइन फोन के भी खत्म हो जाने की आशंका है.
डिजिटल टेक्नोलॉजी में सुधार
डिजिटल टेक्नोलॉजी में भी दिन-ब-दिन सुधार हो रहा है. इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं :
-डेस्कटॉप कंप्यूटर से लैपटॉप.
-वीडियो सीडी से डीवीडी और ब्लू-रे डिस्क.
-2जी से 3जी, 4जी.
-डिजिटल घड़ी से स्मार्ट घड़ी.
डिजिटाइजेशन : टाइमलाइन
1950 : ट्रांजिस्टर के आविष्कार के बाद से इसका यह बेहद आरंभिक दौर माना जाता है, जब विभिन्न देशों के सरकारी और सैन्य संगठनों में डिजिटल कंप्यूटर का इस्तेमाल शुरू किया गया. वर्ष 1969 में ‘अरपानेट’ के विकास के बाद इसमें आम जनता की भी साझेदारी होने लगी.
1970 : होम कंप्यूटरों के आने के बाद इसमें और तेजी आयी. डिजिटल रिकॉर्ड रखने की प्रक्रिया आसान बनती गयी और अनेक कारोबार में इसे अपनाया गया.
1980 : विकसित देशों में अब तक कंप्यूटर स्कूल से लेकर आम घरों, कारोबार और औद्योगिक जगत में अपनी जगह घेर चुके थे. इन देशों में एटीएम और इंडस्ट्रियल रोबोट समेत इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक व वीडियो गेम्स के क्षेत्र ने बड़ा बदलाव ला दिया.
1990 : इस दशक में वर्ल्ड वाइड वेब यानी ‘डब्लूडब्लूडब्लू’ की शुरुआत के बाद डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया में व्यापक तेजी आयी. इंटरनेट ने चीजों को एकदम से बदल दिया. देश-दुनिया की तमाम जानकारी लोगाें को उनके कंप्यूटर पर पलक झपकते मिलने लगी. भारत में अनेक सेक्टर में कंप्यूटरीकृत प्रणाली को विकसित करने में तेजी आयी.
2000 : मोबाइल फोन ने इस दशक में दुनिया को एक ग्लोबल विलेज में तब्दील कर दिया. वर्ष 2005 में इंटरनेट का इस्तेमाल करनेवालों का आंकड़ा एक अरब को पार कर गया.
2010 : मोबाइल और इंटरनेट नेटवर्क के व्यापक विस्तार के बाद डिजिटल कम्यूनिकेशन में एक नयी क्रांति का सूत्रपात हुआ. वर्ष 2012 में इंटरनेट इस्तेमाल करनेवालों का आंकड़ा दो अरब की संख्या को पार कर गया. क्लाउड कंप्यूटिंग मुख्यधारा में आ गया और टैबलेट कंप्यूटर्स व स्मार्टफोन ने इंटरनेट के इस्तेमाल के तरीके को बिलकुल बदल दिया.
भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या
वर्ष इंटरनेट यूजर्स की संख्या आबादी का फीसदी
2000 55,57,455 0.5
2005 7,32,73,700 2.4
2010 9,23,23,838 7.5
2011 12,56,17,813 10.1
2012 15,89,60,346 12.6
2013 19,32,04,330 15.1
2014 23,31,52,478 18
2015 35,41,14,747 27
2016 46,21,24,989 34.8
ये भी जानें
भारत सरकार द्वारा की गयी प्रमुख डिजिटल पहल
हालांकि, डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया देश में उस समय से जारी है, जबसे सूचना तकनीक के नये-नये आयामों ने लोगों की जिंदगी में दखल देना शुरू किया. फिर भी इसकी स्पीड तेज करने के लिए भारत सरकार ने डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट की शुरुआत की. इसका प्रमुख मकसद देश को नॉलेज इकॉनोमी में तब्दील करना भी है. इस प्रोजेक्ट के तहत सरकार ने अनेक सेक्टर्स में लोगों को विविध सुविधाएं मुहैया करायी हैं. जानते हैं इनमें से प्रमुख 10 सुविधाओं के बारे में :
1. डिजिटल लॉकर : इसमें आप सरकार की किसी भी एजेंसी या निकाय द्वारा जारी सभी प्रकार के प्रमाणपत्रों को सुरक्षित रख सकते हैं, जिससे आपको इनकी हार्ड कॉपी लेकर कहीं जाने की जरूरत नहीं होगी.
2. डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट : इस स्कीम को ‘जीवन प्रमाण’ के नाम से लॉन्च किया गया है. पेंशनधारियों को प्रत्येक वर्ष एक खास समय पर जीवन प्रमाण देना होता है. इस पहल से अब उन्हें संबंधित सबूत डिजिटल तरीके से पेश करने में मदद मिलेगी. इसमें आधार संख्या और बायोमेट्रिक डिटेल्स को जोड़ा गया है.
3. मनरेगा : देश के तकरीबन सभी ग्राम पंचायतों में बेहतर मोबाइल मॉनीटरिंग सिस्टम लागू करते हुए मनरेगा के तहत होनेवाले कार्यों और कामगारों का ब्यौरा डिजिटल बनाया जा रहा है. इसमें पूरी पारदर्शिता के साथ रीयल-टाइम आंकड़े मिल पायेंगे.
4. ट्विटर संवाद : ट्विटर संवाद एक ऐसी पहल की गयी है, जिसके माध्यम से आम जनता को यह पता चलता है कि सरकार उनके लिए क्या कर रही है. यह ऐसी सेवा है, जिसमें नेता और विविध सरकारी एजेंसियां ट्विट आदि के माध्यम से आम जनता से संवाद कायम करती हैं.
5. मदद : इसे विदेश मंत्रालय ने लॉन्च किया है. विदेश में मौजूद कोई भी भारतीय नागरिक अपनी किसी खास परेशानी से निपटने के लिए सरकार से मदद मांग सकता है या ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकता है, ताकि जल्द से जल्द उसकी मदद की जा सके.
6. डिजास्टर वार्निंग सिस्टम : इस पहल के तहत देश के किसी भी हिस्से में तूफान समेत अन्य प्राकृतिक आपदाओं के बारे में लोगों को एसएमएस के माध्यम से अलर्ट जारी किया जाता है.
7. रिटर्न दाखिल करने की ऑनलाइन सुविधा : आय कर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को आसान बनाते हुए श्रम मंत्रालय ने छोटे उद्यमियों और संगठनों के लिए यह खास सेवा शुरू की है. इससे उन्हें रिटर्न दाखिल करने में सहुलियत होगी.
8. ऑनलाइन पैनकार्ड 48 घंटे में : डिजिटाइजेशन के कारण अब ऑनलाइन पैनकार्ड आप महज 48 घंटे में हासिल कर सकते हैं. इसका मकसद देश के सभी नागरिकों को पैनकार्ड मुहैया कराना है.
9. ई-मनी : डाक विभाग की इस सेवा का इस्तेमाल गांवों और दूरदराज इलाकों में लोग रुपये भेजने के लिए करते हैं. यह एक इलेक्ट्रॉनिक मनीऑर्डर सेवा है.
10. प्रगति : प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लीमेंटेशन (प्रगति) के नाम से लॉन्च की गयी यह सेवा नागरिकों के लिए शिकायत-निवारण (ग्रिवांस) सेल की तरह है. केंद्र सरकार के किसी भी निर्माणाधीन प्रोजेक्ट के संबंध में आप यहां शिकायत कर सकते हैं.
(प्रस्तुति : कन्हैया झा)
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